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Exclusive: कश्मीर में पत्थरबाजी के फाइनेंसर ने खुफिया कैमरे पर कबूला सच

इंडिया टुडे की विशेष जांच टीम (SIT) ने अब अपनी तहकीकात में पत्थरबाजों के धूर्त फाइनेंसर्स को बेनकाब किया है. ये हमेशा माना जाता रहा है कि कश्मीर घाटी में गर्मियों में फैलाई जाने वाली गड़बड़ी के तार सरहद पार बैठे स्पांसर्स से जुड़े होते हैं.

ऑपरेशन विलेन्स ऑफ वैली ऑपरेशन विलेन्स ऑफ वैली
खुशदीप सहगल
  • दिल्ली/श्रीनगर,
  • 16 मई 2017,
  • अपडेटेड 10:59 AM IST

दो महीने पहले मार्च में इंडिया टुडे ने कश्मीर के कुछ दुर्दांत पत्थरबाजों को अपनी करतूतों को खुद अपने मुंह से बयान करते दिखाया था. इनमें से एक जाकिर अहमद बट ने बताया था कि किस तरह उसने एक कार पर पेट्रोल बम फेंक कर दो लोगों की जान ले ली थी. इंडिया टुडे ने बट को कैमरे पर ये कबूल करते दिखाया था कि किस तरह उसके पास हैंडलर्स से पैसा पहुंचता था. उनका सिर्फ एक ही मंसूबा था- घाटी को बंधक बना कर रखना.

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इंडिया टुडे की विशेष जांच टीम (SIT) ने अब अपनी तहकीकात में पत्थरबाजों के धूर्त फाइनेंसर्स को बेनकाब किया है. ये हमेशा माना जाता रहा है कि कश्मीर घाटी में गर्मियों में फैलाई जाने वाली गड़बड़ी के तार सरहद पार बैठे स्पांसर्स से जुड़े होते हैं. लेकिन पहली बार इंडिया टुडे को इस संबंध में पुख्ता सबूत जुटाने में कामयाबी मिली है. इन सबूतों से साफ होता है कि घाटी में दिखाए जाने वाले गुस्से की स्क्रिप्ट किस तरह पाकिस्तान लिखता है. साथ ही घाटी के असली खलनायकों का काले चिट्ठे का भी खुलासा होता है.

हुर्रियत के गिलानी धड़े का प्रांतीय अध्यक्ष नईम खान से इंडिया टुडे की विशेष जांच टीम के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने संपर्क साधा और खुद को काल्पनिक धनकुबेर बताते हुए कश्मीर के अलगाववादियों को फंडिंग की इच्छा जताई. नईम फिर चोरी छुपे ढंग से अंडर कवर रिपोर्टर्स से मिलने दिल्ली तक पहुंच गया. नईम ने जो खुलासे किए वो चौंकाने वाले थे. नईम खान कैमरे पर ये कहते हुए कैद हुआ कि 'पाकिस्तान पिछले 6 साल से कश्मीर में बड़ा प्रदर्शन खड़ा करने के लिए हाथ-पैर मार रहा है.' घाटी में हिंसा को बढ़ावा देने के लिए किस स्तर पर पैसा धकेला जा रहा है, इस पर नईम खान ने कहा, 'पाकिस्तान से आने वाला पैसा सैकड़ों करोड़ से ज्यादा है, लेकिन हम और ज्यादा की उम्मीद करते हैं.'

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एक के बाद एक बेचैन करने वाले खुलासों की कड़ी में ये तो सिर्फ एक छोटा सा ही हिस्सा है. हुर्रियत नेता ने ये भी साफ किया कि किस तरह इस्लामाबाद काले धन की धुलाई को भी अंजाम दे रहा है. ऑन रिकॉर्ड किसी भी कश्मीरी अलगाववादी नेता ने पहली बार ये खुलासा किया है.

