भारत ने जब पाकिस्तान और चीन के खिलाफ जंग लड़ा था तब ऐसे कई मौके आए थे जब हमारे जंगी जहाज रात के अंधेरे या किसी और वजह से ना उड़ान भर पा रहे थे ना ही जमीन पर उतर पा रहे थे. इतना ही नहीं दुश्मन देश लगातार हमारे एयरबेस को भी अपना निशाना बना रहे थे. मगर अब वक्त बदल चुका है. अब क्या दिन और क्या रात. क्या एयरबेस और क्या रनवे. हमारे जंगी जहाज दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए अब किसी रनवे या एयरबेस के मोहताज नहीं रहे. वो तो किसी हाईवे या एक्सप्रेसवे से भी उड़ कर दुश्मनों पर बम बरसा सकते हैं.
ये हिंदुस्तानी ताकत की नुमाइश है. ये इस बात की गवही है कि जब वक्त पड़ेगा तो हिंदुस्तान कहीं से भी दुश्मन पर आसमानी क़हर बरपा सकता है. ये इस बात का भी सबूत है कि अब दुश्मन पर टूट पड़ने के लिए हिंदुस्तानी जंगी जहाज किसी रनवे या एयरबेस का मोहताज नहीं होगा. वो ऐसे किसी हाईवे से भी उड़ कर दुश्मन के ठिकानों को नेस्तो-नाबूद कर सकता है. जिस हाईवे पर मोटर गाड़ियों को दौड़ना है उसी हाईवे पर हिंदुस्तानी जंगी बेड़े में शामिल वो तमाम आधुनिक जंगी जहाज उतरे और उड़ान भरे. यह उस तैयारी का हिस्सा है जो जंग के हालात में काम आएंगे.
यूं मौका तो था आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के उद्घाटन का, लेकिन उद्घाटन की औपचारिक रवायतों के बीच जब आसमान का सीना चीर कर एक-एक कर भारतीय वायु सेना के छह फाइटर जेट्स ने एक्सप्रेस वे पर टच डाऊन किया, तो इस ऐतिहासिक मंज़र का गवाह बने हज़ारों लोगों ने अपना दिल थाम लिया. 2000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने वाले एयरफोर्स के इन दोनों सुपरसोनिक जेट्स का ये दम-खम देख कर हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. फाइटर प्लेन को आपात स्थिति में ऐसे ही एक्सप्रेस-वे पर उतारने की एयरफ़ोर्स की पुरानी योजना रही है.
ऐसे में जब यूपी के 13 हज़ार 2 सौ करोड़ की लागत से बने इस नए एक्सप्रेस वे के उद्घाटन के मौके पर छह फाइटर जेट्स को उतरने की जगह मिली, तो मानों एक साथ दो ख्वाब पूरे हो गए. एक ख्वाब आम लोगों को एक्सप्रेस मिलने की, तो दूसरी एयरफोर्स को यूपी में एक और एयर स्ट्रिप के हासिल होने की. यूपी सरकार ने एयरफ़ोर्स के साथ मिल कर इस योजना को अमल में लाने की तैयारी काफ़ी पहले से तय कर रखी थी. फिर जब तय वक्त पर एक-एक कर बांगरमऊ के धुंध भरे आसमान पर ये फाइटर जेट्स नीचे आए तो हर कोई रोमांच से भर गया. हर तरह उल्लास था.
योजना के मुताबिक, सोमवार को यहां तीन मिराज 2000 और तीन सुखोई विमानों को टच डाऊन के लिए आना था. लेकिन जैसे ही पहला सुखोई टच डाऊन के लिए नीचे आने लगा, एक कुत्ता एक्सप्रेसवे पर आ गया. ऐसे में फ़ौरन सुखोई के पायलट को आगाह किया गया. तब इस फाइटर जेट ने एक्सप्रेस वे छूने से पहले ही वापस उड़ान भर ली. लेकिन इसके बाद जब एक्सप्रेस वे के करीब सवा तीन किलोमीटर के हिस्से को फिर से सेनिटाइज़ कर लिया गया, तो एक-एक कर सभी छह जेट्स ने एक्सप्रेस वे को छुआ और फिर वापस उड़ गए.
ऐसा नहीं है कि किसी एक्सप्रेसवे पर इंडियन एयरफ़ोर्स ने कोई पहली बार अपना दम दिखाया हो. इससे पहले पिछले साल मई में एयरफोर्स ने अपने फ्रेंच डेसल्ट मिराज़ टू थाऊजेंड जेट्स को मथुरा के राया गांव के नज़दीक यमुना एक्सप्रेस पर उतारा था. लेकिन ये पहला मौका था, जब एयरफ़ोर्स की ख़ास ताकत माने जानेवाले सुखोई जेट्स ने भी किसी एक्सप्रेसवे पर टच डाऊन किया. जानकारों की मानें तो जंग के हालात में अक्सर दुश्मन देश सामने वाले मुल्क के एयर स्ट्रिप्स को ही टार्गेट करते हैं, ताकि फाइटर जेट्स आगे के हमलों के लिए उड़ान ही ना भर सकें.
ऐसे में एक्सप्रेस वे जैसी जगह पर फाइटर जेट्स के लैंड करने लायक हालत पैदा करना एक अहम वैकल्पिक व्यवस्था साबित हो सकती है. सोमवार को भी एयरफोर्स ने बांगरमऊ के पास इस एक्सरसाइज़ को कुछ इसी इरादे से अंजाम दिया. आखिर हाईवे जंगी जहाजों के रनवे में कैसे तब्दील हो जाता है? क्या हर
हाईवे रनवे बन सकता है? तो जवाब है ऐसा नहीं हो सकता. क्योंकि एक्सप्रेसवे को रनवे में तब्दील करने के लिए कई अहम चीजों का होना जरूरी है. भारतीय वायू सेना ने ज्यादातर उन्हीं एक्सप्रेसवे को अपने जंगी जहाजों के टेकऑफ या लैंडिंग के लिए चुना है जहां से पाकिस्तान से करीब हैं.