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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018: सोनिया बोलीं- 2019 में काम जीतेगा, जुमलों की होगी हार

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 17वें संस्करण में सोनिया गांधी ने कहा कि वह देश से पूछना चाहती हैं कि क्या मई 2014 से पहले देश एक ब्लैकहोल था और सिर्फ इस तारीख के बाद ही देश ने सब कुछ किया है.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 में सोनिया गांधी इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 में सोनिया गांधी
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 09 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST

सोनिया गांधी ने कहा कि आज देश में संसदीय नियमों का पालन नहीं हो रहा. संसद में हंगामे के लिए सरकार जिम्मेदार है. भविष्य में चुनाव लड़ने के बारे में उन्होंने कहा कि यह फैसला पार्टी को करना है.

मुंबई में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 17वें संस्करण में बोलते हुए यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कहा कि पब्लिक स्पीकिंग मेरे लिए बहुत स्वाभिक नहीं है लिहाजा मैं पढ़ने में ज्यादा समय देती हूं. अब मैं एक सामान्य कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी में हूं.

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सोनिया गांधी ने कहा कि वह देश से पूछना चाहती हैं कि क्या मई 2014 से पहले देश एक ब्लैकहोल था और सिर्फ इस तारीख के बाद ही देश ने सब कुछ किया है.

जानबूझकर दिए जा रहे उन्मादी बयान

उन्होंने कहा, 'सत्तारूढ़ सरकार की तरफ से उन्मादी बयान जानबूझ कर दिए जा रहे हैं और इसके गलत परिणाम हमारे सामने होंगे. मौजूदा समय में खुद के विषय में सोचने पर भी हमला किया जा रहा है. धार्मिक तनाव बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. दलितों और महिलाओं पर सुनियोजित हमले किए जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में उस भारत का क्या हुआ जो हम बनाना चाहते थे. हमें तेज चलने की जरूरत है लेकिन इतना तेज भी नहीं कि बड़ी जनसंख्या पीछे छूट जाए.

सोनिया गांधी ने कहा कि मैक्सिमम गवर्नमेंट का क्या मतलब है जब देश में लोगों को नौकरी नहीं दी जा सकती है. नोटबंदी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने किस तरह अर्थव्यवस्था को पीछे ढकेल दिया यह पूरा देश जानता है. वहीं किसानों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. हमें चीजों को उसी तरह देखने की जरूरत है जैसी वह वास्तविकता में हैं न कि उसे पैकेज करके.

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सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद अब उनके पास अधिक समय है. लिहाजा इस समय में वह राजीव गांधी से जुड़े पुराने दस्तावेजों को पढ़ने और परिवार की जिम्मेदारी निभाने में लगा रही है.

इंडिया टुडे के चेयरपर्सन अरुण पुरी ने जब उनसे पूछा कि क्या पार्टी का पद छोड़ने के साथ उनका राजनीतिक सफर खत्म माना जाए तो सोनिया ने कहा कि वह राहुल के साथ पार्टी के मामलों पर लगातार बातचीत करती रहती हैं. उनकी कोशिश है कि वह देश में एक सेक्युलर फ्रंट को तैयार करने में भूमिका अदा करें जिससे देश की राजनीति को अच्छी दिशा मिलती रहे.

दूसरों पर अपने विचार नहीं थोपती

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सलाह दिए जाने के मुद्दे पर सोनिया ने कहा कि वह अपना मत किसी पर थोपने की कोशिश नहीं करती है. लिहाजा यह जरूरी कि उन्हें उनका काम करने की पूरी स्वतंत्रता रहे. उन्होंने कहा कि पार्टी के सभी नेताओं का काम करने का अपना तरीका है. राहुल की भी अपनी स्टाइल है. उनकी कोशिश रही है कि कांग्रेस में नई जान फूंकने के कदम उठाए जाएं, हालांकि इस कोशिश में वरिष्ठ नेताओं को भूलने की नहीं बल्कि युवाओं को उनके साथ आगे लाने की है.

