
एक प्रतिष्ठित भारतीय अमेरिकी ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नाम बदलने की सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि इस कानून का नाम बदल कर पड़ोसी देश द्वारा उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थी कानून कर देना चाहिए. ऐसा करने से इसे चुनौती देना और इसका विरोध करना आसान नहीं होगा.
भारत में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद देश के कई हिस्सों में इसका विरोध हो रहा है. शाहीन बाग इस विरोध का केंद्र बना हुआ है. वहां करीब दो महीने से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है. इस बीच समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एनजीओ 'फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS)' के निदेशक खांडेराव कांड ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नाम बदलकर पड़ोसी देश द्वारा उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थी कानून कर देना चाहिए.
CAA का नाम बदलने का क्या होगा फायदा
वाशिंगटन डीसी के वर्जीनिया में खांडेराव कांड ने नागरिकता संशोधन कानून और अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने पर एक चर्चा के दौरान यह सलाह दी. उन्होंने कहा कि यह कानून नागरिकता देने वाला है. इससे किसी की नागरिकता जाएगी नहीं. कांड ने कहा कि सीएए को शरणार्थी कानून के तौर पर पेश करने से सही धारणा बनेगी और इसका विरोध करने वाले को इसे चुनौती देना मुश्किल होगा.
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बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देश में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को नागरिकता देने का प्रावधान है. संसद से सीएए कानून बनते ही इसका देश के कई हिस्सों में विरोध शुरू हो गया था. हालांकि विरोध के बीच सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 2019 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके साथ ही 10 जनवरी 2020 से ही नागरिकता संशोधन कानून पूरे देश में लागू हो चुका है.
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता अधिनियम, 1955 में बदलाव करने के लिए केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन बिल लेकर आई. बिल को संसद में पास करवाया गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन गया. सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. इसके साथ ही अब पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी. अभी तक उन्हें अवैध शरणार्थी माना जाता था.
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किन शरणार्थियों को होगा फायदा?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में अपने भाषण में दावा किया था कि लाखों-करोड़ों ऐसे लोग हैं जिन्हें इस कानून से फायदा मिलेगा. नया कानून सभी शरणार्थियों पर लागू होगा. वहीं सरकार की ओर से एक कटऑफ तारीख भी तय की गई है कि 31 दिसंबर 2014 से पहले आए सभी हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी.