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लद्दाख में पेंगॉन्ग त्सो पर तनाव के बीच भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं. ऐसे में तमाम एक्सपर्ट दोनों पक्षों की ताकत का आकलन कर रहे हैं. हार्वर्ड केनेडी स्कूल के वेलफेयर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स की रिसर्च में कहा गया है कि युद्ध की स्थिति में भारत उत्तरी सीमाओं में चीन पर भारी पड़ सकता है.
इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की सामरिक शक्तियां बिखरी हुई हैं और सैनिकों को लाना-ले जाना चीन के लिए आसान नहीं होगा. तिब्बत और शिनजियांग प्रांत में विरोधों को दबाने में चीनी सेना का बड़ा हिस्सा व्यस्त रहेगा. यहां तक कि भारत के एयर डिफेंस सिस्टम के सामने चीन को जल्दी संभल पाना बिल्कुल आसान नहीं होगा.
आखिरी बार चीनी सेना 1979 में एक्शन में देखी गई थी और उसे वियतनाम की सेना से शिकस्त मिली थी. इसीलिए अक्सर चीन को कागज का शेर कहा जाता है. कागज और आंकड़ों में तो चीन की सेना बेहतरीन नजर आती है, लेकिन चुनौतियों से भरी असली परिस्थितियों में चीनी सैनिक मिट्टी के शेर साबित होते हैं.
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सबसे पहले जानिए कि भारत के कितने सैनिक चीन से टक्कर लेने के लिए तैयार है. जम्मू कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल में उत्तरी आर्मी कमांड में 34,000 भारतीय सैनिक तैनात हैं. उत्तराखंड में केंद्रीय आर्मी कमांड में 15,500 सैनिक तैनात हैं. सिक्किम, अरुणाचल, असम, नागालैंड और बंगाल में पूर्वी आर्मी कमांड में 1 लाख 75 हजार 500 सैनिक तैनात हैं.
अब इसकी तुलना चीन से करते हैं. चीन के तिब्बत मिलिट्री क्षेत्र में 40,000 सैनिक तैनात हैं. चीन के शिनजियांग मिलिट्री क्षेत्र में 70,000 सैनिक तैनात हैं और वेस्टर्न थियेटर कमांड में 90,000 से 120,000 सैनिक तैनात हैं. इस तरह चीन के सैनिकों की संख्या 204,000 से 235,000 के बीच हो सकती है.
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यहां भारत के पक्ष में रणनीतिक लाभ भी है क्योंकि चीन की सैन्य शक्ति बिखरी हुई है. सैनिकों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना उसके लिए सिरदर्द है. चीन अपने 2 लाख से ज्यादा इन सैनिकों को एक साथ भारत के खिलाफ तैनात करने की स्थिति में नहीं है. शिनजियांग और तिब्बत में हो रहे विरोध को दबाने के लिए चीनी सैन्य शक्ति का एक बड़ा हिस्सा उपलब्ध नहीं होगा.
चीन के खिलाफ भारत की सैन्य तैनाती एकदम मारक है और अलग अलग हिस्सों में अच्छी तरह बंटी हुई है. ज्यादा उंचाई वाले क्षेत्रों में अनुभव होने के कारण भारत की स्थिति बेहतर है. यहां ये भी नहीं भूलना चाहिए कि भारत ने अपने सैनिकों को खासतौर पर उत्तरी और पूर्वी बॉर्डर पर चीन से मुकाबले के लिए तैयार किया हुआ है.
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एयर फोर्स की ताकत की तुलना करें तो भारत की पश्चिमी एयरकमांड के पास 75 फाइटर एयरक्राफ्ट हैं और 34 ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट हैं. ये श्रीनगर, लेह, पठानकोट, आदमपुर और अंबाला सेक्टर में तैनात हैं. केंद्रीय एयरकमांड यानी बरेली ग्वालियर और गोरखपुर सेक्टर में 94 फाइटर एयरक्राफ्ट और 34 ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट हैं.
इसके अलावा पूर्वी एयरकमांड यानी जलपाईगुड़ी, तेज़पुर और छाबुआ सेक्टर में 101 फाइटर एयरक्राफ्ट हैं. अब तुलना में चीन के आंकड़े देखिए. चीन की वायु शक्ति अलग-अलग इलाकों में तैनात नहीं है. चीन की पश्चिमी थियेटर कमांड में 157 फाइटर एयरक्राफ्ट हैं. एकदम सटीक निशाना लगाने वाले 20 यूएवी हैं. 12 ग्राउंड अटैक यूएवी और 8 EA-03 यूएवी.