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15 अगस्त से शुरू हुआ था ISRO का सफर, संसद ने आजतक नहीं बनाया कानून

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरह इसरो का गठन संसद में कानून बनाकर नहीं किया गया है. इसरो की पहले स्थापना हुई थी और फिर बाद में भारत सरकार ने अंतरिक्ष आयोग का गठन कर अंतरिक्ष विभाग की स्‍थापना की थी. इसके बाद इसरो को अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत लाया था. इसरो का कानूनी ढांचा समझने के लिए पढ़िए पूरी खबर......

स्वतंत्रता दिवस पर इसरो का शुरू हुआ सफर, संसद ने आजतक नहीं बनाया कानून स्वतंत्रता दिवस पर इसरो का शुरू हुआ सफर, संसद ने आजतक नहीं बनाया कानून
राम कृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 7:57 AM IST

  • भारत सरकार का अंतरिक्ष विभाग मुहैया कराता है इसरो को फंड
  • अमेरिकी संसद ने कानून बनाकर किया था नासा का गठन

दुनिया को मिशन चंद्रयान-2 से हैरान करने वाले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का सफर 15 अगस्‍त 1969 से शुरू हुआ था. 50 साल में इसरो ने कई ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किए. मिशन चंद्रयान-2 के बाद से इसरो को लेकर कई जिज्ञासाएं बढ़ गई हैं. क्या आप जानते हैं कि इसरो की स्थापना किस कानून के तहत की गई, इसरो को अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए फंड कहां से मिलता है और इसरो पर सरकार कैसे नियंत्रण रखती है?

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अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरह इसरो का गठन संसद में कानून बनाकर नहीं किया गया है. अमेरिकी संसद ने नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एक्ट के तहत नासा की स्थापना की थी, जबकि इसरो का गठन डॉ. विक्रम साराभाई ने किया था. हालांकि बाद में जून 1972 में भारत सरकार ने अंतरिक्ष आयोग का गठन कर अंतरिक्ष विभाग की स्‍थापना की थी. इसके बाद इसरो को अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत लाया था. यह विभाग सीधे प्रधानमंत्री के अधीन काम करता है. इसके लिए अलग से कोई मंत्रालय भी नहीं है.

इस संबंध में लॉ प्रोफेसर डॉ राजेश दुबे का कहना है कि इसरो को लेकर भले की संसद से कोई अधिनियम पारित न किया गया, लेकिन यह सीधे तौर पर प्रधानमंत्री के नियंत्रण में होता है. पीएम के अधीन काम करने वाला अंतरिक्ष विभाग ही स्पेस प्रोग्राम के लिए इसरो को फंड मुहैया कराता है. साल 2017-18 में इसरो के लिए करीब 10 हजार करोड़ रुपये (9093 करोड़ 71 लाख रुपये) का फंड जारी किया गया था. हर साल इसके फंड में इजाफा किया जाता है.

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इसके साथ ही डॉ राजेश दुबे यह भी स्वीकारते हैं कि अगर इसरो के लिए संसद में कानून बनाया जाता है, तो इससे स्पेस प्रोग्राम को भविष्य में तेजी से बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है.

अंतरिक्ष विभाग करता है इसरो की देखरेख

इसरो दुनिया की टॉप फाइव स्पेस एजेंसियों में शुमार है, जिसकी देखरेख अंतरिक्ष विभाग करता है. अंतरिक्ष आयोग का गठन कर अंतरिक्ष विभाग की स्थापना की गई थी. अंतरिक्ष आयोग में चेयरमैन समेत कुल 10 सदस्य हैं, जिसमें अंतरिक्ष विभाग के सचिव इसके चेयरमैन होते हैं. वर्तमान में इसरो के चीफ डॉ के सिवन अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के चेयरमैन हैं.

इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट के सचिव, विदेश सचिव, व्यय विभाग के सचिव, भारत सरकार के सचिव समेत अन्य शामिल होते हैं. अंतरिक्ष विभाग का कार्यालय बेंगलुरु स्थित इसरो मुख्यालय में ही है.

मनमोहन सरकार ने दी थी मिशन चंद्रयान-2 को मंजूरी

मिशन चंद्रयान-2 की मंजूरी 18 सितंबर साल 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दी थी. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था. चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को सात सितंबर 2019 को चांद पर लैंड करना था, लेकिन लैंडिंग से ठीक पहले इसका इसरो से संपर्क टूट गया था. फिलहाल इसरो विक्रम लैंडर से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है. इसरो ने अपने मिशन चंद्रयान-2 को 95 फीसदी तक सफल बताया है. इसरो के ऐतिहासिक मिशन चंद्रयान-2 की दुनिया की टॉप स्पेस एजेंसी नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी सराहना की है.

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