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फिर 1962 जैसे हालात, तो जंग में नहीं मिल पाएगी US-जापान की मदद

अगर चीजों को गौर से देखे तो भारत की स्थिति कमोबेश 1962 जैसी नजर आती है. अच्छा यह है कि इस बार कुछ बेहतर चीजे भारत के पक्ष में हैं. कई देश खुलकर भारत के साथ हैं.

क्या साथ देंगे US-जापान क्या साथ देंगे US-जापान
केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

भारत-चीन के बीच डोकलाम को लेकर दो महीने से गतिरोध जारी है. डोकलाम में पीछे भारत को पीछे हटने के लिए चीनी मीडिया धमकियां देकर लगातार दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. भारत को फिर 1962 जैसा सबक सिखाने की धमकी दी जा रही है. हालांकि अब तक भारत ने बेहद संयमित ढंग से चीन को जवाब दिया है. एशिया के दो बड़े देशों के बीच सीमा पर नाजुक तनातनी पर दुनिया की भी नजरें हैं.

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अगर चीजों को गौर से देखें तो भारत की स्थिति कमोबेश 1962 जैसी है. अच्छा यह है कि इस बार कई चीजें भारत के पक्ष में हैं. कई देश खुलकर भारत के साथ हैं. माना जा रहा है कि अमेरिका-जापान जैसी महाशक्तियां भी भारतीय दृष्टिकोण से सहमत हैं और चीन के साथ आपात स्थितियों में मदद कर सकती हैं.

बता दें कि डोकलाम भारत-चीन और भूटान के बीच एक ट्राई जक्शन हैं. सामरिक रूप से भारत और भूटान के लिए ये इलाका बेहद अहम है. यह भूटान का क्षेत्र है जिस पर चीन अपना दावा कर रहा है. जून के मध्य में चीन ने यहां अतिक्रमण कर सड़क बनाने की कोशिश की थी. भूटान की ओर से मदद मांगने पर भारतीय सेना ने चीनी निर्माण को रोक दिया और वहां मोर्चे पर तैनात है.

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1962 में इस तरह थी स्थिति

1962 में जिस वक्त भारत और चीन के बीच तनाव शुरू हुआ उस वक्त दुनिया की राजनीति भी करीब-करीब आज की तरह ही थी. इस वक्त उत्तर कोरिया-जापान-अमेरिका के बीच तनातनी है. तीनों युद्ध के मुहाने खड़े हैं. वैसे ही जैसे 1962 में क्यूबा-अमेरिका और रूस में तनातनी थी. तब चीनी हमले के दौरान भारत द्वारा मदद मांगने पर अमेरिका आगे आया था. हालांकि जब तक भारत को अमेरिकी मदद मिली चीन पीछे हट चुका था.

विश्लेषकों के हवाले से बीबीसी हिंदी ने अपनी एक रिपोर्ट कहा है कि क्यूबा में तनाव की वजह से रूस द्वारा मिसाइलें तैनात करने के बाद अमेरिका चाहकर भी वक्त पर भारत की मदद नहीं कर पाया. रिपोर्ट में इसे एक 'कम्युनिस्ट रणनीति' के तौर पर भी देखा गया है. संभावना जताई गई, हो सकता है चीन को अमेरिकी प्रतिरोध से बचाने के लिए रूस ने मिसाइलें तैनात कर अमेरिका को क्यूबा में उलझा दिया.

तो ऐसी स्थिति में नहीं मिल पाएगी अमेरिका-चीन की मदद

माना जा रहा है कि दुनिया की बदली राजनीति में अमेरिका और जापान, भारत के पक्ष में हैं. वो चीन के खिलाफ भारत की मदद भी कर सकते हैं. लेकिन अगर इसी दौरान उत्तर कोरिया ने हमला कर दिया तो अमेरिका और जापान चाहकर भी भारत की मदद नहीं कर पाएंगे. यहां यह बताना जरूरी है कि उत्तर कोरिया और चीन के कूटनीतिक रिश्ते काफी अच्छे हैं. दुनिया के प्रमुख देशों ने जहां उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाया वहीं चीन रहस्यमयी देश की मदद करता रहा. हालांकि बैलेस्टिक मिसाइल टेस्टिंग को लेकर अमेरिकी दबाव की वजह से हाल ही में चीन ने उत्तर कोरिया पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. लेकिन उसके रिश्ते अभी भी काफी अच्छे माने जा रहे हैं.

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क्या है जापान का रुख?

इस बीच जापान के राजदूत केंजी हीरामत्सू ने आजतक से बातचीत में कहा, 'डोकलाम को लेकर पिछले करीब दो महीनों से तनातनी जारी है. हमारा मानना है कि इससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता प्रभावित हो सकता है, ऐसे में हम इस पर करीबी नजर बनाए हुए हैं.' इसके साथ ही उन्होंने कहा, चीन और भूटान के बीच इस क्षेत्र को लेकर विवाद है. जहां तक भारत की भूमिका की बात है, तो हम मानते हैं कि वह भूटान के साथ अपने द्विपक्षीय समझौते के आधार पर ही इस मामले में दखल दे रहा है.

डोकलाम पर क्या है भारत की रणनीति

डोकलाम पर भारत की रणनीति साफ है. भारत चीनी शर्तों पर पीछे हटने के मूड में नहीं है. भारत की कोशिश है कि चीन, भूटान के इलाके को खाली कर दे.वह कोई ऐसी हरकत न करे जिससे ट्राई जंक्शन में हालात खराब हो.

 

 

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