
भारत में डिजायन किए गए और विकसित किए गए हल्के युद्धक विमान (एलसीए) ने शनिवार को देश के सबसे बड़े युद्धक जहाज आईएनएस विक्रमादित्य पर सुरक्षित अरेस्टेड लैंडिंग की. इन हल्के युद्धक विमान के साथ कमोडोर जयदीप माओलांकर ने यह पहली लैंडिंग की.
स्वदेशी विकसित तकनीक सिद्ध
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता विवेक माधवल ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, 'इस कदम के साथ ही डेक (जहाज की छत) आधारित फाइटर अभियानों के लिए विशेष स्वदेशी विकसित तकनीक सिद्ध हो गई है.'
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही भारतीय नौसेना के लिए ट्विन इंजन डेक आधारित फाइटर को विकसित करने और उसका निर्माण करने का रास्ता साफ हो जाएगा.
एलसीए नेवी विकसित
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हालांकि एक बयान में कहा कि डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी की तटीय परीक्षण इकाई पर विस्तृत परीक्षण करने के बाद एलसीए नेवी को विकसित किया गया.
डीआरडीओ ने एक बयान में कहा, 'एलसीए नेवी ने रविवार 11 जनवरी 2020 को सुबह 10.02 बजे आईएनएस विक्रमादित्य पर सफल अरेस्टेड लैंडिंग की.'
आईएनएस विक्रमादित्य की ताकत
आईएनएस विक्रमादित्य 44 हजार 500 टन वजनी और 284 मीटर लंबा और 60 मीटर ऊंचा युद्धपोत है. इसकी लंबाई लगभग तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर है. आईएनएस विक्रमादित्य की ऊंचाई करीब 22 मंजिल इमारत के बराबर है. इस युद्धपोत में कुल 22 नौका तल विद्यमान हैं और आईएनएस विक्रमादित्य में नौसेना के 1,600 से ज्यादा जवान तैनात किए जा सकते हैं.