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राम मंदिर पर बोले राज्यपाल टंडन- जहां से न्याय मिलना था, वहीं अवरोध खड़ा हो गया

अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे पर इंडिया टुडे स्टेट ऑफ स्टेट्स बिहार मंच पर पहुंचे प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि ये मामला जिसे एक सुनवाई में फैसला किया जा सकता है.

राज्यपाल लालजी टंडन (फोटो-india today) राज्यपाल लालजी टंडन (फोटो-india today)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

इंडिया टुडे स्टेट ऑफ स्टेट्स बिहार मंच पर राज्य के गवर्नर लालजी टंडन ने सभी मुद्दों पर अपनी बातें बेबाकी से रखी. राम मंदिर पर पूछे गए सवाल में उन्होंने कहा कि इस मामले में न्याय जहां से मिलना चाहिए, वहां से अवरोध खड़ा हो गया है.

उन्होंने कहा कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां न्याय व्यवस्था को दुनिया भर में सम्मान की नजर से देखा जाता है. अयोध्या मामले पर डेढ़ सौ साल से करोड़ लोग लड़ रहे हैं. हम इसके साक्षी हैं. इस मामले में समाधान की कोशिश की गई, लेकिन न्याय पालिका में मामला होने के चलते मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता. हालांकि न्याय जहां से मिलना चाहिए, वहां से अवरोध खड़ा हो गया.

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उन्होंने कहा कि कोई समस्या है ही नहीं, एक सुनवाई में ही इसका फैसला हो सकता है. ये मामला न्यायपालिका की प्राथमिकताओं में नहीं है, पर किसी ने टिप्पणी की थी कि अगर दशकों से 100 करोड़ लोगों के संघर्ष और बलिदान जो देश की सुरक्षा से जुड़ा है, वो कोर्ट की प्राथमिकता में नहीं है, इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है.

टंडन ने कहा कि प्रयाग (इलाहाबाद का नया नाम) एक प्राकृतिक नाम है, यह किसी व्यक्ति पर आधारित नहीं है. इस दौरान उन्होंने अपनी किताब- अनकहा लखनऊ और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अपनी यादों को भी साझा किया.

लालजी टंडन ने कहा कि लखनऊ को बसाने का काम लक्ष्मण ने किया था. इसका किसी इतिहासकार ने खंडन नहीं किया है. इससे पहले इसे लक्ष्मणपुर और लक्ष्मणावती के नाम से जाना जाता था. बाद में इसे लखनपुर भी कहा गया. अंग्रेजी भाषा में वह लखनऊ हो गया. उन्होंने कहा कि लखनऊ केवल लखनपुर या लक्ष्मणपुर का अपभ्रंश है.

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टंडन ने कहा कि एक कहानी यह भी है कि जब अंग्रेजों ने लखनऊ पर कब्जा कर लिया तो नाचते हुए कहा कि 'लक नाउ' यानी आज हमारा भाग्य जग गया. और Luck Now ही बाद में लखनऊ बन गया. उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग अपने लाभ या हानि के हिसाब से इतिहास में मिलावट करते हैं. लखनऊ को लेकर बड़ा भारी भ्रम पैदा हो गया और लखनऊ की ऐसी शक्ल बनाकर पेश कर दी कि ये नवाब और कबाब दो शब्दों में सिमट कर रह गया. नवाबों को भी मुगलकाल में अवध का सूबेदार बनाया गया था. उन्होंने कहा कि लखनऊ भी देश का हिस्सा है, उसकी संस्कृति देश से अलग नहीं है.

उन्होंने इस दौरान समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया का भी जिक्र किया और उनके साथ अपनी यादें भी साझा की. उन्होंने बताया कि पहले हरिद्वार जिला नहीं हुआ करता था, जिला सहारनपुर होता था. सारी दुनिया वहां हरिद्वार के नाम से स्नान करने आती थी. ऐसे ही फैजाबाद को कौन जानता है, अयोध्या को सारी दुनिया जानती है. उन्होंने कहा कि चाहे हम किसी भी दल में हों हमारी सांस्कृतिक सोच के हिसाब से हमारे मन में हमेशा से ये भाव हमेशा आते हैं.

टंडन ने आजतक की एंकर अंजना ओम कश्यम के सवाल के जवाब में कहा कि आप खुद फैसला करें कि नामों को बदला जाना चाहिए या नहीं. जहां तक लखनऊ को बदलने का सवाल है तो यह कहीं नहीं मिलता है कि इसे लक्ष्मण के अलावा किसी और ने बसाया हो.

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साथ ही टंडन ने कहा कि प्रयाग की जहां तक बात है ये तो प्राकृतिक नाम है. ये किसी व्यक्ति से संबंधित नहीं है. अभी भी जो संगम क्षेत्र में रेलवे स्टेशन का नाम प्रयाग है. यह आज से नहीं बहुत दिनों से है. ये नया नाम नहीं है. प्रयाग से आशय उस जगह से है जहां, एक से ज्यादा नदियों का संगम होता है. उत्तराखंड में तो पंच प्रयाग हैं.

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