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पहली बार परेड में दिखेगा तेजस, बीकानेर से उड़कर आएंगे तीन विमान

1989 में हुए एक हादसे के बाद से आमतौर पर सिंगल इंजन वाले एयरक्राफ्ट को सुरक्षा की दृष्टि से इस तरह के समारोह में शामिल करने से बचा जाता रहा है

गणतंत्र दिवस में दिखेगा तेजस गणतंत्र दिवस में दिखेगा तेजस
विजय रावत
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST

गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर होने वाली परेड में इस बार देश का पहला स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस भी हिस्सा लेगा. बीकानेर से तीन तेजस विमान उड़ान भरेंगे और परेड के दौरान राजपथ के ऊपर से गुजरेंगे. तेजस को पिछले साल ही भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था.

1989 में हुए एक हादसे के बाद से आमतौर पर सिंगल इंजन वाले एयरक्राफ्ट को सुरक्षा की दृष्टि से इस तरह के समारोह में शामिल करने से बचा जाता रहा है. अक्टूबर 1989 में मिराज 2000 फाइटर प्लेन पालम एयरफोर्स स्टेशन पर भारतीय वायुसेना की 57वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित समारोह के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

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दरअसल एक इंजन वाले जेटविमानों के अपेक्षाकृत नीचे उड़ने पर पक्षियों से टकराने का खतरा रहता है. इसलिए जब विशाल जनसमूह मौजूद हो या महत्वपूर्ण हस्तियां उपस्थित हों तब इन विमानों को उड़ाने से बचा जाता है, हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक ये कोई नियम नहीं है. द हिंदू की खबर के मुताबिक एयर मार्शल (रिटायर्ड) एम मथेस्वरम ने कहा कि मिग 21 और मिराज 2000 राजपथ पर उड़ान भर चुके हैं, हालांकि उन्होंने भी माना कि ये बहुत आम नहीं है.

तेजस को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल ने बनाया है. 2018 तक 18 विमान यानि पहला स्क्‍वाड्रन वायुसेना के लिए तैयार हो जाएगा. इसके बाद ही तेजस को किसी फॉरवर्ड एरिया में तैनात किया जाएगा. तेजस वायुसेना में मिग-21 की जगह लेगा. सेना ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को 120 तेजस का ऑर्डर दिया है. इससे वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी और देसी होने की वजह से इसकी किसी भी चीज के लिए कभी दूसरों का मोहताज नहीं होना होगा. तेजस की लंबाई 13.2 मीटर और ऊंचाई 4.4 मीटर है. तेजस का वजन 6,560 किलोग्राम है. इसके विंग्स 8.2 मीटर चौड़े हैं.

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ये हैं तेजस की खूबियां
तेजस 50 हजार फीट तक उड़ सकता है. दुश्मन पर हमला करने के लिए इसमें हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइल लगी है तो जमीन पर निशाने लगाने के लिए आधुनिक लेजर गाइडेड बम लगे हुए हैं. अगर ताकत की बात करें तो पुराने मिग 21 से कही ज्यादा आगे है और मिराज 2000 से इसकी तुलना कर सकते हैं. ये ही नहीं चीन और पाकिस्तान के साक्षा उपक्रम से बने जेएफ-17 से कहीं ज्यादा बेहतर है. तेजस का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जबरदस्त है. तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है.

1350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेजस एक उड़ान में 2,300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है, जबकि जेएफ-17 2,037 किलोमीटर की दूरी. तेजस जहां 3000 किलो विस्फोटक और बम लेकर उड़ सकता है, वहीं जेएफ-17 2,300 किलो लेकर ही जा सकता है. तेजस हवा में ही तेल भरवा सकता है पर जेएफ-17 ऐसा नहीं कर सकता. सबसे अहम बात यह है कि तेजस 460 मीटर चलने के बाद ही हवा में उड़ सकता है, जबकि चीनी विमान को ऐसा करने के लिए 600 मीटर की दूरी तय करनी होती है.

दुश्मन के छक्के छुड़ाएगा
तेजस में लगे लेजर गाइडेड बम दुश्मन के ठिकाने पर सटीक निशाना लगा सकते हैं. दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन से लेकर देश की किसी भी सरहद पर तेजस अपनी तेजी से दुश्मन के छक्के छुड़ा सकता है. तेजस को सीसीएम यानि क्लोज कॉम्बेट मिसाइल और बीबीएम बियॉन्ड विसुअल रेंज मिसाइल भी लैस किया गया है. विमान का ढांचा भी भारत में बने कार्बन फाइबर से बना है जो कि धातु की तुलना में कहीं ज्‍यादा हल्‍का और मजबूत होता है. विमान में लगे सामान्‍य सिस्‍टम जिसमें ईंधन प्रबंधन से लेकर स्‍टीयरिंग तक सब भारत में ही निर्मित हैं. एक महत्‍वपूर्ण सेंसर तरंग रडार, जो कि दुश्‍मन के विमान या जमीन से हवा में दागी गई मिसाइल के तेजस के पास आने की सूचना देता है, भारत में ही बना है.

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दुनिया में सिंगल इंजन वाला असाधारण विमान
तेजस पर सवार होने से पहले एक खास जी शूट पहना जाता है. जी शूट उड़ान के दौरान पायलट और को पायलट के खून के दबाव को सामान्य बनाये रखने में मदद करता है. जी शूट के साथ एक खास हेलमेट भी पहनना होता है. इस हेलमेट के साथ ही ऑक्सीजन मास्क भी जुड़ा होता है जो उड़ान के दौरान कलाबाजी के वक्त जी शूट के साथ शरीर में खून और ऑक्सीजन का संचार बनाए रखता है. ट्रेनर विमान में सवार होने के बाद उसे रनवे तक टोह करके रनवे पर लाया जाता है और फिर कुछ ही मिनटों में तेजस की तेजी सामने होती है. चीन, पाकिस्तान और बाकि दुनिया के इस क्लास के विमानों के मुकाबले में तेजस दुनिया में सिंगल इंजन वाला असाधारण विमान है.

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