
भारतीय वायुसेना अपने बेड़े में सुखोई-30 को और अधिक जोड़ने की इच्छुक नहीं है. हाल ही में रूस ने भारत को 40 सुखोई-30 कॉम्बट एयरक्राफ्ट देने का ऑफर दिया, लेकिन ऐसा लगता है कि वायुसेना इसमें इच्छुक नहीं है.
वायुसेना के पास पहले से ही 220 सुखोई-30 हैं और 2020 तक ये संख्या 272 हो जाएगी. सरकारी सूत्रों ने मेल टुडे को बताया कि रूस ने HAL के साथ मिल भारत को 40 और प्लेन देने का ऑफर दिया था, लेकिन कीमत ज्यादा और लंबे समय तक के मेंटेनेंस के कारण वायुसेना इसमें इच्छुक नहीं है.
वायुसेना को लगता है कि सुखोई-30 की उसके पास पर्याप्त संख्या है, जिसमें अधिक हैवी वेट कैटगरी के हैं.
बताया जा रहा है कि सुखोई-30 की कीमत फ्रांस के राफेल 36 की कीमत की एक तिहाई है. लेकिन सुखोई का मेंटेनेंस उसकी असल कीमत का तीन गुना हो जाता है. पिछली सरकार के द्वारा रूसी सुखोई के कई ऑर्डर दिए गए थे, जो कि मीडियम वेट कैटगरी के थे.
गौरतलब है कि वायुसेना के पास कुल 42 स्क्वार्डन में से अभी 12 की कमी है. ऐसे में हथियारों की जरूरत लगातार है.
अभी हाल ही में हुई गगनशक्ति एक्सरसाइज़ के दौरान सुखोई भी शामिल था. लेकिन इन रूसी विमानों की मेंटेनेंस कीमत काफी ज्यादा रही. जो कि एक दिक्कत का सबब है. बताया जा रहा है कि अगर वायुसेना इन सुखोई-30 को नहीं लेती है तो इनकी जगह अमेरिका का F-16, F-18 और रूस का MiG 35 या फिर स्वीडिश ग्रिपन ले सकते हैं.
मेल टुडे की पूरी खबर यहां पढ़ें... IAF not keen on getting more Sukhoi fighter jets