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जॉर्जिया के एक मंदिर में पुजारी रहे एक भारतीय को बैंक और टैक्स मामलों में धोखाधड़ी करने , मनी लॉन्डरिंग और मंदिर की कमाई का निजी इस्तेमाल करने के मामले में 27 साल जेल की सजा सुनाई गई है.
स्वामीजी श्री सेल्वम सिद्धधर के नाम से जाने जाने वाले अन्नामलाई (49) को दो हफ्ते तक चली सुनवाई के बाद पिछले साल अगस्त में बैंक और टैक्स संबंधी मामलों में धोखाधड़ी करने का दोषी पाया गया था. उसे अगस्त 2009 में हिंदू मंदिर की याचिका के संबंध में दिवालियापन संबंधी धोखाधड़ी के मामले में भी दोषी पाया गया था.
'सजा लंबी लेकिन बिल्कुल सही'
कार्यवाहक अमेरिकी अटार्नी जॉन ए हॉर्न ने कहा, ‘अन्नामलाई ने अपने लालच और निजी फायदे के लिए मंदिर का इस्तेमाल कर धर्म की इस पवित्र संस्था को अपवित्र किया.’ हॉर्न ने कहा, ‘उसने पीड़ितों के दिमाग में यह बात भरी कि उन्हें समस्या है और उन्हें धार्मिक मार्गदर्शन की आवश्यकता है और इसके बाद उसने निजी वित्तीय लाभ के लिए उनका इस्तेमाल किया. उसे दी गई सजा लंबी है लेकिन उसने पीड़ितों को जो नुकसान पहुंचाया है, उसे देखते हुए यह सजा बिल्कुल सही है.’
ऐसे दिया अनुयायियों को धोखा...
अन्नामलाई ने धार्मिक और संबंधित अन्य सेवाएं मुहैया कराने के एवज में अपने अनुयायियों से फीस ली और इस तरह उसने जॉर्जिया के हिंदू मंदिर के जरिए धन कमाया. उसने अपने अनुयायियों के क्रेडिट कार्ड की जानकारी लेकर उनके इस्तेमाल में भी धोखाधड़ी की. अनुयायियों द्वारा इस मामले में शिकायत करने पर उसने क्रेडिट कार्ड कंपनियों में फर्जी दस्तावेज जमा कराए.
पुजारी के पास अकूत पैसा...
अन्नामलाई ने मंदिर से हुई आय को अपनी निजी लाइफस्टाइल और अपने परिवार पर खर्च किया. अन्नामलाई और उसके परिवार के पास कई घर, अचल संपत्तियां और लक्जरी गाड़ियां हैं और भारत में अन्नामलाई के विदेशी बैंक खाते भी हैं. अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जज टिमोथी बैटन ने अन्नामलाई को कारावास की सजा सुनाने के अलावा उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी धार्मिक सेवा में शामिल नहीं होने का भी आदेश दिया.
अन्नामलाई को ‘कम्युनिकेशंस मैनेजमेंट हाउसिंग यूनिट’ में रखा जाएगा जहां उसके टेलीफोन कॉल और इलेक्ट्रॉनिक संचार पर नजर रखी जाएगी.
इनपुट PTI से