
भारतीय बैंकों को बेसल-3 के नियमों को पूरा करने के लिए करीब 4.22 लाख करोड़ रुपए (65 अरब डॉलर) अतिरिक्त पूंजी की जरूरत है. सभी बैंकों को इन नियमों को मार्च, 2019 तक पूरा करना जरूरी है. रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
बैंक की रेटिंग पर पड़ेगा असर
फिच की तरफ से बेसल-3 नियमों के लिए जो रकम अब बताई गई है, यह इससे पहले बताई गई रकम से काफी कम है. इससे पहले एजेंसी ने 90 अरब डॉलर पूंजी की जरूरत बताई थी. फिच ने कहा है कि 2019 तक बैंकों को बेसल-3 के नियमों को पूरी तरह लागू करना होगा. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक पूंजी की कमजोर स्थिति का बैंक की रेटिंग पर निगेटिव असर पड़ता है.
पूंजी जुटाने के विकल्प हैं सीमित
फिच ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास जरूरत के अनुसार पूंजी जुटाने के लिए विकल्प सीमित हैं. एजेंसी के मुताबिक फिलहाल इन बैंकों के पास आवश्यक पूंजी की तुलना में 95 फीसदी की कमी है.
बैंकों के लिए हो सकती है मुश्किल
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक निवेशकों का भरोसा कमजोर होने की वजह से इन बैंकों के लिए पूंजी को बढ़ाना काफी मुश्किल होगा. ऐसे में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ये बैंक सरकार पर निर्भर रह सकते हैं. सरकार चालू और अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों में 3 अरब डॉलर निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है. इससे पहले सरकार इन बैंकों को 11 अरब डॉलर से ज्यादा पूंजी उपलब्ध करा चुकी है.