
भारत ने पाकिस्तान और चीन से लगी सरहद पर निगरानी बढ़ाने के लिए अमेरिका से प्रीडेटर XP सर्विलांस ड्रोन खरीदने की तैयारी कर ली है. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अमेरिका यात्रा के दौरान प्रीडेटर ड्रोन खरीदने पर अंतिम मुहर लग सकती है. माना जा रहा है कि पर्रिकर का यह दौरा इस समझौते की अंतिम शर्ते तय करने में अहम भूमिका निभाएगा.
35 घंटे तक आकाश में चक्कर लगा सकता है प्रीडेटर ड्रोन
रक्षा मंत्रालय सेना को मानवरहित तकनीक से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. अमेरिका के साथ बढ़ते सैन्य संबंधों को देखते हुए भारत ने मानवरहित प्रीडेटर ड्रोन के बारे में बात की है. अमेरिकी सरकार ने पिछले साल भारत को प्रीडेटर XP बेचने के लिए जनरल ऐटॉमिक्स के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. नौसेना इन्हें हिंद महासागर की निगरानी करने के लिए खरीदना चाहती है. प्रीडेटर ड्रोन लगातार 35 घंटे तक आकाश में चक्कर लगा सकते हैं. इन्हें इस लिहाज से भी जरूरी माना जा रहा है कि चीन हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार जहाजों और पनडुब्बियों की मौजूदगी बढ़ा रहा है.
रक्षा जानकार मेजर जनरल पी के सहगल के मुताबिक लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक लगने वाली सरहद पर चीनी सेना के बार-बार घुसपैठ के मद्देनजर भारत इन मानवरहित विमानों के जरिए अपनी तैनाती को मजबूत करना चाहता है. इसी तरह पाकिस्तान से से लगने वाली सरहद पर घुसपैठ को रोकने और आतंकियों को निशाना बनाने में प्रीडेटर ड्रोन इस्तेमाल हो सकता है.
आतंकवादियों के खात्मे में जुटा प्रीडेटर ड्रोन
प्रीडेटर ड्रोन का इस्तेमाल अमेरिका अफगानिस्तान में कर रहा है. तालिबान प्रमुख बैतुल्ला महसूद भी प्रीडेटर ड्रोन हमले में ही मारा गया था. बैतुल्ला पर हवाई हमला किया गया था, लेकिन इस हमले की ट्राजेक्टरी और लक्ष्यभेदी कारस्तानी हजारों मील दूर अमेरिकी मिलिट्री बेस से संचालित हो रही थी. अमेरिका खासतौर से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अलकायदा और तालिबानी आतंकवादियों को खोजने और उन्हें समाप्त करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है.
यूएवी ड्रोन अमेरिकन आर्मी का प्रमुख हथियार
दुश्मन पर हमले के लिए ड्रोन में घातक मिसाइल लगी होती हैं. यह विमान बिना पायलट के चलता है और अपने दुश्मन को खोजकर तुरंत ही उसका सफाया कर देता है. लेजर गाइडेड बम और एयर टू ग्राउंट मिसाइल से लैस यह यूएवी ड्रोन अमेरिकन आर्मी का प्रमुख हथियार है. एक बार में लगातार 24 घंटे तक 26,000 फीट की ऊंचाई तक आकाश में रहने वाला ये रोबोफाइटर अमेरिकन आर्मी का मुख्य हथियार है. यह यूएवी प्रशिक्षित पायलटों द्वारा ऑपरेट किए जाते हैं. इन्हें ऑपरेट करने वाला शख्स टारगेट से 7,500 मील दूर इन्हें ऑपरेट करता है. प्रीडेटर ड्रोन आकाश में तीस घंटे से अधिक रह सकते हैं. इसका निर्माण जनरल ऐटॉमिक्स कंपनी ने किया है.
इन विमानों को लोकल एयरफील्ड से लांच किया जाता है, लेकिन नियंत्रण सेटेलाइट द्वारा अमेरिका के क्रूबेस द्वारा होता है. इसकी लंबाई 36 फीट तक होती है और इसके विंगस्पैन 66 फीट होती है. इसमें लगे कैमरे, इंफ्रारेंड सेंसर, राडार वीडियो और स्टिल इमेज लेते हैं. कुछ क्षेत्र जिनका इस्तेमाल मुख्यत: सर्विलांस के लिए किया जता है. कंट्रोलर वीडियो लक्ष्य को चुनने के लिए ड्रोन की वीडियो इमेज का इस्तेमाल करते हैं.
भारत बना रहा रुस्तम
अब बात करते हैं भारत में भारत यूएवी की, डीआरडीओ सेनाओं के लिए एक खास हथियार यूएवी रुस्तम बना रहा है. 1800 किलो वजन वाले रुस्तम-2 के डैनों की लंबाई 21 मीटर है. इस विमान का इस्तेमाल केवल सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जाएगा. यह विमान 350 किलो भार ले जाने में सक्षम है. साथ ही यह 36 घंटे तक हवा में रह सकता है, जबकि रुस्तम-1 के डैने केवल सात मीटर लंबे थे और वह 12-15 घंटे ही उड़ान भर सकता था. डीआरडीओ के डीजी एस क्रिष्टोफर के मुताबिक आने वाले दिनों इसे सैन्य मिशन जैसे टोह, निगरानी, लक्ष्य भेदन, लक्ष्य की पहचान, संचार रिले, नष्ट हुई क्षमता का आकलन और सिग्नल इंटेलीजेंस में प्रयोग किया जा सकेगा. इन खूबियों के साथ रुस्तम-2 की तुलना अमेरिकी प्रीडेटोर ड्रोन से की जा सकती है.
दुश्मन पर कड़ी नजर रखेगा निशांत
इसी तरह निशांत मानव-रहित टोही विमान यानि यूएवी का मुख्य काम है किसी भी इलाके की निगरानी और सर्वेक्षण करना यानि सर्विलांस और रिकोनिसेशंस. भारतीय सेना निशांत का फिलहाल उपयोग बॉर्डर इलाकों में करती है. इसके जरिए बॉर्डर पर नजर रखी जाती है कि कहीं दुश्मन हमारी सीमा में घुसपैठ तो नहीं कर रहा है या दुश्मन को कोई विमान हमारी एयरस्पेस में तो नहीं घुस आया है. करीब साढ़े चार मीटर लंबा और 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से उड़ने वाला निशांत चार घंटे से ज्यादा तक हवा में उड़ सकता है. ये 10 से 12 किलोमीटर तक की किसी भी इमारत का पता लगा सकता है. साथ ही 4-5 किलोमीटर दूर जा रहे ट्रक या टैंक को भी आसानी से कैच कर लेता है.