
भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर और उसके साथी ने संघीय बीमा प्रोग्राम और निजी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को लेकर हुए 20 लाख डॉलर के फर्जीवाड़े में अपनी भूमिका स्वीकार ली है. ट्रेंटन संघीय अदालत में जिला न्यायाधीश पीटर शेरिडन के सामने न्यू जर्सी के 62 वर्षीय परमिंदरजीत संधू और ओहायो के परमजीत सिंह ने स्वास्थ्य सेवा में धोखाधड़ी करने का अपराध कबूल कर लिया है.
अमेरिका में निजी स्वास्थ्य बीमा कंपनियां को लेकर फर्जी तरीके से करीब 20 लाख डॉलर से अधिक के बिल देने के घोटाले में भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर और उसके साथी ने अपना अपराध कबूल कर लिया है. समाजार एजेंसी पीटीआई के मुबताबिक, ट्रेंटन संघीय अदालत में जिला न्यायाधीश पीटर शेरिडन के समक्ष न्यू जर्सी के 62 वर्षीय परमिंदरजीत संधू और ओहायो के परमजीत सिंह द्वारा गुनाह कबूल करने के बाद अब अप्रैल में उन्हें सजा सुनाई जाएगी.
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कोर्ट ने माना है कि आरोपी के पास मेडिकल लाइसेंस नहीं था, फिर भी उन्होंने सेवाएं दीं जो एक अपराध है. अमेरिकी अटॉर्नी क्रेग कारपेनिटो ने कहा कि संधू ने अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम और निजी बीमाकर्ताओं को धोखा दिया. न्यूयॉर्क के एफबीआई के स्पेशल एजेंट इंचार्ज Gregory Ehrie ने कहा कि फर्जीवाड़ा करते हुए संधू ने मरीजों की जान को खतरे में डाला है. अब दोषियों को अप्रैल में सजा सुनाई जाएगी. दोनों आरोपियों को इस गुनाह के लिए 18 महीने जेल की सजा हो सकती है.
फर्जीवाड़े को लेकर कोर्ट में जो साक्ष्य प्रस्तुत किए गए उसके मुताबिक अगस्त 2014 और अक्टूबर 2017 के बीच संधू और सिंह ने बीमा कंपियों और मेडिकेयर के साथ साठगांठ कर 2.2 मिलियन अमेरिकी डालर का फर्जीवाड़ा किया.
हत्या के दोषी भारतीय दंपति को सौंपने पर फैसला टला
भारतीय मूल के ब्रिटिश दंपति के प्रत्यार्पण के मामले में मंगलवार को लंदन हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने फिलहाल दोनों को भारत को सौंपने से इनकार कर दिया है. अब अगले सप्ताह इस पर फैसला होगा. आरती धीर और उसके पति केवल रायजादा पर आरोप है कि उन्होंने गोद लिए गए 11 साल के बच्चे और उसके बहनोई की हत्या कर दी थी. ये हत्या बीमा रकम क्लेम करने के लिए की थी. हत्या के बाद वे ब्रिटेन भाग गए थे.
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भारत ने ब्रिटेन से उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी. इस पर सुनवाई करते हुए पिछले साल जुलाई में वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने उन्हें भारत सौंपने से इनकार कर दिया था. इसके बाद भारत ने इसकी सुनवाई के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मंगलवार को सुनवाई के दौरान दो जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया. दोनों ने जून 2017 में घटना को अंजाम दिया था. गुजरात पुलिस ने जांच के बाद दावा किया था कि दोनों ने बच्चे को गोद लेने के पहले ही साजिश रची थी. गोद लेने के बाद 1.3 करोड़ रुपये का बीमा कराया और फिर बीमा राशि हड़पने के लिए उनकी हत्या कर दी.