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भारत की दो टूक- सरताज अजीज की सिफारिश पर ही पाकिस्तानियों को मिलेगा मेडिकल वीजा

भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही तल्ख रिश्तों की झलक अब स्वास्थय पर भी दिख रही है. विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज के सिफारिशी पत्र पर ही किसी पाकिस्तानी नागरिक को भारत आने के लिए मेडिकल वीजा मिलेगा.

मेडिकल वीजा में चाहिए तो मिलेगा मेडिकल वीजा मेडिकल वीजा में चाहिए तो मिलेगा मेडिकल वीजा
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2017,
  • अपडेटेड 9:55 AM IST

भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही तल्ख रिश्तों की झलक अब स्वास्थ्य पर भी दिख रही है. विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज के सिफारिशी पत्र पर ही किसी पाकिस्तानी नागरिक को भारत आने के लिए मेडिकल वीजा मिलेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने उन सभी खबरों को तो बेबुनियाद बताया कि भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा देना बंद कर दिया है लेकिन उन्होंने साफ किया कि केवल अजीज के सिफारिशी पत्र पर ही तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

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गोपाल बागले ने साफ किया कि मेडिकल की कई शिकायतें लगातार सुषमा स्वराज को सोशल मीडिया के जरिये मिलती हैं. कई बार मेडिकल वीजा दिया भी जा चुका है.

जाधव मामले से बढ़ी तल्खी
भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर इंटरनेशनल कोर्ट (आईसीजे) जाने पर विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि यह फैसला सावधानी पूर्वक विचार करके लिया गया. मंत्रालय ने कहा कि जाधव को अवैध रूप से पाकिस्तान में हिरासत में रखा गया था, जहां उनका जीवन खतरे में था.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा, 'यह फैसला सावधानीपूर्वक विचार विमर्श करके लिया गया था.' कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर आईसीजे में जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने उच्चायोग संपर्क (काउंसलर एक्सेस) के लिए 16 बार अनुरोध किया, लेकिन इसे इंकार कर दिया गया. हमने मौखिक और लिखित में कई बार जाधव मामले में चलाई गई प्रक्रिया के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन पाकिस्तान की ओर से इस मामले के दस्तावेजों से जुड़ी हमारी मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई.

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उन्होंने कहा कि जाधव के परिवार की ओर से जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा जाधव को सुनाई गई मौत की सजा के खिलाफ अपील की स्थिति के बारे में भी कोई सूचना नहीं दी गई. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एक सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें पूछा गया था कि भारत इस मामले में इंटरनेशनल कोर्ट में क्यों गया?

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