
पिछले एक महीने से भारतीय सेना राजस्थान के थार रेगिस्तान में जारी एक खास युद्धाभ्यास शत्रुजीत का समापन हो गया. खास इसलिए क्योंकि इस युद्धाभ्यास में ऐसा माहौल तैयार किया गया कि भारत पर परमाणु हमला हो चुका है और इस हमले का भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब दे रही है. युद्धाभ्यास के आखिरी दिन 23 अप्रैल को खुद थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग थार रेगिस्तान में मौजूद रहे और उन्होंने इसका जायजा लिया. हालांकि इस युद्धाभ्यास के दौरान सांप के काटने और दुर्घटना से 3 जवान शहीद हो गए. जबकि शुक्रवार की रात पैरा जंप के वक्त कई जवान घायल हो गए.
परमाणु हमले से निपटने की तैयारी का जायजा
भारतीय सेना का अबतक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास शत्रुजीत में बीएमपी-टैंक ने भी हिस्सा लिया. राजस्थान की तपती धूप में भारतीय सेना की सबसे बड़ी और आक्रमणकारी कोर, स्ट्राइक कोर-वन को इस युद्धाभ्यास की जिम्मेदारी दी गई. मथुरा के स्ट्राइक कोर के करीब 30 हजार सैनिक दक्षिण-पश्चिम कमांड के नेतृत्व में इस युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया. इंफेंट्री के अलावा आर्मर्ड ब्रिगेड के करीब 120 टैंक, तोपों की कमान संभालने वाली आर्टेलेरी और स्ट्रैटेजिक हथियारों से लैस मिसाइल रेजीमेंट ने भी इस एक्सरसाइज में हिस्सा लिया. एक्सरसाइज के दौरान सैनिक एक खास तरह की ड्रेस पहने नजर आए. इस ड्रेस को सीबीआरएन यानी केमिकल, बाइलोजिकल, रेडियोलोजिकल और न्यूक्लिर रेडिएशन के खतरे से निपटने के लिए बनाया गया.
भारत के लिए ये युद्धाभ्यास बेहद जरूरी
दरअसल सेना के पास इस वक्त करीब 50 से भी ज्यादा सीबीआरएन-मोनेटिरिंग व्हीकल हैं. परमाणु या फिर बाइलोजिकल, केमिकल और रेडियोएक्टिव हमला होते ही ये मशीनें एक्टिवेट हो जाएंगी और सेना को तुरंत पता चल जाएगा कि भारत पर कोई बड़ा हमला हुआ है. शत्रुजीत नाम की इस मिलेट्री-एक्सरसाइज भारत के लिए इसलिए बेहद जरूरी थी क्योंकि ना केवल रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में आतंकियों के परमाणु हथियार चोरी करने का अंदेशा और उनका बेजा इस्तेमाल करने का शक जताया गया है बल्कि हाल ही में अमेरिका की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान के सभी परमाणु मिसाइलों भारतीय सीमा पर तैनात हैं और उनका रुख भारत की तरफ है.
भारतीय सैन्य ताकत की अग्निपरीक्षा
1971 की बांग्लादेश जंग के बाद ये पहला मौका था जब एक साथ 3 हजार जवानों को हवाई जहाज की मदद से युद्ध के मैदान में पैरा ड्राप किया गया. इस ऑपेरशन के लिए वायुसेना ने अपने 50 विमान और हेलिकॉप्टर इस्तेमाल किए. इस स्पेशल ऑपरेशन के लिए खास सी17, सी130 जे सुपर हरक्युलिस और आईएल 76 विमानों से न सिर्फ जवानों को ड्राप किया गया बल्कि बख्तरबंद वाहनों, तोपों को भी युद्ध के मैदान में उतारा गया.