
भारत ने शुक्रवार को ओडिशा के सैन्य अड्डे से परमाणु क्षमता संपन्न सतह से सतह मार करने वाले पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया. यह जानकारी रक्षा अधिकारी ने दी.
देश में निर्मित 500 किलो से एक हजार किलो आयुध ले जाने की क्षमता वाले इस बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता 350 किलोमीटर है. पृथ्वी-2 का बालासोर जिले में चांदीपुर स्थित इंटेगरेटड टेस्ट रेंज से प्रक्षेपण किया गया. इसे दो इंजनों की मदद से तरल प्रणोदक द्वारा प्रक्षेपित किया गया और इसमें कौशल प्रक्षेप पथ सहित आधुनिक जड़त्वीय निर्देशन प्रणाली का भी प्रयोग किया गया है. यह प्रक्षेपण भारतीय सेना के नियमित प्रशिक्षण अभ्यास का हिस्सा है.
रक्षा विभाग से जुड़े सूत्र ने बताया कि परीक्षण अभ्यास के तहत इस परिष्कृत मिसाइल का चुनाव अक्सर प्रोडक्शन स्टॉक से किया जाता है और सम्पूर्ण प्रक्षेपण गतिविधि को एसएफसी द्वारा क्रियान्वित किया जाता है तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक इसकी निगरानी करते हैं. मिसाइल के प्रक्षेप पथ पर ओडिशा के तट के पास स्थित डीआरडीओ रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली और टेलीमेट्री स्टेशन के जरिए नजर रखी जाती है.
टेस्ट रेंज के निदेशक एम.वी.के.वी.प्रसाद ने बताया, ‘प्रक्षेपण सफल रहा. यह नियमित अभ्यास का हिस्सा था.’
सूत्रों ने बताया, ‘तय लक्ष्य बिंदु के नजदीक बंगाल की खाड़ी में डाउनरेंज टीम को जहाज पर तैनात किया गया था जिन्होंने इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखी. पृथ्वी-दो ऐसी पहली मिसाइल है जिसे भारत के प्रतिष्ठित इंटिग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के अंतर्गत डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है. इसे वर्ष 2003 में एसएफसी में शामिल किया गया था और अब यह एक सिद्ध तकनीक बन गया है. सूत्रों ने बताया कि यह परीक्षण एसएफसी के नियमित परीक्षण अभ्यास का ही हिस्सा था और इस पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की निगरानी थी.
सूत्रों के मुताबिक इस तरह के अभ्यास परीक्षण स्पष्ट रूप से भारत के किसी भी तरह के अभियान को लेकर उसकी तैयारी को दर्शाते हैं और यह भारत के सामरिक आयुध के प्रति विश्वसनीयता को भी प्रमाणित करता है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में पिछली बार पृथ्वी-दो मिसाइल का इसी परीक्षण केंद्र से सात जनवरी 2014, 28 मार्च 2014 को सफल परीक्षण किया गया था.
इनपुटः भाषा