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कांग्रेस इन दिनों लगातार सिमटती जा रही है, चुनावों में मिल रही लगातार शिकस्त के बारे में सोनिया ने कहा कि कांग्रेस की लगातार 10 साल तक सत्ता में रही, लिहाजा 2014 में पार्टी के खिलाफ कुछ एंटीइन्कम्बेंसी बनी. पार्टी अपने सभी वादों को पूरा करने में नाकाम रही. इसके साथ ही कांग्रेस को नरेंद्र मोदी के सामने मार्केटिंग में मात खानी पड़ी.

सोनिया ने कहा कि कांग्रेस को आम आदमी से कनेक्ट करने के लिए एक नई स्टाइल की जरूरत है. इसके साथ ही कांग्रेस को अपने प्रोग्राम और पॉसिलीज को नए तरीके से पेश करने की जरूरत है.

बेहतर नेता थे वाजपेयी

उन्होंने कहा कि हमें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा. संसद में अहम मुद्दों पर चर्चा से सरकार भागती है. वर्तमान में संसदीय परंपराओं का पालन नहीं हो रहा.

एनडीए शासनकाल के 2 प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के बीच तुलना किए जाने पर सोनिया ने वाजपेयी की तारीफ की और कहा कि वह दूसरों का सम्मान करते थे. वह संसदीय परंपराओं का सम्मान करते थे. लेकिन अब संसदीय नियमों का पालन नहीं हो रहा है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा, 'मैंने सारी रामायण पढ़ ली और आप सीता के बारे में पूछ रहे हैं.'

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2019 का चुनाव जरुर जीतेंगे

वर्तमान मोदी सरकार के अच्छे दिन पर बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि 'अच्छे दिन' की स्थिति भी 'शाइनिंग इंडिया' जैसी हो गई है. 2019 में आम चुनाव में 'अच्छे दिन' का हाल भी 'शाइनिंग इंडिया' जैसा होगा. बीजेपी वादे पूरे नहीं कर सकी है और वह लोगों के उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी.

अगले आम चुनाव में यूपीए की जीत पर उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है कि यूपीए यह चुनाव जीतने में कामयाब रहेगी.

अपने राजनीतिक सफर के बारे में सोनिया ने कहा कि वह नहीं चाहती थी कि राजीव राजनीति में आएं, लेकिन उन्हें इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजनीति में आना पड़ा. इसी तरह वह खुद भी राजनीति में नहीं आना चाहती थी, लेकिन उन्हें भी मजबूरी में यह फैसला लेना पड़ा. कांग्रेस मुश्किल में थी, तो राजनीति में आना पड़ा. अगर वह ऐसा नहीं करती तो लोग कायर कहते.

हिंदी बोलने को कहती थीं इंदिरा

खुद प्रधानमंत्री नहीं बनने पर सोनिया ने कहा कि भरोसा था कि मनमोहन सिंह उनसे बेहतर प्रधानमंत्री साबित होंगे. उन्हें अपनी क्षमताओं के बारे में पता है.

हिंदी भाषा सीखने के बारे में उन्होंने कहा कि शुरुआत में उन्हें हिंदी में बोलने में दिक्कत होती थी. लेकिन इंदिरा गांधी उनसे हिंदी में ही बात करने को कहती थीं. शुरुआत में हिंदी बोलने में उन्हें खासी दिक्कत आई, यहां तक की उनकी अंग्रेजी भी अच्छी नहीं थी. हालांकि अब हिंदी बोल सकती हूं.

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2019 में चुनाव की संभावनाओं पर बोलते हुए सोनिया ने कहा कि उन्हें देश की जनता पर पूरा भरोसा है, अगला आम चुनाव हम ही जीतेंगे. 2019 में हम केंद्र में वापसी करेंगे.

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