
असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) का डाटा जारी होने के बाद देश की राजनीति गर्मा गई है. कांग्रेस की अगुवाई में पूरा विपक्ष आक्रामक रूप से इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है. तो वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी पलटवार जारी है. अलग-अलग राजनीतिक दलों ने इस पर अपना रुख स्पष्ट किया है, इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक पुराना इंटरव्यू चर्चा में है. इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थियों पर खुलकर बात की थी.
दिसंबर, 1971 में जब पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था और बांग्लादेश का जन्म हुआ था उससे काफी समय पहले से ही बांग्लादेशी शरणार्थियों ने भारत में आना शुरू कर दिया था. जिसका सामना तत्कालीन सरकार को काफी दिक्कतें हुई थीं. 19 मई 1971 को इंदिरा गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वहां (बांग्लादेश, तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) कुछ भी होगा, तो हमें बहुत परेशानी हो जाएगी. हमारे यहां अभी भी लाखों शरणार्थी हैं, जो सीमा पार कर आए हैं.
पूर्व पीएम ने कहा था कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था, राजनीति हर चीज पर फर्क पड़ता है. हम इन लोगों को बसाना नहीं चाहते हैं. ये ठीक है कि हम उनकी मदद करना चाहते हैं, जब तक वहां सब ठीक नहीं हो जाता है. लेकिन सभी को अपनी जगह वापस जाना ही होगा.
जब इंदिरा से पूछा गया कि अगर इन्हें ईस्ट पाकिस्तान (बांग्लादेश) से वेस्ट पाकिस्तान (पाकिस्तान) जाने में परेशानी हुई तो क्या होगा. इस इंदिरा ने कहा कि इसका कोई उपाय तो निकालना ही होगा, क्योंकि हम जनसंख्या में इजाफा बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि एक गांव था जिसकी जनंसख्या 7000 थी, लेकिन वहां अचानक 60000 शरणार्थी आ गए. अब आप समझ सकते हैं वहां के स्कूल, अस्पताल आदि जगहों पर किस तरह का दबाव पड़ा होगा.
बता दें कि असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा सोमवार को जारी कर दिया गया. असम देश में एकमात्र ऐसा राज्य है जहां एनआरसी जारी किया गया है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य के कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम हैं. जबकि करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं.
इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार को राष्ट्रहित एवं एकता के इस मुद्दे पर जिम्मेदाराना बर्ताव करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक बड़ी संख्या में भारतीयों को अपने ही देश में शरणार्थी की तरह छोड़ दिए जाने का मुद्दा उठा रही है और यह अस्वीकार्य है.
आनंद शर्मा के अलावा गुलाम नबी आजाद ने इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया. उन्होंने कहा कि NRC साबित करने की जिम्मेदारी सिर्फ व्यक्ति पर नहीं बल्कि सरकार पर भी होनी चाहिए. क्योंकि सभी के लिए यह साबित करना आसान नहीं है और सभी व्यक्ति को कानूनी सहायता मिलनी ही चाहिए. साथ ही आजाद ने कहा कि किसी के साथ जबदस्ती नहीं होनी चाहिए और 16 सबूतों में से कोई एक भी सबूत मिलने पर उसे स्वीकार किया जाना चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे देश में कोई भी नागरिक को जाति-धर्म के आधार पर बाहर नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मानव अधिकारों से जुड़ा मुद्दा है और संख्या 40 लाख नहीं बल्कि परिवारों को मिलाकार 1.2 करोड़ से ज्यादा है.
यहां देखें, इंदिरा गांधी का वो इंटरव्यू...