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'Sheshnag' ने तोड़ा 'Super Anaconda' का रिकॉर्ड, Indian Railway ने रचा नया इतिहास

Sheshnag Train After Super Anaconda On Railway Track: गुरुवार को ट्रेन की पटरियों पर 2.8 किलोमीटर लंबे शेषनाग के उतरने के साथ ही इंडियन रेलवे (Indian Railway) ने एक नया कीर्तिमान अपने नाम कर लिया.

Sheshnag Train After Super Anaconda On Railway Track Sheshnag Train After Super Anaconda On Railway Track
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 11:27 AM IST

गुरुवार को ट्रेन की पटरियों पर 2.8 किलोमीटर लंबे शेषनाग के उतरने के साथ ही इंडियन रेलवे (Indian Railway) ने एक नया कीर्तिमान अपने नाम कर लिया. इस शेषनाग को पटरियों पर दौड़ाने के लिए रेलवे को चार इंजनों का इस्तेमाल करना पड़ा. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मुताबिक गुरुवार को 251 वैगन के साथ 2.8 किलोमीटर लंबी 'शेषनाग' ट्रेन को नागपुर डिवीजन से कोरबा के बीच चलाया गया.

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शेषनाग ने 6 घंटे में करीब 260 किलोमीटर के सफर को पूरा किया. यह अनोखा प्रयोग माल ढुलाई में लगने वाले समय की बचत के लिए किया गया. शेषनाग ट्रेन को पटरी पर दौड़ाने के लिए इसमें 6000 हॉर्स पावर की क्षमता वाले 4 इलेक्ट्रिक इंजन लगाए गए थे वहीं, 2 किलोमीटर लंबी सुपर एनाकोंडा ट्रेन में 6000 हॉर्स पावर की क्षमता वाले 3 इलेक्ट्रिक इंजन लगाए गए थे. सुपर एनाकोंडा ट्रेन में 177 लोडेड वैगन थे.

इसी के साथ रेलवे ने बुधवार को चलाई गई सुपर एनाकोंडा का रिकॉर्ड एक दिन में ही ध्वस्त कर दिया. इंडियन रेलवे एक बाद एक नए कीर्तिमान अपने नाम कर रहा है. बुधवार को रेलवे ने तीन इंजन और मालगाड़ियों को जोड़कर 2 किलोमीटर लंबा एक सुपर एनाकोंडा ट्रेन बनाया गया. ये सुपर एनाकोंडा ट्रेन 'एनाकोंडा फॉर्मेशन' में ओडिशा के लाजकुरा और राउरकेला के बीच दौड़ाई गई.

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सुपर एनाकोंडा ट्रेन में 15 हजार टन का वजन लोड था. इससे 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के सामान को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाया गया. इसकी अधिकतम रफ्तार 60 किमी प्रति घंटा रही थी. 'सुपर एनाकोंडा' ने 2:15 घंटे में अपना सफर पूरा किया था.

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167 साल में पहली बार टाइम पर पहुंची ट्रेनें

बुधवार को रेलवे ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया. एक जुलाई 2020 को 24 घंटे के दौरान कुल 201 पैसेंजर ट्रेनें पूरे देश में चलीं और एक भी ट्रेन लेट नहीं हुई. यानी 201 ट्रेनें अपने तय समय के मुताबिक तय स्टेशन तक पहुंचीं.

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रेलवे के 167 साल के इतिहास में यह पहली बार था जब किसी एक दिन सभी ट्रेनों ने अपने टाइम के मुताबिक सफर को समाप्त किया.

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