
कैलिफोर्निया में 16 से 20 सितंबर के बीच हुई एक बैठक के दौरान 3GPP ने नाविक को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों पर खरा पाते हुए मान्यता दे दी है. अब भारत की टेलीकम्यूनिकेशन स्टैंडर्ड डेवलपमेंट सोसाइटी इन मानकों को राष्ट्रीय मानकों के साथ जोड़ेगी. इसके बाद आप के मोबाइल पर अमेरिकी जीपीएस के बजाय NaVIC दिखने लगेगा. इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने एक अंग्रेजी अखबार को कहा है कि उन्हें बेहद खुशी है कि 3GPP ने नाविक को मान्यता दे दी है. उन्होंने ने बताया कि NaVIC पूरी तरह से काम कर रहा है. इसके लिए हमारे 8 सैटेलाइट्स भारत के ऊपर तैनात हैं. सात सैटेलाइट नेविगेशन के लिए हैं. एक सैटेलाइट मैसेजिंग के लिए है. NaVIC पर आधारित कुछ एप पहले से काम कर रहे हैं, जबकि कुछ जल्द ही शुरू हो जाएंगे. जल्द ही हम NaVIC आधारित और एप लॉन्च करेंगे. ताकि, आम आदमी को इसका लाभ मिल सके.
NaVIC जीपीएस नहीं हैं, यह RPS है
लोग इसे NaVIC को देसी जीपीएस कह रहे हैं, लेकिन इसे जीपीएस नहीं कह सकते. क्योंकि यह सिर्फ भारत के ऊपर ही काम करेगा. इसके लिए ISRO ने 8 सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया है. इनका पूरा नाम है - इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) या NaVIC. इससे भारत में कहीं भी आपको जीपीएस से बेहतर नेवीगेशन मिलेगा. साथ ही देश की सीमाओं से 1500 किमी बाहर तक का सटीक पोजिशनिंग पता चल पाएगा.
क्या फायदा होगा NaVIC के शुरू होने से
NaVIC एप के शुरू होने के बाद से हमें जमीन, वायु और जल तीनों पर रास्ता आसानी से पता चलेगा. साथ ही आपदा प्रबंधन में मदद मिलेगी. इसके अलावा वाहनों की ट्रैकिं और फ्लीट मैनेजमेंट में आसानी होगी. NaVIC दिखने में ठीक वैसा ही होगा, जैसा अमेरिकी GPS दिखता है, लेकिन इसकी गुणवत्ता जीपीएस से बेहतर होगी.
दुनिया के अन्य देशों के पोजिशनिंग सिस्टम
अमेरिकाः जीपीएस यानी ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम, 24 सैटेलाइट.
रूसः ग्लोनास यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, 24 सैटेलाइट.
यूरोपः गैलीलियो नाम का सिस्टम, कुल 26 सैटेलाइट हैं इस सिस्टम में.
चीनः बीडीएस यानी बीडोऊ नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, 30 सैटेलाइट हैं.