
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती के फैसले का बचाव किया है. जेटली ने रविवार को कहा कि अर्थव्यवस्था को सुस्त होने के बजाए इसे ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए देश को कम ब्याज दरों की दिशा में बढ़ना है. मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पीपीएफ, किसान विकास पत्र जैसी लोकप्रिय मियादी जमा योजनाओं पर ब्याज दर में कटौती के लिए सरकार की आलोचना हो रही है.
बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में संवाददाताओं से बातचीत में जेटली ने कहा कि लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर का निर्धारण 'फॉर्मूल आधारित' है और सरकार बाजार निर्धारित दर से ऊंचा ब्याज देने के लिए इन योजनाओं पर अपनी ओर से सब्सिडी देती है.
यूपीए ने भी अपनाया था यही फॉर्मूला
पीपीएफ और वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाओं समेत अन्य पर ब्याज दर में कमी को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की आलोचना को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, 'यूपीए सरकार ने भी यही फॉर्मूला अपनाया था, लेकिन अर्थव्यवस्था की सुस्ती के कारण उनके कार्यकाल में दरें अधिक थीं. फॉर्मूला लंबे समय से है, हमने इसे नहीं बनाया.'
बाजार ब्याज दर निर्धारित करता है और सरकार बचत योजनाओं समेत अपनी सिक्यॉरिटीज पर उससे अधिक ब्याज देने को लेकर सब्सिडी देती है. हम इसे पीपीएफ में देते हैं, हम सीनियर सिटिजंस स्कीम्स में थोड़ा ज्यादा देते हैं. यह फॉर्मूला आधारित है, यह बाजार से जुड़ा है.'
'नीचे आ गई हैं ब्याज दरें'
अरुण जेटली ने आगे कहा, 'पूर्व में ब्याज दरें काफी बढ़ी थीं. लेकिन वह अब नीचे आ गई हैं. आज जिस रूप से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, हमारे सामने ऐसी स्थिति नहीं हो सकती है जहां कर्ज पर ब्याज दरें कम हो रही हों पर जमा दरें ऊंची बनी हों. ये दोनों एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं. अर्थव्यवस्था में नरमी के बजाए उसे अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए देश को दोनों मामलों में कम ब्याज दर की दिशा में आगे बढ़ना है.'
जेटली ने कहा कि पीपीएफ पर ब्याज दर 8.1 फीसदी है जो अब भी आकर्षक है. दुनिया में कहीं भी ब्याज दर इतनी ऊंची नहीं है. चूंकि यह टैक्स फ्री है, इसलिए वास्तविक प्राप्ति की दर करीब 11.12 फीसदी है. उन्होंने गोल्ड जूलरीज पर एक फीसदी एक्साइज ड्यूटी के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि महंगे सामान टैक्शेसन सिस्टम के दायरे में जरर आने चाहिए क्योंकि देश जीएसटी व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है.