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आखिरकार भारत का अपना लड़ाकू विमान बनाने का सपना साकार हो गया. देश में बने हल्के फाइटर प्लेन 'तेजस' को वायुसेना में शामिल करने की इजाजत मिल गई है. यह विमान कुछ और परीक्षणों के बाद भारतीय वायुसेना में पूरी तरह शामिल हो जाएगा. यह रूसी विमान मिग-21 की जगह लेगा.
शुक्रवार को बेंगलुरू में रक्षा मंत्री एके एंटनी, रक्षा सचिव जितेंद्र सिंह और एयर फोर्स के चीफ एके ब्राउनी के सामने इस विमान की उड़ान भरी गई. इसे पेश करने में 20 साल लग गए और भारी खर्च हुआ. इस विमान का नाम तेजस पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था.
इन सुपरसोनिक (आवाज से तेज गति) फाइटर विमानों को हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (हाल) के प्लांट में बनाया जा रहा है. इनके पहले बैच को एयर फोर्स का हिस्सा अगले साल बना दिया जाएगा.
तेजस सिंगल इंजिन का हल्का और तेजी से मुड़ सकने वाला लड़ाकू विमान है जिसमें भारत में बने मिसाइल लगाए जा सकेंगे.
हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड पहले साल 8 विमान बनाकर देगा लेकिन बाद में इसकी क्षमता 16 कर दी जाएगी. इस विमान की 500 उड़ानें की जा चुकी हैं और इसके बाद भी कई तरह के परीक्षण किए जा रहे हैं. इस विमान को लेह, जैसलमेर, ग्वालियर, पठानकोट और गोवा जैसी अलग-अलग भौगोलिक स्थितियों वाली जगहों पर उड़ाया गया ताकि सभी तरह के मौसम का यह मुकाबला कर सके. इससे मिसाइल भी फायर करके देखा गया. इसमें पायलटों के सुझाव पर कई जरूरी बदलाव किए गए हैं. इसे बनाने में कम से कम 100 प्रतिष्ठानों और प्रयोगशालाओं का हाथ रहा है.
यह विमान रात में और खराब से खराब मौसम में भी उड़ सकता है. इसके लिए इसमें जीपीएस और आईएलएस दोनों ही हैं. इसे साधारण किस्म के रेडार से पकड़ा नहीं जा सकता. इस विमान में हवा में ही ईंधन भरने की व्यवस्था है. इसमें जनरल इलेक्ट्रिक का इंजन है.
ध्यान रहे कि पाकिस्तान ने हाल ही में अपना लड़ाकू विमान जेएफ-17 उतारा था लेकिन तेजस की तुलना में वह कहीं नहीं ठहरता.