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गुड न्यूजः भारत में हुई भ्रष्टाचार में कमी, करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में हुआ सुधार

भारत के लिए एक अच्छी खबर है. दुनिया भर के मुल्कों में भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की जारी करप्शन परसेप्शन इंडेक्स की ताजा सूची में भारत की स्थिति में 9 स्थानों का सुधार हुआ है. 2014 की इस ताजा सूची में भारत का स्थान 175 देशों में 85वां है.

करप्शन परसेप्शन इंडेक्स करप्शन परसेप्शन इंडेक्स
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 5:31 PM IST

भारत के लिए एक अच्छी खबर है. दुनिया भर के मुल्कों में भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की जारी करप्शन परसेप्शन इंडेक्स की ताजा सूची में भारत की स्थिति में 9 स्थानों का सुधार हुआ है. 2014 की इस ताजा सूची में भारत का स्थान 175 देशों में 85वां है.

इसी इंडेक्स में पिछले साल 177 देशों में भारत का स्थान 94वां था. इतना ही नहीं करप्शन परसेप्शन इंडेक्स स्कोर में भी 2014 में सुधार देखा गया है. 2013 में यह स्कोर 36 था जो अब 2 अंक बढ़कर 38 हो गया है. दुनिया भर के विशेषज्ञों की राय के आधार पर इस करप्शन परसेप्शन इंडेक्स स्कोर को 0 (अत्यधिक भ्रष्ट) से 100 (बहुत साफ) के बीच दिया जाता है. करप्शन परसेप्शन इंडेक्स की इस रिपोर्ट में एक चौंकाने वाली तस्वीर भी उजागर हुई है, इस लिस्ट में किसी भी देश को परफेक्ट स्कोर नहीं मिला जबकि 50 फीसदी से अधिक देशों को 50 से कम अंक मिला.

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इस सूचकांक में पिछले साल के नंबर वन न्यूजीलैंड (91 अंक) को दूसरे नंबर पर धकेलते हुए डेनमार्क (92 अंक) टॉप पर पहुंच गया है. दुनियाभर के एक्सपर्ट्स के ओपीनीयन पर आधारित यह इंडेक्स विभिन्न देशों के सार्वजनिक क्षेत्र में व्यापत भ्रष्टाचार के स्तर को बताता है. इस रिपोर्ट में सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के नतीजे के रूप में घूसखोरी, खस्ताहाल स्कूल, नकली दवाईयां और चुनाव में पैसों के बोलबाले को निरुपित किया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया कि घूसखोरी न केवल संसाधनों की चोरी करते हैं बल्कि वे न्याय और आर्थिक विकास को कमजोर बनाने के साथ ही सरकार और नेताओं में जनता के विश्वास को भी नष्ट कर डालते हैं. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की इस रिपोर्ट के अनुसार, ‘भ्रष्टाचार हरेक मुल्क की समस्या है. इस इंडेक्स में मिला खराब स्कोर किसी देश में व्याप्त रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार के लिए सजा में कमी और सार्वजनिक संस्थानों का नागरिकों की जरूरतों पर ध्यान नहीं देने को इंगित करता है. इतना ही नहीं इस सूचकांक में शीर्ष पर आए देशों को भी कार्रवाई करने की जरूरत है. यूरोपीय संघ और अमेरिकी वित्तीय केंद्रों को भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के साथ जुड़ने की जरूरत है.’

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इतना ही नहीं, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने जी-20 मुल्कों से भी काले धन और गोपनीय कंपनियों को भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने से रोकने की ओर कदम उठाकर अपनी वैश्विक भूमिका निभाने को कहा.

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