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3,000 अरब डालर की होगी भारतीय अर्थव्यवस्था: पनगढ़िया

भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर विश्व बैंक से लेकर IMF तक उत्साहित और आशान्वित है. IMF ने जहां भारत की विकास दर को चीन से आगे जाने की बात कही तो विश्व बैंक के प्रमुख जिम योंग किम ने मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की तारीफ करते हुए यहां तक कह गए कि गरीबी मिटाने के लिए दुनिया को मोदी जैसे और नेताओं की जरूरत है.

अरविंद पनगढ़िया [File Photo] अरविंद पनगढ़िया [File Photo]
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2015,
  • अपडेटेड 2:08 PM IST

भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर विश्व बैंक से लेकर IMF तक उत्साहित और आशान्वित है. IMF ने जहां भारत की विकास दर को चीन से आगे जाने की बात कही तो विश्व बैंक के प्रमुख जिम योंग किम ने मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की तारीफ करते हुए यहां तक कह गए कि गरीबी मिटाने के लिए दुनिया को मोदी जैसे और नेताओं की जरूरत है. अब नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने भी कुछ इसी तरह की उम्मीद जाता रहे है...

भारत की विकास दर

सारे कयासों के बीच नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छे दिनों का उदघोष किया. पनगढ़िया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पांच साल से कम समय में 3,000 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर जाएगी. पनगढ़िया यहीं नहीं रुके और कहा कि चालू वित्त वर्ष (2015-16) में देश की आर्थिक विकास दर 8 फीसदी को पार कर जाएगी.

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गौर रहे हाल ही में आपने 10 दिवसीय अमेरिकी दौरे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी भारत की आर्थिक विकास दर को 8 फीसदी के पार जाने के अपने अनुमान से सबको चौंका दिया था. पनगढ़िया अब जेटली के सुर में सुर मिलाते दिख रहे हैं.

पनगढि़या की प्रत्याशा
पनगढ़िया से जब पूछा गया कि क्या सच में भारत की विकास दर 8 फीसदी के पार चली जाएगी? इसपर पनगढ़िया ने कहा कि अगर चालू वित्त वर्ष में 8 फीसदी के आंकड़े पर नहीं पहुंचते हैं, तो काफी निराशा होगी. पर 5 साल से भी कम समय में भारतीय अर्थव्यवस्था 3,000 अरब डॉलर के आंकड़े पर पहुंच जाएगी. खैर अभी भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2,000 अरब डॉलर से कुछ अधिक का है. और बीते साल भारत की आर्थिक विकास दर 7.3 फीसदी थी.

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मेक इन इंडिया से उम्मीदें
सबकी तरह को पनगढ़िया को भी मेक इन इंडिया से काफी उम्मीदें है. नीति आयोग के प्रमुख ने कहा कि हालिया समय में जारी सुधारों और मेक इन इंडिया अभियान के तहत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर ध्यान केन्द्रित किए जाने से भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में दिक्कतों के बावजूद वैश्विक निर्यात में कुछ बढ़त की उम्मीद की जा सकती है.

भारत के लिए अवसर
चीन और जापान के बाद भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. जापान जहां धीमी मुद्रास्फीति से जूझ रहा है तो चीन का ड्रैगन भी अब हांफ रहा है. चीन अपनी आर्थिक विकास दर को कायम रखने के किए संघर्षरत है. ऐसे में भारत के पास आगे बढ़ने के सौ सुनहरे मौके हैं. जब पनगढ़िया से भारत के लिए नए अवसरों के बारे में पूछा गया तो वो कहने लगे कि दुनिया की अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी है और भारत की हिस्सेदारी अभी भी 2 फीसदी से भी कम है. पर अभी वैश्विक निर्यात में सुस्ती के बावजूद भारत के लिए अपार संभावनाएं मौजूद है.

पॉलिसी पर पनगढ़िया
नीति आयोग के अध्यक्ष होने के नाते पॉलिसी मेकिंग और पॉलिसी डिलेवरी दोनों पनगढ़िया की जिम्मेदारी बनती है. अपनी सारी योजनाओं के बारे में पनगढ़िया पूरी तरह इकरारी लहजे में कहा कि हमारी सारी पॉलिसी सही से क्रियान्वित होंगी और रुपये का और अवमूल्यन भी नहीं होगा. 

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चीन से मुकाबला
दुनिया में निर्यात के मामले में चीन नंबर-1 है और वैश्विक बाजार में उसका शेयर 12 फीसदी से भी ज्यादा का है. जबकि भारत ने पिछली सदी से अभी तक वैश्विक स्तर पर निर्यात के मामले में 2 (फीसदी) की गिनती भी नहीं देखी है. नीति आयोग के  उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया का मानना है की मौजूदा नीतियों के सहारे चीन के वैश्विक निर्यात में 12 फीसदी के हिस्से में से कुछ अपने पक्ष में ला सकते हैं.

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