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US में काम करने और बसने के लिए 151 साल का करना होगा इंतजार!

एक अमेरिकी थिंक-टैंक के मुताबिक उच्च डिग्री धारक भारतीयों को अमेरिका में काम करने और स्थायी रूप से बसने के लिए ग्रीन कार्ड हासिल करने में 151 साल का वक्त लग सकता है. यह कार्ड अमेरिका में स्थायी रूप से बसने और काम करने का अधिकार देता है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
राम कृष्ण
  • वॉशिंगटन,
  • 16 जून 2018,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST

अगर आपके पास उच्च शैक्षणिक डिग्री है और आप अमेरिका में काम करना चाहते हैं, तो आपको ग्रीन कार्ड हासिल करने के लिए 151 साल तक इंतजार करना पड़ सकता है. यह कार्ड अमेरिका में स्थायी रूप से बसने और काम करने का अधिकार देता है.

एक अमेरिकी थिंक-टैंक के मुताबिक उच्च डिग्री धारक भारतीयों को अमेरिका में काम करने और स्थायी रूप से बसने के लिए ग्रीन कार्ड हासिल करने में 151 साल का वक्त लग सकता है.

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वॉशिंगटन स्थित थिंक-टैंक केटो इंस्टिट्यूट ने ग्रीन कार्ड के लिए इंतजार की अवधि के बारे में अपनी गणना के आधार पर यह अनुमान व्यक्त किया है. यह अनुमान अमेरिका के नागरिकता एवं आव्रजन सेवा विभाग (USCIS) द्वारा हाल ही में जारी आवेदनों की संख्या पर आधारित है.

इसमें साल 2017 में जारी किए गए ग्रीन कार्ड की संख्या को भी ध्यान में रखा गया है. इसके अनुसार 20 अप्रैल 2018 तक छह लाख 32 हजार 219 अप्रवासी भारतीय, उनके जीवनसाथी (पति या पत्नी) और अल्पवयस्क बच्चे ग्रीन कार्ड के इंतजार में थे. इस कार्ड से अमेरिका की स्थायी नागरिकता मिलती है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक केटो इंस्टिट्यूट के मुताबिक विभिन्न श्रेणी के कौशल वाले अप्रवासियों को ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा अवधि भी अलग-अलग है. इसमें सबसे कम प्रतीक्षा अवधि EB-1 कैटेगरी के अप्रवासियों (immigrants) की है, जबकि सबसे अधिक प्रतीक्षा अवधि EB-2 कैटेगरी के अप्रवासियों के लिए है.

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इसके मुताबिक वीजा जारी किए जाने की मौजूदा गति के हिसाब से उन्हें (EB-2 कैटेगरी के अप्रवासियों को) ग्रीन कार्ड के लिए 151 साल इंतजार करना होगा, बशर्ते कि कानून में कोई बदलाव नहीं हो.

क्या है मौजूदा कानून

अमेरिका के मौजूदा कानून के तहत एक वित्त वर्ष में किसी भी देश के सात फीसदी से अधिक नागरिकों को ग्रीन कार्ड नहीं दिया जा सकता है. स्थायी निवास में सात फीसदी कोटे का सबसे बुरा असर भारतीय-अमेरिकियों पर पड़ रहा है. इनमें से ज्यादातर भारतीय हाई स्क‍िल और उच्च डिग्री धारक होते हैं और वे मुख्य रूप से H-1B वर्क वीजा पर अमेरिका जाते हैं.

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