
PoK में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से पाकिस्तानी सेना बैकफुट पर आ गई है. भारत की खुफिया एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेना प्रमुख के साथ चल रही खींचतान के बीच घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी इज्जत बचाने की मुहिम में जुट गए हैं.
आज तक से बात करते हुए वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि 'पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच तनाव की खबरों में सच्चाई तो है लेकिन ये झगड़ा उस वक्त विकराल रूप ले सकता है जब नवाज और राहील के बीच बराबरी का मुकाबला हो.'
लंबे समय से मोदी सरकार ये समझती आई है कि नवाज शरीफ को लगता है कि गुप्त ऑपरेशन और हिंसा के जरिए कश्मीर मसले का हल नहीं निकाला जा सकता. दूसरी तरफ पनामा पेपर लीक के बाद से नवाज असुरक्षित महसूस करने लगे. वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि 'सेना द्वारा तख्तापलट के डर से उन्होंने अपना ज्यादा वक्त लाहौर में बिताना शुरू कर दिया. इस दौरान वो सेना के हाथ की कठपुतली बन गए.'
सरकार को लगता है कि पनामा पेपर लीक से हुई बदनामी के बाद सेना ने सरकार को सीधा संदेश दे दिया था कि या तो वो लाइन पर आ जाए या तख्तापलट के लिए तैयार रहें. ब्लैक मनी का हेवेन कहे जाने वाले पनामा के अकाउंट्स में नवाज के बेटे और बेटी का नाम पेपर लीक में आने के बाद से उन्होंने सेना के अधीन काम करना स्वीकार कर लिया. मोदी सरकार का मानना है कि देश के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत में ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब की सफलता ने पाकिस्तानी सेना का हौसला बढ़ गया है. उसकी हिम्मत चीन के साथ बनने जा रहे इकॉनोमिक कॉरिडोर से भी काफी बढ़ी है.
हालांकि, सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान के मौजूदा हालात बिल्कुल बदल गए हैं. वहां की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है. भारत की खुफिया एजेंसियों की मानें तो नवाज शरीफ की सरकार इस मौके का फायदा उठाकर ये प्रचार करने में लगी है कि कैसे सेना द्वारा आतंक को समर्थन करने से आज पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग पड़ गया है.
पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज चौधरी की बनाई प्रेजेंटेशन से पता लगता है कि पाकिस्तान की ओर से उठाया गया कश्मीर में मानवाधिकार हनन का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई कमाल नहीं दिखा सका. 'इंडिया टुडे' द्वारा जुटाई गई जानकारी से पता लगा है कि इस मुद्दे पर पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए कोई भी देश तैयार नहीं हुआ. इस मुद्दे को लेकर सबसे उच्च स्तरीय बातचीत सेक्रेट्री लेवल पर हुई. इससे पता चलता है कि अन्य देश भी पाकिस्तान के मानवाधिकार हनन के मुद्दे को सुनने में जरा भी दिलचस्पी नहीं रखते.
मोदी सरकार का मानना है कि पाकिस्तान में नए सेना प्रमुख के नाम की घोषणा के बाद स्थितियों में बड़ा बदलाव होगा. दनरल राहील शरीफ नवंबर में रिटायर हो रहे है. उन्होंने अपने कार्यकाल को बढ़ाए जाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. लेकिन अगर वो पाकिस्तानी सेना को इस दौरान और ऐसे हालात में छोड़कर जाते हैं तो इससे पाकिस्तानी सेना बड़ी मुश्किल में पड़ सकती है. संभावना जताई जा रहा है कि उनका प्रमोशन करके उन्हें फील्ड मार्शल बनाया जा सकता है. परवेज मुशर्रफ के साथ हुए कड़वे अनुभवों की वजह से इस बार नवाज शरीफ अगला सेना प्रमुख अपनी पसंद से नियुक्त करना चाहते हैं.