Advertisement

गलवान संघर्ष को लेकर बंटे दल: जानें कौन मोदी सरकार के समर्थन, कौन विरोध में

चीन मामले को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बयान जारी कर मोदी सरकार से कहा कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए. यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है और संगठित होकर इस दुस्साहस का जवाब देना चाहिए. ऐसे में सवाल उठता है कि चीन मामले को लेकर कौन मोदी सरकार को घेरने में जुटा है तो कौन सरकार के समर्थन में है.

पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (फाइल फोटो) पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2020,
  • अपडेटेड 3:00 PM IST

  • चीन मामले को लेकर कांग्रेस है मोदी सरकार पर हमलावर
  • बसपा सहित कई क्षत्रपों का मोदी सरकार को मिला साथ
  • मनमोहन ने कहा कि राष्ट्र एकजुट होकर चीन को दे जवाब

लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प को लेकर उत्तर से दक्षिण भारत के राजनीतिक दल केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर हैं. ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बयान जारी कर मोदी सरकार से कहा कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए. यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है और संगठित होकर इस दुस्साहस का जवाब देना चाहिए. ऐसे में सवाल उठता है कि चीन मामले को लेकर कौन मोदी सरकार को घेरने में जुटा है और कौन सरकार के समर्थन में है.

Advertisement

दरअसल चीन को लेकर स्थिति से वाकिफ करवाने के लिए शनिवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर उठे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है. सर्वदलीय बैठक के बाद से कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल खुलकर सरकार को घेरने में जुटे हैं. वहीं, बसपा प्रमुख मायावती सहित कई दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के क्षत्रप केंद्र और पीएम मोदी के समर्थन में मजबूती के साथ खड़े हैं. इसके अलावा एनडीए के सभी दल भी केंद्र सरकार के सुर में सुर मिला रहे हैं. ऐसे में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर निशाना साधा और साथ ही कहा देश को एकजुट होकर चीन को जवाब देना चाहिए.

ये भी पढ़ें: मोदी पर हमलावर हुए मनमोहन सिंह, चीन विवाद पर सरकार को घेरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन विवाद को लेकर शनिवार को कहा था कि न तो किसी ने हमारी सीमा में प्रवेश किया है, न ही किसी भी पोस्ट पर कब्जा किया गया है. मोदी के इस बयान पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा था कि तो फिर 20 जवान कैसे शहीद हुए. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक पीएम के इस बयान पर आक्रमक रुख अख्तियार किए हुए हैं.

Advertisement

राहुल ने शनिवार को ट्वीट कर कहा था, 'भाइयों और बहनों, चीन ने हिंदुस्तान के शस्त्रहीन सैनिकों की हत्या करके बहुत बड़ा अपराध किया है. मैं पूछना चाहता हूं कि इन वीरों को बिना हथियार खतरे की तरफ किसने और क्यों भेजा. कौन जिम्मेदार है.' वहीं, राहुल ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि नरेंद्र मोदी वास्तव में Surender Modi हैं. इतना ही नहीं, चीन मामले को लेकर राहुल गांधी एक के बाद एक ट्वीट कर मोदी सरकार को घेरने में जुटे हैं.

सपा प्रमुख भी मोदी सरकार पर हमलावर

कांग्रेस के साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के बयान और पीएमओ की ओर से जारी सफाई को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया. कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री को 'राजधर्म' के पालन की नसीहत देते हुए सवाल उठाए. पार्टी ने पीएमओ पर सच्चाई छिपाने के नाकाम प्रयास करने का आरोप जड़ दिया. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा था, 'प्रधानमंत्री के भारत-चीन एलएसी कथन से भ्रमित होकर जनता पूछ रही है कि यदि चीन हमारे इलाके में नहीं घुसा तो फिर हमारे सैनिक किन हालातों में शहीद हुए और क्या इस कथन से चीन को 'क्लीन चिट' दी जा रही है?'

