Advertisement

...जब PAK की बेईमानी से खफा बेदी ने बल्लेबाजों को बुला लिया था वापस

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यह पहला उदाहरण था, जब किसी टीम ने बईमानी पर उतर आई टीम को गुस्से में जीत दे दी हो.

बेदी-सरफराज बेदी-सरफराज
विश्व मोहन मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:07 PM IST

क्रिकेट में कई ऐसे मौके आए, जब कोई टीम मैच जीतने के लिए अजीबोगरीब हरकत पर उतर आई. लेकिन... जब अंपायर की भी इसमें मिलीभगत हो, तो इससे बड़ा कलंक और क्या हो सकता है. जी हां! 39 साल पहले आज ही, किसी और ने नहीं, पाकिस्तान की टीम ने ऐसा ही कुछ किया था, जिससे क्रिकेट शर्मसार हुआ.

भारत को जीत के लिए 14 गेंदों में 23 रन चाहिए थे

Advertisement

उस नापाक पाकिस्तानी इरादे से खफा भारतीय टीम के कप्तान बिशन सिंह बेदी ने जीत की ओर बढ़ रहे अपने बल्लेबाजों को मैदान से वापस बुला लिया था. और पाकिस्तान की सीरीज जीतने की मनचाही मुराद पुरी हो गई. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यह पहला उदाहरण था, जब किसी टीम ने बईमानी पर उतर आई टीम को गुस्से में जीत दे दी हो. उस वक्त भारत को जीत के लिए 14 गेंदों में 23 रन चाहिए थे और उसके 8 विकेट सुरक्षित थे.

3 नवंबर 1978 को पाकिस्तान के शाहीवाल के जफर अली स्टेडियम में भारत-पाक सीरीज का तीसरा और निर्णायक मैच खेला गया था. अंपायरिंग की जिम्मेदारी जावेद अख्तर और खिजर हयात पर थी. यानी पाकिस्तान के 11 खिलाड़ियों के अलावा दोनों अंपायर भी उनके अपने ठहरे.

40 ओवरों के मैच में पहले बल्लेबाजी करने उतरे पाकिस्तान को भारतीय गेंदबाजों ने 205/7 के स्कोर पर रोक दिया था. सुनील गावस्कर की गैरमौजूदगी में चेतन चौहान और अंशुमन गायकवाड़ ने भारत की जवाबी पारी का आगाज किया. दोनों ने बड़े आराम से 44 रन जोड़ लिये. चौहान (23 रन) का विकेट गिरने के बाद उतरे सुरेंद्र अमरनाथ (62 रन) ने गायकवाड़ के साथ स्कोर को 163 तक पहुंचा दिया. जीत का लक्ष्य आसान हो चुका था.

Advertisement

गायकवाड़ के साथ गुंडप्पा विश्वनाथ क्रीज पर थे. 38वां ओवर शुरू हुआ और जीत के लिए भारत को महज 23 रनों की जरूरत थी. पाकिस्तान के कप्तान मुश्ताक मोहम्मद परेशान थे. सरफराज नवाज गेंदबाजी करने आए. और इसके बाद जो भी हुआ वह पाकिस्तानी क्रिकेट को बदनाम कर गया.

सरफराज नवाज ने उस ओवर में लगातार चार बाउंसर फेंके, लेकिन अंपायर ने उनमें से एक को भी वाइड नहीं दिया. पाकिस्तान का प्लान था, निगाहें जमा चुके गायकवाड़ से इतनी दूर गेंद फेंको कि वह मार ही न पाए और उनकी इस स्कीम में पाकिस्तानी अंपायर उनके साथ थे. उन दिनों न्यूट्रल अंपायर का दौर शुरू नहीं हुआ था.

सरफराज के लगातार चार बाउंसर, लेकिन एक भी वाइड नहीं...

अंशुमन गायकवाड़

1. पहली गेंद. बाउंसर... विकेटकीपर वसीम बारी ने बाकी का काम किया. बल्लेबाज अंपायर की ओर देखता रहा, लेकिन वाइड नहीं.

2. दूसरी गेंद. बाउंसर... पिछली गेंद का ही रीप्ले...अंपायर पर फिर असर नहीं

3. तीसरी गेंद. फिर बाउंसर... उतनी ही ऊंची. लेकिन इस बार भी अंपायर हिले तक नहीं.

4. चौथी गेंद. वो गेंद इतनी ऊंची फेंकी कि 78 रन पर खेल रहे 6 फुट के गायकवाड़ कुछ समझ नहीं पाए.

लाचार भारतीय बल्लेबाज पैवेलियन की ओर देखने लगे. फिर क्या था कप्तान बेदी से रहा नहीं गया. उन्होंने दोनों बल्लेबाजों को वापस आने का इशारा कर दिया. और साफ-साफ कह दिया कि भारत इस मैच में आगे नहीं खेलेगा. पाकिस्तान को विजेता घोषित कर दिया गया. 2-1 से सीरीज पर कब्जा कर पाकिस्तानी टीम अपने घर में खुश हो गई.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement