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कश्मीर में आतंकियों पर अटैक के लिए Black Cat कमांडो की तैनाती का क्यों विरोध कर रही है सेना?

एक आर्मी अफसर ने आजतक के सहयोगी अखबार मेल टुडे को बताया कि आर्मी आतंकवादियों से निपटने में सक्षम है और पहले से ही ऐसे ऑपरेशन चलाती आ रही है. जबकि एनएसजी कभी-कभी ऐसे ऑपरेशन करती है.

NSG कमांडो NSG कमांडो
कमलजीत संधू
  • श्रीनगर,
  • 27 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:10 PM IST

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को सुरक्षाबल मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं. मगर वहां मौजूद एनएसजी कमांडो की मदद लेने को भारतीय सेना और दूसरे सुरक्षाबल तैयार नहीं हैं. जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर आर्मी कश्मीर में एनएसजी का विरोध क्यों कर रही है?

दरअसल, NSG के स्पेशल एक्शन ग्रुप को कश्मीर में एंटी-हाईजैक और एंटी टेरर ऑपरेशंस के लिए भेजा गया था. मगर, आर्मी आतंकियों के खिलाफ एनएसजी कमांडो के इस्तेमाल का पुरजोर विरोध कर रही है.  सूत्रों के मुताबिक, घाटी में मौजूद आतंकियों से लोहा लेने वाले दूसरे सुरक्षाबल जहां इस मसले पर एकमत नहीं हैं, वहीं सेना इसका पुरजोर तरीके से विरोध कर रही है.

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ऐसा तब है जब एनएसजी कमांडो को आतंकियों से पार पाने के लिए सबसे ताकतवर फोर्स माना जाता है. इसी साल 26 अगस्त को पुलवामा की जिला पुलिस लाइन में जैश-ए मोहम्मद के आतंकी ने जब आत्मघाती हमले को अंजाम दिया, तब भी एनएसजी को नहीं बुलाया गया था. जिसके बाद भी ऐसे सवाल उठे थे.

ये है विरोध की मुख्य वजह

आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल एक आर्मी अफसर ने आजतक के सहयोगी अखबार मेल टुडे को बताया कि आर्मी आतंकवादियों से निपटने में सक्षम है और पहले से ही ऐसे ऑपरेशन चलाती आ रही है. जबकि एनएसजी कभी-कभी ऐसे ऑपरेशन करती है. यानी आर्मी का मानना है कि घाटी में एनएसजी के बजाय सेना के जवान आतंकियों का सफाया करने में सक्षम हैं.  

NSG कमांडो देंगे ट्रेनिंग

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सूत्रों के मुताबिक, सेना के विरोध के बाद गृहमंत्रालय ने एनएसजी को ट्रेनिंग देने का जिम्मा सौंपा है. बताया ज रहा है कि एनएसजी टीम अब घाटी में मौजूद सुरक्षाबलों को ट्रेनिंग देगी.

डीजीपी सुधीर प्रताप सिंह ने ने एनएसजी को घाटी में सुरक्षाबलों की ट्रेनिंग की जिम्मेदारी की खबर पर मुहर लगाई है. सूत्रों के मुताबिक, एनएसजी के ब्लैक कैट्स कमांडो की एक कंपनी (40 कमांडो) को श्रीनगर के लेथापोरा में बने सीआरपीएफ ट्रेनिंग सेंटर में लगाया गया है. हालांकि, एक महीना बीत जाने के बाद भी यहां किसी प्रकार की ट्रेनिंग शुरु नहीं हो पाई है.

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