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हंस पैगोडा का भारतीय इतिहास से है कनेक्शन

अपनी चीन की यात्रा के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस हंस पैगोडा को देखने गए, उसका कनेक्शन भारत से है. पैगोडा भारतीय उपमहाद्वीप के स्तूप से लिया गया शब्द है. वैसे इसे मंदिर के रूप में समझा जा सकता है.

पैगोडा के दर्शन करने पहुंचे पीएम मोदी पैगोडा के दर्शन करने पहुंचे पीएम मोदी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2015,
  • अपडेटेड 3:36 AM IST

अपनी चीन की यात्रा के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस हंस पैगोडा को देखने गए, उसका कनेक्शन भारत से है. पैगोडा भारतीय उपमहाद्वीप के स्तूप से लिया गया शब्द है. वैसे इसे मंदिर के रूप में समझा जा सकता है.

हंस पैगोडा जाने-माने चीनी भिक्षु ह्वेनसांग की भारत की 17 साल लम्बी भारत यात्रा और चीन में बौद्धधर्म को लोकप्रिय बनाने के उनके प्रयासों को मान्यता प्रदान करते हुए किया गया था. ह्वेनसांग को भारत में सर्वप्रथम चीनी यात्री के रूप में जाना जाता है.

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प्रधानमंत्री मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हंस पैगोडा पहुंचे थे. उन्होंने इस दौरान इस मंदिर को बोधि‍वृक्ष का एक पौधा भेंट किया. इस पर मंदिर के महंत ने भी मोदी को ह्वेनसांग की छोटी मूर्ति भेंट की, जिसे यूयान सांग के रूप में जाना जाता है. मोदी और शी ने एक-दूसरे से हाथ मिलाते हुए फोटो भी खिंचवाए.

हंस पैगोडा दक्षिणी शियान में स्थित एक बौद्ध पैगोडा है. इसका निर्माण 652 इस्वी में सांग राजवंश ने कराया था और मूल रूप में यह पांच मंजिल का था. इस ढांचे का पुन:निर्माण साम्राज्ञी वू जेतियान के समय में 704 ईस्वी में किया गया था और इसके बाहरी ईटों की साज-सज्जा सम्राट गाओ सांग के शासनकाल (649-683 ईस्वी) में हुई थी. अभी इस स्मारक की ऊंचाई 64 मीटर है ह्वेनसांग ने भारत की यात्रा प्राचीन रेशम मार्ग से होते हुए की थी और 17 वर्षों की यात्रा पूरा करते हुए बौद्ध धर्मग्रंथों के साथ चीन लौटे थे.

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इनपुट: भाषा

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