मोदी के समर्थन में उतरे पवार-मायावती

Advertisement

इस मामले में कांग्रेस एक तरफ हमलावर है तो महाराष्ट्र में उनकी सहयोगी एनसीपी के नेता शरद पवार केंद्र सरकार के समर्थन में खड़े दिखाई दिए. पवार ने कहा था कि भारतीय सैनिकों का हथियार के साथ होने या न होने पर जो सवाल उठ रहे हैं वह संवेदनशील मुद्दा है, इसको नहीं उठाना चाहिए. शरद पवार के इस बयान को राहुल गांधी के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है. जिसमें उन्होंने सैनिकों के बिना हथियार के होने की बात कही थी.

एनसीपी के साथ-साथ बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी मोदी सरकार को सही ठहराया और पूरी तरह से साथ होने का भरोसा दे दिया. मायावती ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर हुए हिंसक झड़प पर लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है लेकिन इस मुद्दे को पूरी तरीके से सरकार पर छोड़ देना चाहिए कि जो देश के लिए बेहतर हो वह फैसला सरकार ले, क्योंकि यह सरकार का दायित्व भी है.इस मामले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष को भी अपनी परिपक्वता दिखानी चाहिए.

चीन मामले को लेकर राहुल गांधी और उनकी पार्टी से उलट चार गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री मोदी सरकार के समर्थन में उतर आए हैं. आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, मेघालय के मुख्यमंत्री के संगमा और सिक्किम के मुखयमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने बयान जारी कर केंद्र और पीएम मोदी का समर्थन किया.

Advertisement

गैर-कांग्रेसी राज्य के सीएम मोदी सरकार के साथ

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री के बयान पर विवाद को जबर्दस्ती पैदा किया गया बताया और इस तरह की मानसिकता पर चिंता प्रकट की. उन्होंने बिना नाम लिए कांग्रेस पार्टी को नसीहत भी दी. जगन मोहन ने ट्वीट कर कहा था, 'सर्वदलीय बैठक को लेकर सोच-समझ कर पैदा किए गए विवाद से दुखी हूं. यह वक्त अपने सशस्त्र बलों के साथ एकजुटता दिखाने का है. गलतियां ढूंढकर उंगली उठाने का नहीं है. राष्ट्र इस विषय पर एकजुट है और रहना भी चाहिए. एकता में ताकत होती है जबकि फूट से हम कमजोर होते हैं.'

तेलंगाना के सीएम ऑफिस ने 'वक्त राजनीति का नहीं, रणनीति का है' शीर्षक से मुख्यमंत्री केसी राव का बयान ट्वीट किया था. इसमें कहा गया था, 'राजनीति में हमारे मतभेद हो सकते हैं , लेकिन हम सब देशभक्ति की डोर से एक-दूसरे से बंधे हुए हैं. पीएम के जवाबों से बिल्कुल स्पष्ट हो गया कि संप्रुभता की रक्षा के मुद्दे पर भारत का संकल्प कितना मजबूत है.' साथ ही मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने भी भारत-चीन विवाद पर कांग्रेस पर निशाना साधा और उसके बयानों को बेतुका करार दिया था.

कमल हासन ने मोदी सरकार को घेरा

Advertisement

वहीं, अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने कहा देश की सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछना राष्ट्र विरोध नहीं है. उन्होंने कहा कि हम तब तक सवाल करते रहेंगे जब तक हमें पता नहीं चल जाता कि गलवान घाटी में उस दिन क्या हुआ था. प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वदलीय बैठक में जो बयान दिया है वह सेना और विदेश मंत्रालय के बयान ​से बिल्कुल अलग है, ऐसे में संदेह पैदा होता है. मैं मानता हूं कि देश की सुरक्षा को देखते हुए कुछ सूचनाओं को गोपनीय रखा जा सकता है लेकिन सरकार का यह दायित्व है ​कि इस तरह के संवेदनशील मामलों के बारे में देश को सही जानकारी दी जाए.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement