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India Today Conclave East: 'सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल नेशनल लेवल का NRC है'

जादवपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी के प्रोफेसर मोनोजीत मंडल ने कहा कि असम में एनआरसी में 12 लाख हिंदू छूट गए इसलिए यह बिल लाया जा रहा है. इस बिल का असल इरादा ही है कि यह नेशनल लेवल एनआरसी है.

India Today Conclave में जादवपुर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर मोनोजीत मंडल India Today Conclave में जादवपुर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर मोनोजीत मंडल
aajtak.in
  • कोलकाता,
  • 06 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST

  • इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019 का आगाज
  • एनआरसी, सिटीजनशिप बिल पर हुई चर्चा
  • जानी-मानी हस्तियां हुईं शामिल, रखी राय

इंडिया टुडे ग्रुप के लोकप्रिय और चर्चित कार्यक्रम 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019' का आगाज हो गया है. 'सिटीजन कौन- एनआरसी बनाम नागरिकता संशोधन अधिनियम' सेशन में बीजेपी नेता चंद्र बोस, AIUDF नेता अमीनुल इस्लाम, जादवपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी के प्रोफेसर मोनोजीत मंडल, सुप्रीम कोर्ट के वकील उपमन्यु हजारिका और सुप्रीम कोर्ट के सेंटर फॉर रिसर्च एंड प्लानिंग के पूर्व प्रमुख कृष्ण महाजन ने अपनी राय रखी. मंच का संचालन राहुल कंवल, न्यूज डायरेक्टर, टीवी टुडे नेटवर्क ने किया.

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जादवपुर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर मोनोजीत मंडल ने चर्चा में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सेशन का जो विषय है उसमें प्रिपोजिशन की जगह कंजक्शन 'एंड' लगाना चाहिए क्योंकि दोनों के बीच कोई टकराव नहीं है. एनआरसी का काफी कुछ हिस्सा सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल में शामिल है तो मुझे यह नहीं लगता कि दोनों अलग-अलग चीजें हैं. पिछले कुछ दिनों में इस पर हुई चर्चा को आधार बनाकर देखें तो मुझे लगता है कि लोग इस बिल को लेकर कुछ ज्यादा समझ नहीं पा रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि इस बिल के भीतर जो असल इरादे छिपे हुए हैं वो लोगों तक नहीं पहुंच रहे. असम में एनआरसी में 12 लाख हिंदू छूट गए इसलिए यह बिल लाया जा रहा है. इस बिल का असल इरादा ही है कि यह नेशनल लेवल एनआरसी है. इस बिल का सबसे खतरनाक पार्ट यह है कि यह धार्मिक आधार पर होना है. यही सिंपल इक्वेशन है. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि विपक्ष खुलकर इसका विरोध नहीं कर रहा जबकि इसमें बहुत सारे डर छुपे हुए हैं.

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मंडल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि मेरा सवाल है कि यह बिल इस तरीके से क्यों तैयार किया गया, क्यों तीन देश छोड़ दिए गए. मेरे ख्याल से अफगानिस्तान का इससे कोई मसला ही नहीं था. म्यांमार, श्रीलंका और नेपाल क्यों छोड़े गए. ये सब पड़ोसी देश हैं. वजह है क्योंकि इन देशों में अल्पसंख्यक कौन थे सबको पता है. सिर्फ एक कम्यूनिटी को टार्गेट किया जा रहा है.

बांग्लादेश की बात करते हुए मंडल ने कहा कि पिछले 10-12 सालों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को कहां प्रताड़ित किया जा रहा है मुझे दिखाया जाए. बांग्लादेश हमारा बेहतर पड़ोसी मित्र देश रहा है. वहां आप जाओ तो देखते हैं कि अल्पसंख्यक बेहतर तरीके से रह रहे हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा कि विपक्ष इस बिल का एजेंडा समझ क्यों नहीं पा रहा है.

मंडल की इस बात का विरोध करते हुए बीजेपी नेता चंद्र बोस ने कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है. हम पूरे विश्व के देशों के उन लोगों का स्वागत नहीं कर सकते जिन पर उनके खुद के देश में प्रताड़ना हुई हो. हम उनकी मदद करना चाहते हैं जो लोग उन तीन देशों में प्रताड़ित किए गए. बोस ने आगे कहा कि यह सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल अंतिम नहीं है. इस पर चर्चा हो रही है, इसमें अमेंडमेंट किए जाएंगे.

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बीजेपी नेता बोस के इस जवाब पर मंडल ने पूछा कि अगर यह अंतिम नहीं है तो यह बिल संसद में पेश ही क्यों किया जा रहा है. जब आप असम के 3 करोड़ लोगों को नहीं संभाल पाए तो पूरे देश के 130 करोड़ लोगों को कैसे संभाल पाएंगे.

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