
भारत को वैश्विक कारोबार के केन्द्र में बैठाने की कोशिशों के चलते देश की राजधानी दिल्ली में मौजूद प्रगति मैदान कन्वेंशन सेंटर का नए सिरे से निर्माण किया जा रहा है. पुराने प्रगति मैदान की जगह अब इंटरनेशनल लुक का इंटीग्रेटिड एग्जीबिशन-कम-कन्वेंशन सेंटर बनाया जा रहा है.
ढाई हजार करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट के तहत मौजूदा प्रगति मैदान के ढांचे को तोड़ दिया जाएगा. इसकी जगह स्टेट ऑफ दी आर्ट कंवेन्शन सेंटर बनाने की पूरा योजना तैयार है.
इंटीग्रेटिड एग्जीबिशन-कम-कन्वेंशन सेंटर तैयार करने के लिए सरकार ने जुलाई 2019 का टारगेट दिया है. फिलहाल पर्यावरण मंत्रालय को छोड़कर बाकी जरूरी एनओसी इस मेकओवर के लिए ले ली गई है. यहां बनने वाला कन्वेंशन सेंटर, मौजूदा विज्ञान भवन से भी पांच गुणा बड़ा होगा और चीन के बीजिंंग स्थित इंटरनेशनल कनवेंशन सेंटर से ये दो गुणा बड़ा होगा. और एग्जीबिशन के लिए एक लाख 22 हजार वर्ग मीटर स्पेस के साथ यहां स्टेट ऑफ दी आर्ट एम्फी थियेटर भी बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा ट्रेड फेयर और अन्य बिजनेस आयोजन के लिए यहां 7 कंवेन्शन हॉल भी बनाए जा रहे हैं.
कारोबारियों के लिए बनेगा 5 सितारा होटल
फिलहाल 123 एकड़ में फैले प्रगति मैदान में केन्द्र सरकार की योजना 3 एकड़ पर एक पांच सितारा होटल भी बनाया जाएगा. इस होटल का संचालन निजी कंपनी करेगी. हालांकि अभी केन्द्र सरकार को फैसला लेना है कि होटल के लिए जमीन निजी कंपनी को बेची जाए अथवा लीज पर दी जाए.
नए प्रगति के चारों तरफ होगी ट्रैफिक टनल
प्रगति मैदान रिडिवेलपमेंट प्लान के मुताबिक मथुरा रोड और आईटीओ के ट्रैफिक को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए चारों ओर के ट्रैफिक के लिए टनल प्लान को मंजूरी मिल गई है. इससे मथुरा रोड का बड़ा हिस्सा सिग्नल फ्री हो जाएगा और प्रगति मैदान के नीचे से ऐसी टनल भी बन जाएंगी जिससे ट्रैफिक को सीधे रिंग रोड पर पहुंचा दिया जाएगा.
बीजिंग कनवेंशन सेंटर से बड़ा होगा प्रगति मैदान
भारत सरकार की कोशिश दिल्ली को चीन की राजधानी बीजिंग स्थित इंटरनेशनल कनवेंशन सेंटर से बड़ा सेंटर देने की है. बीजिंग कन्वेंसन सेंटर की मौजूदा कपैसिटी 2300 लोगों की है. इसके साथ ही यहां एक साथ 70 एक्जिबीशन का आयोजन किया जा सकता है. बीजिंग स्थित यह कन्वेंशन सेंटर चीन में कारोबार करने के लिए पहुंचने वाली विदेशी कंपनियों के लिए विशेष तौर पर तैयार किया गया है. अब प्रगति मैदान के मेकओवर से भारत सरकार की कोशिश दिल्ली को ग्लोबल कारोबार के नक्शे पर एक बड़े खिलाड़ी की तरह पेश करने की है.