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INSIDE STORY: पत्थरों की बौछार के बीच सेना ने ऐसे मार गिराए 12 आतंकी

शोपियां का एनकाउंटर पिछले दस साल का सबसे बड़ा एनकाउंटर और सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा रही है क्योंकि इसमें वो आतंकवादी भी निकले, जिनका देश और कश्मीर के हीरो शहीद लेफ्टिनेंट उमर फयाज की हत्या में हाथ था. 11 महीने बाद देश ने अपने बेटे उमर फयाज की हत्या का बदला ले लिया.

शोपियां में मुठभेड़ शोपियां में मुठभेड़
सुरभि गुप्ता
  • श्रीनगर,
  • 02 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 8:51 AM IST

जम्मू-कश्मीर के शोपियां और अनंतनाग में 1 अप्रैल 2018 को हुई मुठभेड़ पिछले दस साल में सबसे बड़ी मुठभेड़ है क्योंकि उस जगह पर हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर का सबसे बड़ा ग्रुप छिपा हुआ था. उसकी घेराबंदी रात को ही सेना और सुरक्षाबलों ने की थी. उस घर को ध्वस्त कर दिया गया था, जहां ये पूरा ग्रुप था. अभी मारे गए आतंकवादियों की पहचान होनी बाकी है, लेकिन पुलिस का कहना है कि मारे गए आतंकवादियों में कुछ प्रमुख कमांडर भी हैं.

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लेफ्टिनेंट उमर फयाज की हत्या का बदला

शोपियां का एनकाउंटर पिछले दस साल का सबसे बड़ा एनकाउंटर और सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा रही है क्योंकि इसमें वो आतंकवादी भी निकले, जिनका देश और कश्मीर के हीरो शहीद लेफ्टिनेंट उमर फयाज की हत्या में हाथ था. 11 महीने बाद देश ने अपने बेटे उमर फयाज की हत्या का बदला ले लिया.

अलगाववादियों ने किया बंद का ऐलान

हमारे जवान कश्मीर में पाकिस्तान और पाकिस्तान के एजेंटों द्वारा प्रायोजित आतंक के अघोषित युद्ध से लड़ रहे हैं. ये लड़ाई आसान नहीं है क्योंकि आतंकवादियों को सेना और सुरक्षाबल चुन-चुन कर मारते हैं, तो उन्हें बचाने के लिए पत्थरबाजों के गैंग आ जाते हैं. शोपियां में यही हुआ, जहां बड़े पैमाने पर पथराव करके एनकाउंटर रोकने की कोशिश की गई. जब सुरक्षाबलों ने सख्ती दिखाई, तो पाकिस्तान का एजेंट बना हुर्रियत गैंग एक्टिव हो गया. कश्मीर में दो दिन का बंद कर दिया है. कल स्कूल-कॉलेज भी बंद हैं.

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आतंकियों के साथ पत्थरबाजों से भी निपटना है

शोपियां के काचीडोरा में जब सेना ने आतंकियों को घेरा तो पत्थरबाज जुटने लगे. पुलिस और सीआरपीएफ ने वॉर्निंग दी, लेकिन पत्थरबाज नहीं माने. सेना ने ठान रखा था आतंकियों को किसी भी सूरत में भागने का मौका नहीं देंगे. हालात जब कंट्रोल से बाहर होने लगे, तो पुलिस और सीआरपीएफ ने एक्शन लिया. पत्थरबाजी में पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी घायल हुए. जवाबी कार्रवाई में 4 पत्थरबाज मारे गए और करीब 25 घायल हो गए.

जब आतंकियों की मदद करने पहुंचे लोग

आईजी सीआरपीएफ जुल्फिकार हसन ने कहा कि शोपियां में इस तरह का डिजाइन बनाया गया था, जिससे आतंकवादियों को मदद करने वाले काफी संख्या में पहुंच गए. सेना का ऑपरेशन चल रहा था. राष्ट्र विरोधी तत्वों के प्रभाव में कई लोग एनकाउंटर की जगह पर गए और एनकाउंटर रोकने की कोशिश करने लगे. सेना ने संयम के साथ काम किया और भीड़ को रोका. जब हालात कंट्रोल से बाहर हुए, तो सख्त एक्शन लेने से भी जवान नहीं हिचकिचाए.

कितना मुश्किल है सेना का काम

बार-बार सुरक्षाबल लोगों को चेतावनी रहे कि वे एनकाउंटर की जगहों पर इकट्ठा ना हों, लेकिन पत्थरबाजों का गैंग हर बार एक्टिव हो जाता है. सेना और सुरक्षाबलों के संयम की क्या सीमा हो, जब सामने से आतंकवादी गोली चला रहे हों और दूसरी तरफ उन्हें बचाने के लिए पत्थर फेंके जा रहे हों.

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नागरिकों की सुरक्षा सेना की प्राथमिकता

सेना की 15वीं कोर कमांडर एके भट्ट का कहना है कि हमारी कोशिश तो होती है कि एक भी नागरिक को खरोंच ना आए. हमारी पूरी कोशिश होती है कि उन्हें ऑपरेशन से दूर रखा जाए. जो कुछ भी हुआ, वो लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए हवाई फायर या किसी क्रॉस फायर में गोली लगी होगी.

कश्मीर को लेकर सेना और सुरक्षाबलों को संयम रखने के प्रवचन बहुत दिए जाते हैं. संयम रखना सही भी है, लेकिन उन हालातों में कोई क्या करेगा जब आतंकवादियों को बचाया जाएगा और जवानों की जान पर खतरा बन जाएगा. संयम क्या होता है, ये आज अनंतनाग में सुरक्षाबलों ने दिखाया.

आतंकियों को समझाने की कोशिश हुई

जम्मू और कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद्य के मुताबिक उन्होंने आतंकवादियों के परिवारवालों को बुलाया. करीब आधे घंटे तक बातचीत की गई. ये कहलवाया कि हिंसा का रास्ता छोड़कर वे वापस लौटे. दुर्भाग्य से उसने परिवारवालों की बात नहीं सुनी. एसपी ने भी बात की, लेकिन आतंकी ने नहीं सुना. सुरक्षाबलों के सामने कोई चारा नहीं था. दूसरे आतंकवादी को जिंदा पकड़ा गया है. वैद्य ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि दुनिया में कहीं भी ऐसा होता है कि पुलिस, आर्मी और सीआरपीएफ इस मानवीय पहलू को ध्यान में रखकर ऑपरेशन करते हैं.'

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ताकि ना मिले आतंकियों को पनाह

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बताया कि सेना का मकसद ये तय करना है कि आतंकियों को शहर और गांव किसी भी इलाके में शह ना मिल सके. सेना ने ये बात पहले ही साफ कर दी है कि किसी भी कीमत पर आतंकवादी बचेंगे नहीं. भले ही वो कहीं पर पनाह लेकर छुपे रहें. आतंकी चुन-चुन कर मारे जाएंगे. भले ही वो कितने ही पत्थरबाजों के गैंग को इकट्ठा करते रहें.

सेना की 15वीं कोर कमांडर एके भट्ट का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन में लगे सभी सुरक्षा बलों के लिए 1 अप्रैल बहुत ही खास दिन रहा. इस दिन दो ऑपरेशन, पूरे कर किए गए. तीन ऑपरेशन में 12 आतंकवादियों को मार गिराया गया. दूसरे ऑपरेशन में 7 आतंकवादी मार गिराए हैं, उनमें 2 आतंकवादी मई में लेफ्टिनेंट उमर फयाज की हत्या में भी शामिल थे.

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