
सिटिजन अमेंडमेंट बिल (कैब) और एनआरसी क्या देश के लिए फायदेमंद हैं? क्या इससे घुसपैठ कम होगी? क्या इससे देश की धर्मनिरपेक्षता पर असर पड़ेगा? इन सवालों के जवाब देते पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह ने कहा कि सिटीजन अमेंडमेंट बिल अच्छी चीज है. यह देश की सुरक्षा के लिए बेहतर कदम है. इससे अभी आपको फायदा नहीं दिख रहा है, लेकिन लंबे समय में फायदा देगा. क्योंकि घुसपैठ और अन्य प्रकार के रिस्क मैनेजमेंट के हिसाब से ये काफी लाभप्रद होगा. जनरल बिक्रम सिंह कोलकाता में आयोजित इंडिया टुडे कॉनक्लेव ईस्ट में बोल रहे थे.
जनरल बिक्रम सिंह ने आगे बताया कि असम के कुछ लोग इससे खुश नहीं है. पहले हमें वहां के लोगों को बताना होगा कि इससे क्या फायदा होगा. इसके साथ ही पड़ोसी देशों को भी बताना होगा कि इससे हमारे रिश्तों पर लंबे समय में क्या नुकसान होगा या क्या फायदा होगा. इस फैसले से देश की सुरक्षा बढ़ेगी. जब आप कैब और एनआरसी को एकसाथ जोड़कर देखेंगे तो इससे किसी को नुकसान होता नहीं दिखता.
जो NRC में नहीं हैं उन्हें हम समुद्र में तो फेकेंगे नहीं
जनरल बिक्रम सिंह ने बताया कि जो लोग एनआरसी की सूची में शामिल नहीं हैं उन्हें हम समुद्र में तो फेकेंगे नहीं. ऐसा होगा भी नहीं. हमने बांग्लादेश को बताया है कि कैसे इस समस्या का समाधान करेंगे. हम ऐसा क्यों कर रहे हैं. बांग्लादेश ने उत्तर पूर्व में घुसपैठ को बढ़ाया है. साथ ही उन्होंने आतंकियों को हमारे हवाले भी किया है. शेख हसीना ने ऐसे मामलों में हमारी काफी मदद की है.
हम किसी को भगा नहीं रहे हैं, हम अपने नागरिकों की गिनती कर रहे हैं
इस मुद्दे पर सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के एडिशिनल सेक्रेटरी शंभु सिंह ने कहा कि अगर कैब की भाषा पर ध्यान दें तो उसमें साफ लिखा है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भारत में आकर प्रवास चाहते हैं तो हम उन्हें तय समय में तय समय के लिए रहने की अनुमति देंगे. अब आप एनआरसी की बात करेंगे तो प्रशासनिक तौर पर यह बेहद कठिन काम है. 1951 में असम एनआरसी हुआ था.
जनगणना और एनआरसी में अंतर है और यह जरूरी है
शंभु सिंह ने कहा कि सेंसस और एनआरसी में अंतर है. सेंसस यानी जनगणना में एक तय तारीख पर भारत की सीमा में रहने वाले हर व्यक्ति की गिनती होती है. लेकिन, अगर किसी देश को चाहिए कि उसके हर व्यक्ति की जानकारी उसके पास होनी चाहिए. तो उसे एनआरसी की जरूरत पड़ती है. उसमें कुछ गलत नहीं है. असम की 1951 की एनआसी की डिटेल्स अब तक नहीं है. पूरी नहीं हैं.
कैब-एनआरसी से देश की धर्मनिरपेक्षता को खतरा नहीं
शंभु सिंह ने कहा कि कैब और एनआरसी से सेक्यूलर वैल्यू कम नहीं होती. ये बात समझने की है. लोग इसके अलग मतलब निकाल सकते हैं. इससे देश के किसी कानून को नुकसान नहीं पहुंचता. इसी देश ने अदनान सामी को भी नागरिकता दी है. वह भी धार्मिकता के मुद्दे को दरकिनार करते हुए.
हमें यहां संवेदनशीलता का ध्यान रखना होगाः ले. जन. शौकीन
लेफ्टिनेंट जनरल शौकीन चौहान ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि राष्ट्र में रहने वाले लोग कौन हैं. लेकिन यहां बेहद संवेदनशील लोग भी रहते हैं. जैसे नगालैंड में. हमें उनकी संवेदनशीलता का ख्याल रखना होता है. हमें सभी संवेदनशील समुदायों का ख्याल रखते हुए कैब और एनआरसी का काम पूरा करना होगा. ये देश के लिए बेहद जरूरी है.