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राज्यपाल बनने से पहले पीएम मोदी से मिला तक नहीं थाः धनखड़

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस राज्य का गवर्नर बनने से पहले मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कभी मिला भी नहीं था. पहली बार तभी मिला जब पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया. उससे पहले मेरी कभी उनसे बात नहीं हुई थी.

इंडिया टुडे कॉनक्लेव ईस्ट में बोलते पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़. इंडिया टुडे कॉनक्लेव ईस्ट में बोलते पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़.
aajtak.in
  • कोलकाता,
  • 07 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

  • मैं केंद्र सरकार नहीं संविधान के हिसाब से चलता हूं
  • सीएम को भेजे पत्र का जवाब कोई सेक्रेटरी देता है

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस राज्य का गवर्नर बनने से पहले मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कभी मिला भी नहीं था. पहली बार तभी मिला जब पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया. उससे पहले मेरी कभी उनसे बात नहीं हुई थी. इसपर ममता बनर्जी, उनकी सरकार, उनके मंत्रियों या मीडिया की ओर से ये कहा जाना कि मैं केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकार पर निगरानी रख रहा हूं. ये गलत है. राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद होता है और मैं उस पद की गरिमा का पूरा ख्याल रखते हुए पूरे मन से काम कर रहा हूं. राज्यपाल धनखड़ कोलकाता में आयोजित इंडिया टुडे कॉनक्लेव ईस्ट में संबोधित कर रहे थे.

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एक कार्यक्रम में मुझे पांचवें नंबर पर बोलने का मौका दिया गया

एक कार्यक्रम के दौरान मुझे बतौर गेस्ट संबोधन करना था, लेकिन विधानसभा के स्पीकर ने उस कार्यक्रम में मुझे पांचवें नंबर पर बोलने का मौका दिया था. मैंने उनसे रिक्वेस्ट किया था कि मुझे 50वें गवर्नर कॉन्फ्रेंस में जाना है. कृपया मेरा नंबर थोड़ा आगे कर दीजिए लेकिन वे नहीं माने. अब आप खुद ही देख लीजिए कि किस तरह से ये सरकार मेरे साथ व्यवहार कर रही है. मैं चाहूं तो अपने पद के अनुरूप स्पीकर, सरकार या किसी भी प्रशासनिक अधिकारी पर कार्यवाही कर सकता हूं लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहता. मैं चाहता हूं राज्य की हर तरह की समस्याएं बैठकर बातचीत करके खत्म की जाएं.

मैं पत्र लिखता हूं सीएम को, जवाब आता है सेक्रेटरी की तरफ से

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राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि मैंने कई मुद्दों पर सीएम ममता बनर्जी को कई बार पत्र लिखा. ज्यादातर समय ये होता है कि सीएम के बजाय उस पत्र का जवाब किसी सेक्रेटरी की तरफ से आता है. मुझे समझ में ये नहीं आता कि ये कैसा रिस्पॉन्स है? लोग मुझे गलत समझेंगे. लेकिन मैं बोलूंगा - जो लोग विधानसभा का गेट बंद कर सकते हैं वो इमरजेंसी भी लगा सकते हैं. यूनिवर्सिटी के वीसी भाग जाते हैं. कोई मुझसे मिलता नहीं है. बात नहीं करता.

यहां की सीएम ममता बनर्जी मेरे खिलाफ मिशन मोड पर हैं

पश्चिम बंगाल के लोकल चैनल और स्थानीय मीडिया भी ममता और उनके मंत्रियों के इशारे पर चलती है. ये लोग मुझे परेशान करने की कोशिश करते हैं. मेरा नाम उछालते हैं. यहां की सीएम लगातार मेरे खिलाफ मिशन मोड पर हैं. आप अखबार पढ़ो. आप देखोगे कि मेरे खिलाफ कितना कुछ लिखा रहता है. मैं संवैधानिक पद पर हूं. मुझे प. बंगाल के लोगों की सेवा करनी है. लेकिन सीएम मिशन मोड में हैं. लोगों से उल्टा-सीधा कहेंगी तो कैसे चलेगा? राज्यपाल के पद की इज्जत नहीं करेंगी तो कैसे चलेगा?

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