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वॉर्न-कुंबले-मुरली के बाद अफ्रीका में नहीं चला किसी स्पिनर का जादू

यहां की पिचों से भारतीय स्पिन गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा को कितनी मदद ले पाएंगे, ये तो समय ही बताएगा. लेकिन उन दोनों के लिए अब तक के आंकड़े उतने उत्साहजनक नहीं हैं.

अश्विन-जडेजा अश्विन-जडेजा
विश्व मोहन मिश्र
  • केपटाउन,
  • 29 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका पहुंच चुकी है. इस दौरे में वह मेजबान टीम के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलेगी. यहां की पिचों से भारतीय स्पिन गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा को कितनी मदद ले पाएंगे, ये तो समय ही बताएगा. लेकिन उन दोनों के लिए अब तक के आंकड़े उतने उत्साहजनक नहीं हैं.

स्पिनरों के लिए कब्रगाह रही है अफ्रीकी धरती, क्या करेंगे अश्विन-जडेजा?

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एक दौर था जब शेन वॉर्न (दक्षिण अफ्रीका में 12 मैच में 61 विकेट), अनिल कुंबले (12 मैच में 45 विकेट) और मुथैया मुरलीधरन (6 मैच में 35 विकेट) जैसे स्पिनरों ने दक्षिण अफ्रीका में भी अपनी बलखाती गेंदों का जादू बिखेरा, लेकिन इसके बाद कोई भी ऐसा स्पिनर नहीं हुआ, जिसने वहां अपना दबदबा बनाया हो.

यहां तक कि दक्षिण अफ्रीका भी पाल एडम्स (19 मैचों में 57 विकेट), पॉल हैरिस (18 मैचों में 48 विकेट) और निकी बोए (22 मैचों में 35 विकेट) जैसे कुछ स्पिनर ही पैदा कर पाया. अभी उसके पास केशव महाराज हैं, जिन्होंने अपनी धरती पर पांच टेस्ट मैचों में 20 विकेट लिये हैं.

अश्विन को अफ्रीकी धरती पर अपने विकेटों का खाता खोलना है

भारत के वर्तमान स्पिनरों अश्विन और जडेजा को दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर एक- एक टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला है. जडेजा ने एक मैच 6 विकेट लिए, लेकिन अश्विन को अभी इस देश में अपना खाता खोलना है. भारत के पिछले दौरे में जोहानिसबर्ग टेस्ट में 42 ओवर करने के बावजूद अश्विन को विकेट नहीं मिला था.

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द. अफ्रीका में भारत ने 17 टेस्ट मैचों में 13 स्पिनरों को उतारा है

दक्षिण अफ्रीका में भारतीय स्पिनरों के प्रदर्शन पर गौर करें, तो भारत ने अब तक वहां जो 17 टेस्ट मैच खेले हैं उनमें 13 स्पिनरों का उपयोग किया, जिन्होंने कुल 81 विकेट लिये, जो कि भारतीय गेंदबाजों को मिले कुल विकेटों (166 विकेट) का 32.80 प्रतिशत है. उसके अलावा उपमहाद्वीप की दो अन्य टीमों श्रीलंका (40.25 प्रतिशत) और पाकिस्तान (33.95 प्रतिशत) के स्पिनरों को ही दक्षिण अफ्रीका में थोड़ी अच्छी सफलता मिली.

..लेकिन तेज गेंदबाजों पर ज्यादा भरोसा दिखाया टीम इंडिया ने

भारत ने हालांकि दक्षिण अफ्रीकी धरती पर अपने स्पिनरों का सबसे अधिक उपयोग किया है. भारत ने 17 मैचों में लगभग 39 प्रतिशत (1202.4 ओवर) गेंदबाजी स्पिनरों से करवाई, लेकिन वह भी अधिकतर तेज गेंदबाजों के भरोसे अधिक रहा और उसने 1871.4 ओवर तेज गेंदबाजों से करवाए. इसलिए यह तय है कि ईशांत शर्मा, उमेश यादव, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह को अगले तीनों मैचों में अहम भूमिका निभानी पड़ेगी.

स्पिनरों ने विकेट के लिए औसतन 14.84 ओवर तक इंतजार किया

भारतीय तेज गेंदबाजों ने दक्षिण अफ्रीका में प्रति 11.27 ओवर में एक विकेट हासिल किया, जबकि स्पिनरों को इसके लिए औसतन 14.84 ओवर तक इंतजार करना पड़ा. यह अलग बात है कि स्पिनरों ने 21.46 प्रतिशत ओवर मेडन करके बल्लेबाजों पर दबाव भी बनाया. तेज गेंदबाज 19.02 प्रतिशत ओवर ही मेडन कर पाए.

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भारत के बाद दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर श्रीलंका (38.38), बांग्लादेश (38.29) और पाकिस्तान (35.66 प्रतिशत) ने अपने स्पिनरों का उपयोग किया, लेकिन इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया ने अपने तेज गेंदबाजों पर बहुत अधिक भरोसा दिखाया.

केपटाउन के न्यूलैंड्स में स्पिनरों को थोड़ा मदद मिलती रही है

इस दौरे में भारत को केपटान, सेंचुरियन और जोहानिसबर्ग में मैच खेलने हैं. इनमें से केपटाउन के न्यूलैंड्स में स्पिनरों को थोड़ा मदद मिलती रही है, जहां उनके नाम पर पिछले 10 वर्षों में 12 मैचों में 84 विकेट दर्ज हैं. इस बीच हालांकि तेज गेंदबाजों ने इस मैदान पर 274 विकेट लिये. स्पिनरों ने इन वर्षों में सेंचुरियन में नौ मैचों में 43 और जोहानिसबर्ग में सात मैचों में 30 विकेट लिये, जबकि इस दौरान इन्हीं मैदानों पर तेज गेंदबाजों ने क्रमश: 222 और 201 विकेट हासिल किए.

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