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बॉर्डर पर भारत हुआ सख्त तो चीन धमकी पर उतरा, कहा- इस बार 1962 से भी अधिक होगा नुकसान

भारत के LAC पर सख्ती बढ़ाने के बाद चीन गीदड़भभकी पर उतर आया है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने धमकी भरे लहजे में लिखा है कि भारत जानता है कि चीन के साथ जंग नहीं की जा सकती है.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो-PTI) चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2020,
  • अपडेटेड 10:42 AM IST

  • चीनी विश्लेषकों के जरिये ग्लोबल टाइम्स ने दी गीदड़भभकी
  • पीएम मोदी तनाव कम करने की कर रहे कोशिश-ग्लोबल टाइम्स

लद्दाख में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत ने एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) पर सख्ती बढ़ा दी, जिसके बाद चीन गीदड़भभकी पर उतर आया है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने धमकी भरे लहजे में लिखा है कि भारत जानता है कि चीन के साथ जंग नहीं की जा सकती है, क्योंकि नई दिल्ली को पता है कि अब अगर युद्ध हुआ तो उसका हाल 1962 की लड़ाई से भी बुरा हाल होगा.

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ग्लोबल टाइम्स ने एक चीनी विश्लेषक के हवाले से लिखा कि गलवान घाटी में सीमा संघर्ष के बाद भारत के भीतर चीन के खिलाफ राष्ट्रवाद और शत्रुता तेजी से बढ़ रही है. जबकि चीनी विश्लेषकों और भारत के अंदर भी कुछ लोगों ने चेतावनी दी थी कि नई दिल्ली को घर में राष्ट्रवाद को शांत करना चाहिए.

ग्लोबल टाइम्स में रविवार को प्रकाशित रिपोर्ट में एक चीनी विश्लेषक ने कहा कि अगर नए सिरे से फिर युद्ध होता है तो चीन के साथ 1962 के सीमा विवाद के बाद भारत और अधिक अपमानित होगा, यदि वह घर में चीन विरोधी भावना को नियंत्रित नहीं कर सकता है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि उनकी सरकार ने सशस्त्र बलों को कोई भी आवश्यक एक्शन लेने की पूरी आज़ादी दी है. हालांकि पीएम मोदी तनाव को कम करने की कोशिश करते हुए भी दिखाई दिए. बता दें कि एक हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि गलवान घाटी में वास्तविक सीमा रेखा पर चीनी पक्ष के 70 से अधिक सैनिक घायल हो गए थे.

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि लद्दाख में गलवान घाटी में झड़प पर पीएम मोदी ने कहा है, "किसी ने भी हमारी सीमा में घुसपैठ नहीं की है, न ही अब वहां कोई है, और न ही हमारे पोस्ट पर कब्जा किया गया है."

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चीनी पर्यवेक्षकों ने कहा कि मोदी राष्ट्रवादियों और कट्टरपंथियों से बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह समझते हैं कि उनका देश चीन के साथ और संघर्ष नहीं कर सकता है. इसलिए वह तनाव को शांत करने का प्रयास कर रहे हैं.

शंघाई स्थित फुडन विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर लिन मिनवांग ने रविवार को ग्लोबल टाइम्स से कहा कि पीएम मोदी के बयान से सीमा पर तनाव को कम करने में बड़ी मदद मिलेगी. क्योंकि पीएम के तौर पर उन्होंने चीन पर निशाना साधने वाले कट्टरपंथियों को दरकिनार कर दिया है.

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