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वैश्विक ताकत के तौर पर दर्जा चाहता है भारत: पेंटागन

उन्होंने कहा कि भारत घरेलू स्तर पर और व्यापक हिंद महासागर में अपने हितों की रक्षा के लिए स्वयं को बेहतर स्थिति में रखने के लिए अपनी सेना का लगातार आधुनिकीकरण कर रहा है. भारत इसके साथ ही पूरे एशिया में अपनी कूटनीतिक और आर्थिक पहुंच मजबूत कर रहा है.

पेंटागन के डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल रॉबर्ट एश्ले पेंटागन के डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल रॉबर्ट एश्ले
नंदलाल शर्मा
  • वाशिंगटन,
  • 07 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST

पेंटागन के शीर्ष गुप्तचर प्रमुख ने अमेरिकी सांसदों से मंगलवार को कहा कि भारत एक वैश्विक ताकत के तौर पर दर्जा चाहता है और ऐसे में भारत उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने सामरिक बलों को आवश्यक तत्व मानता है.

डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के निर्देशक लेफ्टिनेंट जनरल रॉबर्ट एश्ले ने सीनेट की सशस्त्र सेवा कमेटी के सदस्यों को बताया कि भारत ने स्वदेश निर्मित अपनी पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को सेवा में शामिल कर लिया है और वह अपनी दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात की आपूर्ति लेने की तैयार कर रहा है.

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एश्ले ने कहा, 'नई दिल्ली एक वैश्विक शक्ति का दर्जा चाहता है और उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सामरिक बलों को आवश्यक तत्व मानता है.'

उन्होंने कहा कि भारत घरेलू स्तर पर और व्यापक हिंद महासागर में अपने हितों की रक्षा के लिए स्वयं को बेहतर स्थिति में रखने के लिए अपनी सेना का लगातार आधुनिकीकरण कर रहा है. भारत इसके साथ ही पूरे एशिया में अपनी कूटनीतिक और आर्थिक पहुंच मजबूत कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘नियंत्रण रेखा पर भारतीय और पाकिस्तानी बलों के बीच भारी गोलीबारी का जारी रहना अनजाने में या धीरे-धीरे शत्रुता बढ़ने का खतरा उत्पन्न करता है.’

एश्ले ने कहा कि 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच डोकलाम में लंबे समय तक चले गतिरोध ने भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा दिया था और इससे दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपने बलों की संख्या बढ़ा दी थी.

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