
राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग के तुरंत बाद बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक हुई. इस बैठक में उपराष्ट्रपति पद के लिए केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया गया. नायडू के नाम की घोषणा के साथ ही ये तय हो गया हौ कि पहली बार देश के तीन सबसे बड़े संवैधानिक पदों पर आरएसएस के स्वयंसेवक आसीन रहेंगे.
पिछले महीने 20 मई को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर सबको हैरान कर दिया था. रामनाथ के नाम के साथ जहां बीजेपी ने दलितों को साधने की एक और कोशिश की. वहीं ये भी कहा गया कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने का फल मिला.
अब बीजेपी ने वेंकैया नायडू को एनडीए के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. वो भी तब जब नायडू मोदी कैबिनेट में शहरी विकास मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. और उनके जिम्मे स्मार्ट सिटी, स्वच्छता अभियान जैसे अहम प्रोजेक्ट हैं.
नायडू के फ्लैशबैक में देखा जाए तो संघर्ष और गरीबी की तस्वीर सामने आती है. किसान परिवार में जन्मे नायडू ने बेहद गरीबी में गुजर-बसर किया. आलम ये था कि उनके पास पढ़ाई तक के लिए पैसे नहीं थे.
आरएसएस से उनके जुड़ाव की संजीदगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नायडू अपनी अल्पावस्था में संघ के कार्यालय में ही रहते और सोते थे.
पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक के बाद जब अमित शाह ने उनके नाम का औपचारिक ऐलान किया तो वो भी नायडू के संघर्ष और लगन को याद करते दिखे. अमित शाह ने बताया कि नायडू जी ने बचपन से बीजेपी की सेवा की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतीत की बात की जाए तो उन्होंने भी बचपन से ही स्वयंसेवक के रूप में काम किया. गुजरात के वडनगर से निकलकर मोदी केंद्र की सत्ता तक पहुंचे और देश के प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया.
यानी तस्वीर बिल्कुल साफ है. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना लगभग तय है. वहीं सत्ता पक्ष का उम्मीदवार होने के नाते वेंकैया नायडू का उपराष्ट्रपति बनना भी तय नजर आ रहा है. इसलिए जब नायडू चुनाव में जीत के बाद उपराष्ट्रपति पद का कामकाज संभालेंगे तो देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तीनों पदों पर संघ के स्वयंसेवक विराजमान होंगे.
गौरतलब है कि बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की मांग की थी. हालांकि, बीजेपी ने ऐसा नहीं किया. खुद आरएसएस ने ऐसी किसी संभावना का खंडन किया था. मगर आज जो तस्वीर है, वहां भले ही आरएसएस प्रमुख किसी संवैधानिक पद पर विराजमान न हों, मगर आरएसएस के स्वयंसेवक देश के तीन सर्वोच्च पदों पर आसीन होने जा रहे हैं.