नईम खान ने कहा, 'फंड हर तीन या छह महीने में आता है. कभी कभी रकम सऊदी अरब के रास्ते आती है. कभी ये किस्तें कतर के जरिए आती हैं.' इंडिया टुडे ने जांच में पाया कि किस तरह राष्ट्रीय राजधानी के दिल में, बल्लीमारान और चांदनी चौक की संकरी गलियों में अलगाववादियों से हमदर्दी रखने वाले इस हवाला कारोबार को अंजाम देते हैं.

नईम खान ने कहा, 'सारा पैसा दिल्ली से घूमकर आता है. हम से जुड़ाव रखने वाले अपना कमीशन काटने के बाद फंड की डिलीवरी करते हैं.' दिल्ली के रास्ते आने वाले फंड में काफी बढ़ोतरी हुई है क्योंकि इस तरह की डिलीवरी को सरहद पार से होने वाली स्मगलिंग से सुरक्षित माना जाता है.

हुर्रियत की अंदर की जानकारी रखने वाले शख्स ने स्कूलों को जलाने में भी अपने गुट की भूमिका का खुलासा किया. कश्मीर में सर्दियों के चार महीनों में 31 स्कूलों को आग लगाई गई. लगभग 110 सरकारी इमारतों को भी नुकसान पहुंचाया गया. नईम खान ने बड़ी शेखी के साथ इन हमलों को अपने समर्थन का जिक्र किया. नईम खान ने कहा, 'आपको अव्यवस्था के लिए अफरातफरी की जरूरत होती है. ये मतलब नहीं रखता कि इसके मायने चाहे रेलवे स्टेशन, पुलिस स्टेशन, स्कूल, पंचायत इमारतें जलाना हो. अल्लाह हमें महफूज रखे, अस्पतालों को इससे अलग रखा जाना चाहिए. गड़बड़ी के लिए हमें कुछ खास चीजे करनी होती है.' नईम खान ने आंखों में चमक के साथ कहा, 'उन्हें जलाया गया क्योंकि हम वहां मौजूद थे. हमारे समर्थन के बिना कुछ भी संभव नहीं था.'

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अलगाववादियों ने साफ तौर पर अपना रोडमैप बना रखा है. कश्मीर घाटी को उबाले रखना उनके एजेंडे में सबसे ऊपर आता है. उनके कपटी मंसूबे की एक एक कर परतें इंडिया टु़डे अंडरकवर रिपोर्टर्स के सामने खुलती गईं.

गाजी जावेद बाबा तहरीक-ए-हुर्रियत का नेता है. बाबा ने अंडर कवर रिपोर्टर्स को बताया- 'इसकी भरपाई जब तक आर्थिक तौर पर होती है. हालात खराब रहेंगे. खराब भूल जाओ, हड़तालें जारी रहेंगी. विरोध मार्च निकाले जाते रहेंगे.किसी दुकान को खुलने की इजाजत नहीं दी जाएगी, कोई वाहन नहीं चलने दिए जाएंगे.' इसी कड़ी में नईम खान ने जोड़ा- अगर 300-400 करोड़ रुपए और झोंके जाते हैं तो अशांति तीन महीने और तक खींची जा सकेगी. थकान अपना असर ना दिखाने लगे इसके लिए हमें और झंडे जलाने होंगे.

ये खुलासा शैतानी है. पाकिस्तान की ओर से 400 करोड़ रुपए जितनी बड़ी रकम घाटी में एक शहर से दूसरे शहर में आग फैलाने के लिए झोंकी जा चुकी है. साथ ही इनके नापाक एजेंडे में भारतीय झंडों को जलाना भी शामिल है.

अब सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात. सैयद अली शाह गिलानी के गुर्गे ने अपने चीफ के तार सीधे पाकिस्तान से जोड़े. नईम खान ने कहा, 'गिलानी की जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान में है. हमारे लोग वहां हैं. अब वो चाहे नवाज शरीफ के साथ हों या दूसरों के साथ.' नईम खान ने ये भी कहा, 'गिलानी साहब हफीज सईद के साथ भी किसी तरह संपर्क में हैं. सईद की ओर से गिलानी को कश्मीर में फंड दिया जाता है. मैं हर चीज के बारे में नहीं पूछता लेकिन जहां तक मेरी जानकारी में है, ये रकम 10-20 करोड़ रुपए से ज्यादा है.'

