
देश की एविएशन कंपनियों ने केंद्र सरकार से दरख्वास्त की है कि उन्हें खाड़ी देशों के लिए उड़ान रूट में बदलाव की अनुमति दी जाए. कंपनियों का कहना है कि वे पाकिस्तान के आसमान का इस्तेमाल नहीं करना चाहती हैं. कंपनियों ने मांग की है कि उन्हें खाड़ी देशों के लिए पश्चिमी भारत खास तौर पर अहमदाबाद से उड़ान भरने और अरब सागर से ऊपर रूट बनाने दिया जाए.
विमानन कंपनियों का कहना है कि पाकिस्तान के रास्ते से जाना घुमावदार है. इसके अलावा भारत-पाक संबंधों के बिगड़ने की वजह से कंपनियों को सुरक्षा की भी चिंता है. एयर इंडिया, जेट एयरवेज, इंडिगो और स्पाइसेजट जैसी कंपनियां पाकिस्तान के रूट से खाड़ी देशों के लिए उड़ानों का संचालन करती हैं.
बीते दिनों भारत ने लौटाए PAK के विमान
अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को एक एयरलाइन कंपनी के अधिकारी ने बताया, 'बीते कुछ दिनों में भारत ने पाकिस्तान के कुछ नॉन-शेड्यूल्ड एयरक्राफ्ट्स को वापस लौटने को कहा था. ऐसे में पाकिस्तान भी ऐसी ही कार्रवाई कर सकता है. विमानन कंपनियों की ओर से पाकिस्तान को रूट से हटाने की मांग की सबसे बड़ी वजह यही है, जबकि इसके अलावा कुछ आर्थिक कारण भी हैं.'
एयरफोर्स और नेवी के रूट के जाने की मांगी इजाजत
विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने अपने विमानों के लिए अहमदाबाद से सीधे खाड़ी देशों के लिए उड़ान की मंजूरी देने की मांग की है. कंपनी का कहना है कि उसे एयरफोर्स और नेवी की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले रूट पर उड़ानों के संचालन की मंजूरी दी जाए. स्पाइसजेट की ओर से इस मांग के संबंध में डिफेंस और सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को एक प्रजेंटेशन भी दिया गया है.
हर उड़ान में बचेगा 1 लाख रुपया
इसमें स्पाइसजेट ने कहा, 'पाकिस्तान को रूट से हटाने पर ईंधन बचेगा. इसके अलावा कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी.' कंपनी का कहना है कि यदि उसे अहमदाबाद-दुबई रूट पर सीधे अरब सागर के ऊपर से उड़ान भरने की अनुमति दी जाए तो एक उड़ान पर एक लाख रुपये की बचत होगी.
रक्षा मंत्रालय ने अब तक ऐसे किसी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है, क्योंकि इस रूट में कई संवेदनशील इलाके भी हैं. उड्डयन मंत्रालय से जुड़े एक सूत्र ने कहा, 'विमानन कंपनियों की ओर से हमें बहुत से अनुरोध मिले हैं. कंपनियां एयरस्पेस का फ्लेक्सी यूज चाहती हैं. इस मामले में काफी प्रगति हो चुकी है और अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.'