
दिल्ली के ताज पैलेस होटल में चल रहे 'इंडिया टुडे कॉनक्लेव 2015' में सचिन तेंदुलकर ने जैसे एंट्री की, उन्ाका बिल्कुल ऐसे स्वागत किया गया, जैसे बल्लेबाजी के लिए उतरते वक्त मैदान में होता था. सचिन ने कॉनक्लेव में अपने करियर और जीवन के ऐसे कई राज खोले, जिनसे दुनिया अभी तक अनजान थी. अरुण पुरी के भाषण के साथ IT कॉन्क्लेव शुरू
इंडिया टुडे कॉन्क्लेवः LIVE अपडेट
वर्ल्ड कप कौन जीतेगा
मैं सट्टेबाजी नहीं करता (हंसते हुए)... भारत जैसा खेल रहा है, मुझे लगता है कि टीम इंडिया ही वर्ल्ड कप जीतेगी. मैं टीम इंडिया के प्रदर्शन से बहुत प्रभावित हूं.
बेस्ट प्लेयर
क्रिकेट के अलावा बात करें रोजर फेडरर मेरे फेवरेट खिलाड़ी हैं. जोंटी रोड्स बेस्ट फील्डर है, जिन्हें मैंने देखा है. जोंटी भगवान की देन हैं.
रिटायरमेंट
दिमाग रिटायरमेंट के लिए तैयार नहीं था. मैं और क्रिकेट खेलना चाहता था, लेकिन शरीर ने साथ्ा नहीं दिया.
सबसे अच्छी बात
सबसे अच्छी बात है मैं क्रिकेट के लिए पागल हूं. मैं क्रिकेट एन्जॉय करता हूं और लोग मुझे देखना एन्जॉय करते हैं. लोगों से जो सम्मान और प्यार मिलता है, वो बहुत खास है.
सबसे ख्ाराब बात
14 साल की उम्र से ट्रैवल करना शुरू कर दिया था. परिवार और दोस्तों के साथ वो साल मिस कर दिए. मेरे दोस्त फिल्म देख रहे होते थे और मैं प्रैक्टिस कर रहा होता था. जिंदगी के दूसरे हिस्से में मैंने बच्चों के बर्थडे मिस किए, अंजलि के साथ वक्त नहीं बिता पाया. मेरा बेटा नहीं चाहता था कि मैं क्रिकेट खेलूं और बाहर जाऊं. डेढ़ महीने तक तो मैं अर्जुन की आवाज नहीं सुन पाया और मेरे लिए वो बहुत मुश्िकल वक्त था. बेटे से दूर रहना बहुत मुश्किल था.
अगर बेटा क्रिकेटर की बजाय एंकर बने
मैं चाहता हूं कि वो जिंदगी में खुश रहे. अगर वो इंडिया के लिए नहीं खेलता और जिंदगी में खुश है तो मुझे भी बहुत खुशी होगी.
सबसे बड़ा पछतावा
जब पाकिस्तान 2000-01 में इंडिया के दौरे पर आया था. हम चेन्नई में खेल रहे थे. हमारे हाथ में चार विकेट थे और 17 रन चाहिए थे. हम मैच हार गए और मुझे बहुत निराशा हुई. मैं अनफिट हो गया था. ड्रेसिंग रूम में सब बच्चों की तरह रो रहे थे. मैं बहुत हिम्मत करके मैन ऑफ द मैच लेने गया था. मुझे उस हार के लिए आज तक पछतावा है.
सचिन का सीक्रेट
फनी स्टोरी है, जब मैं पांच-छह साल का था, भाई को शेविंग करते हुए देखता था. भाई मुझे आफ्टर शेव लोशन टच भी नहीं करने देता था. मैं भाई का आफ्टर शेव लोशन बाथरूम में स्प्रे करके आता और उसे डिब्बे में वैसे ही रख देता.
कप्तान के तौर पर सफल न होने का पछतावा
क्रिकेट मेरे लिए टीम गेम है. जब मैं कप्तान था, तब कई मुश्किल दौरे हुए. वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका गए. हमनें पर्याप्त रन नहीं बनाए और 20 विकेट नहीं ले पाए. कप्तान अहम फैसले लेता है, लेकिन बल्लेबाजों और गेंदबाजों को अपना काम करना होता है. 12-13 महीने के बाद मुझे कप्तानी से हटा दिया गया तो मुझे निराशा हुई. कप्तान के तौर पर
मेरा कार्यकाल पर्याप्त नहीं था.