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अपने गांव पहुंचे सेना प्रमुख बिपिन रावत, सड़क, स्कूल और पलायन पर की बात

रविवार शाम 3 बजे सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत अपने गांव पहुंचे तो परिवार और गांव के लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा. जनरल रावत की भावुक आंखें भी उनके गांव पहुंचने की खुशी को बयां कर रही थीं. सबसे पहले उनके चाचा भरत सिंह रावत और चाची सुशीला रावत ने स्वागत किया. चाय और मिठाई के साथ बेटे का स्वागत किया गया.

अपने गांव में लोगों के साथ बिपिन रावत अपने गांव में लोगों के साथ बिपिन रावत
अजीत तिवारी/मंजीत नेगी
  • गढ़वाल,
  • 30 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST

सेना प्रमुख बनने के बाद पहली बार भारत की थल सेना के प्रमुख जनरल बिपिन रावत अपने पैतृक गांव पहुंचे. उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में उनका गांव सैण बमरौली ग्रामसभा में पड़ता है. अपने पैतृक घर तक पहुंचने के लिए जनरल रावत और उनकी पत्नी ने करीब 1 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय किया. जनरल बिपिन रावत काफी लंबे समय से अपने पैतृक गांव और घर जाना चाहते थे और आखिरकार 29 अप्रैल को वह अपने गांव पहुंचे. उनके साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी मौजूद थीं.

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रविवार शाम 3 बजे सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत अपने गांव पहुंचे तो परिवार और गांव के लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा. जनरल रावत की भावुक आंखें भी उनके गांव पहुंचने की खुशी को बयां कर रही थीं. सबसे पहले उनके चाचा भरत सिंह रावत और चाची सुशीला रावत ने स्वागत किया. चाय और मिठाई के साथ बेटे का स्वागत किया गया.

बिपिन रावत अपनी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अपने कुलदेवता गूल के दर्शन किये व उनकी पूजा भी की. पूरे परिवार के साथ पहुंचे जनरल बिपिन रावत ने न केवल गांव के पुराने साथियों के साथ फोटो खिंचवाया बल्कि खाली हो चुके गांव और पलायन पर चिंता भी व्यक्त की. साथ ही जल्द ही पलायन को लेकर कोई ठोस नीति अपनाने को कहा और गांव के तमाम लोगों को मदद करने का वादा भी किया.

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चाचा भरत सिंह ने आजतक को बताया कि जनरल रावत ने परिजनों से गांव की समस्याओं पर चर्चा की. गांव के लोगों से उन्होंने खेती, रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों पर बात की. जनरल रावत के परिवार के लोगों से बातचीत में उन्होंने गांव में घर बनाने की इच्छा जताई तो उनके चाचा भरत सिंह रावत ने उन्हें गांव में जमीन भी दिखायी. जनरल ने चाचा भरत सिंह के आवास के समीप ही एक खेत में घर बनाने पर सहमति जताई.

गांव में करीब दो घंटे का वक्त गुजारने के बाद जनरल रावत रात के लिए लैंसडाउन लौट गए. गांव से लौटते हुए जब जनरल रावत पत्नी मधुलिका के साथ बाहर सड़क पर पहुंचे तो वहां बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थीं. उन्होंने सभी का हालचाल पूछा और दोबारा गांव आने का भरोसा दिलाया. जनरल रावत ने इस इलाके के बच्चों के लिए कोटद्वार में आर्मी पब्लिक स्कूल खोलने की भी बात की.

इसके साथ ही उन्होंने अपने गांव तक सड़क बनाने के लिए भी राज्य सरकार से बात करने की बात कही. कोटद्वार में जनरल रावत और उनकी पत्नी ने गढ़वाल रेजिमेंट के जवानों के लिए आवास बनाने की योजना की आधारशिला भी रखी. जनरल रावत व उनकी पत्नी मधुलिका रावत दिल्ली से लैंसडाउन पहुंचे. वहां दोपहर का भोजन करने के बाद वे करीब सवा तीन बजे कार से बिरमोली गांव पहुंचे.

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सैण गांव पौड़ी जिले के द्वारीखाल विकासखंड में पड़ता है. जनरल रावत ने लैंसडाउन में गढ़वाल रेजिमेंटल सेंटर में अधिकारियों के साथ पौड़ी जिले के बड़ी संख्या में सेवारत और भूतपूर्व सैनिकों से जुड़ी समस्याओं को लेकर बैठक की. जनरल रावत ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए रोजगार देने वाली योजनाओं को गांवों में लाना होगा. उनकी पत्नी मधुलिका रावत ने उम्मीद जताई कि अगली बार जब वो गांव आएंगी तो तब उनके गांव तक सड़क बन जाएगी.

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