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अपने आप में ये पहले साफ सबूत हैं जो कश्मीर के अग्रणी अलगाववादियों में से एक गिलानी और भारत के सर्वाधिक वांछित हाफिज सईद के बीच सीधा जुड़ाव स्थापित करते हैं.

हुर्रियत के इनसाइडर के पास इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स के सामने खुलासा करने को अब भी बहुत कुछ बाकी था. उससे ये भी पता चला कि पिछले एक साल में हाफिज सईद की ओर से कश्मीर में आने वाली फंडिंग में काफी इजाफा हुआ है. नईम खान ने कहा, वो (सईद) पहले इतना सब कुछ नहीं करता था. उसका अपना संगठन है. लेकिन उसने पिछले साल किया जो कि काफी ठीक था. नईम ने ये भी बताया कि फंडिंग को किस तरह अलग अलग अलगाववादी संगठनों में बांटा जाता है. नईम खान ने कहा, 'जब इतना बड़ा संगठन चलाया जाता है, तो कई जगहों पर ये जाता है. गिलानी चेयरमैन हैं. पैसा पहले उनके पास जाता है. उसके बाद मीरवाइज और यासिन मलिक के पास पहुंचता है.'

ये सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं है जहां से घाटी में फंड आता है. इंडिया टुडे की जांच से ये भी सामने आया कि कुछ अलगाववादी कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा देने के लिए देश के अंदर से भी पैसे जुटाने में लगे हो सकते हैं.

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जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के चेयरमैन का नाम फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे है. इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने डार से काल्पनिक कॉरपोरेट लॉबिस्ट्स के तौर पर मुलाकात की और पैसे के दम पर विरोध प्रदर्शनों के जरिए राज्य सरकार को अस्थिर करने की इच्छा जताई. डार ने कहा, 'हम 2016 के पैटर्न की तरह ये काम कर सकते हैं. हमारे साथ बहुत सारे युवा लोग हैं. लोग सड़कों पर आ जाएंगे. सब कुछ, सारा कारोबार ठप हो जाएगा. प्रदर्शनों का आयोजन होगा. ये ठोस आंदोलन होगा.हमारे कैडर हर जिले में हैं.' हालांकि डार ने ये भी साफ किया कि ये सब मोटी कीमत अदा करने के बाद ही हो सकता है. डार ने कहा, 70 फीसदी लोग शाम के खाने के लिए पूरा दिन काम करते हैं. अगर आप इसे लंबा खींचना चाहते हैं तो उन्हें सक्रिय करना होगा. मेरे दखल के लिए ये 70 करोड़ रुपए होगा. हम इसे 6 महीने तक और बढ़ा सकते हैं.'

बीते 23 साल से जेकेएलएफ खुद के राजनीतिक संगठन होने का दावा करता रहा है. साथ ही ऐसा संगठन होने का दावा करता है जो 'एलओसी के दोनों ओर पूरे कश्मीर की मुकम्मल आजादी' चाहता है. लेकिन इंडिया टुडे की जांच ने जेकेएलएफ के असली चेहरे को बेनकाब कर दिया.

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जावेद बाबा ने घरेलू स्तर से आने वाले फंड का भी खुलासा किया. जावेद ने कहा, मैं हाई सोसायटी से आने वाले बड़े कारोबारियों के पास मदद के लिए जाता हूं. जो वो मुहैया कराते हैं. मुझे 200 से 10,000 से डोनेशन मिलता है. ये प्रदर्शनकारियों में बांट दिया जाता है. पैसे से ये सुनिश्चित होता है कि हड़ताल आगे भी खींचेगी. विरोध मार्च होंगे. किसी दुकान को नहीं खुलने दिया जाएगा. ट्रांसपोर्ट ठप रहेगा.'

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