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रिपोर्टिंग के बैरियर्स को पार कर इंडिया टुडे ग्रुप ने बुंदेलखंड को भेजी राहत

समाज के वंचित तबके की व्यथा को आवाज देने का पत्रकारिता धर्म पूरा करने के साथ इंडिया टुडे ग्रुप ने सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत एक और बड़ा कदम उठाया.

इंडिया टुडे ग्रुप ने बुंदेलखंड भेजी राहत सामग्री इंडिया टुडे ग्रुप ने बुंदेलखंड भेजी राहत सामग्री
मौसमी सिंह/शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • बांदा/लखनऊ,
  • 04 जून 2020,
  • अपडेटेड 10:38 PM IST

  • इंडिया टुडे ग्रुप का सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत एक और कदम
  • इंडिया टुडे ग्रुप ने बुंदेलखंड में जरूरतमंदों तक पहुंचाई राहत सामग्री

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के एक गांव का राजकुमार भूख को अनलॉक न कर सका और कुछ दिन पहले इस दुनिया को अलविदा कह गया. बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाला बांदा जिला भूख और गरीबी से अभिशप्त है. महामारी की वजह से लॉकडाउन ने रही सही कसर और पूरी कर दी. आजतक/इंडिया टुडे ने हाल ही में इस क्षेत्र की बेहाली को दुनिया को दिखाया.

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समाज के वंचित तबके की व्यथा को आवाज देने का पत्रकारिता धर्म पूरा करने के साथ इंडिया टुडे ग्रुप ने सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत एक और बड़ा कदम उठाया और वो कदम है देश के सबसे पिछड़े माने जाने वालों में से एक इस क्षेत्र में समाज के निचले पायदान पर खड़े जरूरतमंदों तक राहत पहुंचाने का.

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ये एक उम्मीद है... एक जज्बा है... एक विश्वास है दिक्कतों से पार पाने का...मिलकर संकट से निकलने का...इंडिया टुडे ग्रुप पहुंच रहा है गरीबों में भी सबसे गरीब तक... उनके दर्द को बांटने... उनका बोझ कम करने... उनके आंसू पोछने... रिपोर्टिंग के बैरियर्स को पार कर उत्तर प्रदेश के कुपोषित क्षेत्र बुंदेलखंड तक राहत पहुंचाने के लिए उठाया गया एक कदम...

इंडिया टुडे ग्रुप ने बुंदेलखंड भेजी राहत सामग्री

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चंद दिन पहले बांदा जिले के गांवों के जो लोग रोते-बिलखते अपनी भूख और बेहाली बता रहे थे वो अब आजतक/इंडिया टुडे का शुक्रिया अदा नहीं करते थक रहे. रिपोर्ट में जिसने भी इनका दर्द जाना, उसका कलेजा मुंह को आ गया. चाहे वो कुछबंधिया पूर्वा गांव में मौत से चंद दिन पहले राजकुमार का बयान हो... या फिर खेरवा गांव में नन्हे मासूम यश का ये बताना कि उसकी झोपड़ी के बाहर भूख क्यों लिखा हुआ है.

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आजतक/इंडिया टुडे ने इस दर्द को देखा, सुना... महसूस किया... दुनिया के सामने अलार्म बजाया... लेकिन मौत बेरहम होती है... वो इंतजार नहीं करती... 21 मई को राजकुमार ने कहा था- 'लॉकडाउन हो गया, ना कहीं जा पा रहे हैं. ना काम है, ना दवाई मिल पा रही है, 4 दिन से कुछ नहीं खाया है, भूखे मर रहे हैं.'

इंडिया टुडे ग्रुप ने बुंदेलखंड भेजी राहत सामग्री

मौत और बीमारी साइलेंट किलर्स होते हैं. राजकुमार जैसे ही इस क्षेत्र में अनगिनत परिवार है जो बेरोजगारी, पैसे की किल्लत और भूख से बेहाल हैं. इंडिया टुडे ग्रुप के सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी विंग ‘केयर टुडे’ ने बांदा जिले के चार गांव के 200 परिवारों के लिए राशन की व्यवस्था की है. इनसे उनके जख्म तो नहीं भरेंगे लेकिन थोड़ी रहत जरूर मिलेगी.

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यह भी पढ़ें: श्रमिक ट्रेन में भूख से मजदूरों की मौत, NHRC ने रेलवे और राज्यों को भेजा नोटिस

कुछबंदिया गांव के रहने वाले राजकुमार का ताल्लुक घुमंतु समुदाय से था. इस समुदाय के 1400 सदस्यों के खाने का इस राशन से इंतजाम हो सकेगा. केयर टुडे ने बांदा जिले के चार गांवों- खेरवा, कुछबंदिया पूर्वा, खम्भौर और राजाराम का पूर्वा में सबसे जरूरतमंद परिवारों की पहचान की और उन तक तत्काल राहत पहुंचाने का बीड़ा उठाया. सामाजिक कार्यकर्ता राजा भैया ने इस पहल के लिए आजतक/इंडिया टुडे का आभार जताया.

क्षेत्र के ही रहने वाले छोटे ने परिवार के साथ भोजन करते हुए कहा कि कई दिनों बाद उन्हे भर पेट खाना खाने को मिला. अब वो आश्वस्त है कि उसके बच्चों को खाली पेट नहीं सोना पड़ेगा. ऐसी स्टोरी करने वाले पत्रकारों के लिए भी ये महज एक स्टोरी नहीं जिंदगी में कभी न भूलने वाले लम्हे होते हैं. ऐसे लम्हे जो किसी की आखों से आंसू मिटा कर उसके चेहरे पर मुस्कान ला सके, जिनसे मासूमों को खिलखिलाने का मौका मिल सका.

आजतक/इंडिया टुडे महामारी के इस दौर में असल मुद्दों को आपके सामने लाने के साथ अपने सामाजिक दायित्व के तहत जरूरतमंदों तक राहत भी पहुंचा रहा है. लेकिन ये एक तात्कालिक राहत है. बांदा जैसे पिछड़े जिलों के लिए जरूरत है एक पुख्ता रणनीति बनाए जाने की. ताकि फिर किसी राजकुमार को भूख से दम न तोड़ना पड़े और न ही किसी नन्हे यश की झोपड़ी के बाहर भूख लिखा होने की नौबत आए.

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