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Conclave16: ISIS के चंगुल से छूटे डेनियल ने सुनाई दहशत के गढ़ में टॉर्चर की कहानी

आईएसआईएस के चंगुल से बच निकले फोटोग्राफर डेनियल रे ऑटसन ने सुनाई आप बीती.

ब्रजेश मिश्र/स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 7:44 AM IST

दुनियाभर में कुख्यात बर्बर आतंकी संगठन आईएसआईएस के चंगुल से बच निकले फोटोग्राफर डेनियल रे ऑटसन ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव-2016 के मंच से अपने अनुभवों को साझा किया. गुरुवार को उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने आतंकी के गढ़ में दहशत वाले दिन गुजारे.

सवाल: जब आप सीरिया गए तो क्या हुआ?
जवाब: जब मैं सीरिया गया तो दो साल बाद सिविल वार शुरू हो गया. इसके बाद वहां मीडिया पहुंची. हमने सोचा कि हम एक ग्रुप से मिलेंगे और बात करेंगे और वो बाद में आईएसआईएस के आतंकी बन गए.

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सवाल: क्या उन्होंने आपको पहले दिन से टॉर्चर किया?
जवाब: उन्होंने मुझसे मेरे कंधे को देखकर पूछा कि तुम सीआईए एजेंट हो क्या. मैंने कहा कि नहीं मैं जिमनास्टि‍क करता हूं. शुरुआत में उन्होंने अच्छे से रखा. बाद में मुझे दूसरी जगह ले गए, जहां टॉर्चर किया गया.

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सवाल: क्या आपके सामने दूसरे लोगों को टॉर्चर किया गया?
जवाब: जब हमें टॉचर्र किया जाता, तो हम ग्रुप में रहते.  इस तरह हमें शक्ति‍ मिलती थी. वो हमें डराते थे, लेकिन हमने डरना छोड़ दिया था क्योंकि अगर हम डरते तो ये उनकी जीत होती.

सवाल: क्या कभी आपको ऑरेंज सूट पहनाया गया?
जवाब: हां, हमें ऑरेंज सूट दिया गया था. हर दिन हमें कुछ पकड़ा दिया जाता था, कभी कोई तस्वीर होती. हमें नहीं पता होता कि शायद ये नेगोशिएशन के लिए था. ये समझ में आ रहा था कि उनके डिफरेंट इंटरेस्ट हैं. कुछ नेगोशिएशन चल रहा था, पर हम नहीं जानते थे कि कुछ सही होगा या नहीं. जब मुझे रिहा किया गया उसके तीन हफ्ते बाद आईएस के ठिकानों पर बमबारी शुरू हो गई. अगर तीन हफ्ते और रुकता तो शायद मैं आज यहां नहीं होता.

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सवाल: आपकी रिहाई के लिए डेनमार्क में पैसे जुटाए गए?
जवाब: कुछ लोग मेरी रिहाई के लिए काम कर रहे थे. कुछ दोस्त थे. साथ काम करने वाले लोग थे. परिवार और दोस्तों ने सोशल मीडिया पर फंडिंग के लिए अपील की.

सवाल: आपको नहीं लगता कि वह पैसे आतंक के लिए इस्तेमाल हुए?
जवाब: यह बड़ा सवाल है. हमेशा यह बहस होती है. मेरा अपना भाग्य था, मेरे साथ जो अन्य लोग थे जेम्स भी, उनका अपना भाग्य है. एक फ्रेंच आदमी रिहा हुआ तो मैंने उसे एक चिट्ठी दी. मैं जेम्स को अच्छी तरह से जानता-समझता था. मैं उसके मां से मिला तो मैंने उसकी चिट्ठी में लिखी बातें सुनाईं.

सवाल: आप बताना चाहेंगे कि चिट्ठी में क्या कुछ लिखा था जेम्स ने?
जवाब: उसने यही लिखा था कि वह रिहा होना चाहता है और परिवार के साथ समय बिताना चाहता है.

सवाल: आपको हाथों से बांधकर सीलिंग से लटकाया गया?
जवाब: हां, वो हमें टॉर्चर करते थे. वो लोग हमें डराते थे. जब मैं सीरिया उनसे मिलने गया था तो मुझे नहीं पता था कि यह सब इतना बड़ा हो जाएगा. जब मुझे सीलिंग से लटकाया जाता, मैं देखता कि बच्चे मेरे इर्दगिर्द चक्कर काटते.

सवाल: क्या जिहादी जॉन बंदियों से डांस करवाता था, गाने के लिए कहता था?
जवाब: मुझे लगता है कि कैसे हम एक साथ रहे और डर को दूर किया यह ज्यादा महत्वपूर्ण है. हां, उन्होंने हमें गाने के लिए कहा. लेकिन मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण यह है कि ऐसी विषम परिस्थि‍ति में हम कैसे जीवित रहे. पश्चिम के लिए जिहादी जॉन आईएसआईएस का चेहरा था.

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सवाल: आप जेल से भागने में कैसे कामयाब रहे?
जवाब: मैंने एक फिल्म देखी थी. उसमें नाखून से हथकड़ी खोलते हैं. मैंने भी ऐसा ही किया. लेकिन डेढ़ घंटे में ही पकड़ा गया.

सवाल: क्या आपको एक ग्रुप से दूसरे ग्रुप को बेचा गया?
जवाब: इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन हां, हमें एक जगह से दूसरे जगह करीब आठ जगहों पर रखा गया. हम सभी बंदी आपस में स्पीच देते थे. गेम खेलते थे.

सवाल: छूटने के बाद अब क्या आगे क्या करना चाहते हैं. क्या आप अपनी कहानी लिखेंगे?
जवाब: मैं बतौर फोटोग्राफर फिर से काम शुरू करना चाहता हूं, लेकिन चीजें अब बदल चुकी हैं.

'IS में महिलाएं दूसरों को रिक्रूट भी कर रही हैं'
आईएसआईएस में महिलओं की भूमिका भी अहम रही है. 'आईएस से दुनिया को क्यों डरना चाहिए' इस मुद्दे पर 'लिपस्टिक जिहाद' की लेखिका और पत्रकार आजादेह मोआवेनी ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि आईएस में महिलाएं न लड़कियों को को रिक्रूट कर रही हैं, बल्कि आतंकियों से शादी भी कर रही हैं. आजादेह ने कहा कि जो महिलाएं आईएस ज्वॉइन करती हैं, मीडिया उनके बारे में मिथक पैदा करता है.

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