
हर साल हमारा देश गणतंत्र दिवस के समारोह में किसी राष्ट्राध्यक्ष को चीफ गेस्ट के रूप में आमंत्रित करता है. इस बार सिर्फ एक नहीं बल्कि आसियान के 10 राष्ट्राध्यक्ष गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि होंगे. साल 1950 से ही गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्ट का एक प्रतीकात्मक महत्व रहा है. वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका और नीति के मुताबिक यह चुनाव किया जाता रहा है.
इस साल आसियान के देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाना इस बात का प्रतीक है कि पूर्वी एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत 'एक्ट ईस्ट' नीति पर जोर दे रहा है. एक नजर इस बात पर डालते हैं कि अतीत में भारत की नीति के मुताबिक किस तरह से चीफ गेस्ट का चुनाव किया जाता रहा...
असहयोग आंदोलन
साल 1950 में हमारे पहले गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्ट इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे. जवाहर लाल नेहरू के मित्र सुकर्णो उनके साथ असहयोग आंदोलन (NAM) के संस्थापक सदस्यों में से थे. युगोस्लवालिया के राष्ट्रपति जे. ब्रोज टीटो नैम के एक और संस्थापक सदस्य थे जिन्हें 1968 और 1974 में गणतंत्र दिवस का चीफ गेस्ट बनाया गया था.
शीत युद्ध का दौर
1950 से 1960 के दशक में तत्कालीन यूएसएसआर या सोवियत संघ के प्रमुख को तीन बार गणतंत्र दिवस का चीफ गेस्ट बनाया गया. हालांकि शीत युद्ध के दौर में भारत ने कभी भी किसी का पक्ष नहीं लिया, लेकिन सोवियत संघ के साथ हमारे देश के काफी मैत्रीपूर्ण संबंध थे. वर्षों तक रूस रक्षा के मामले में भारत का करीबी सहयोगी बना रहा.
युद्ध और शांति
लंबे समय तक दुश्मनी का दौर देखने वाले भारत-पाकिस्तान के बीच एक ऐसा भी दौर आया जब रिश्तों पर जमा बर्फ पिघली और दोनों देशों के रिश्ते सामान्य हो गए. ऐसे में 1965 के गणतंत्र दिवस के समारोह में पाकिस्तान के कृषि एवं खाद्य मंत्री राणा अब्दुल हमीद को चीफ गेस्ट के रूप में आमंत्रित किया गया. हालांकि इसके कुछ ही महीनों बाद दोनों देशों में युद्ध शुरू हो गया था.
अफ्रीका पर जोर
1995 से 2001 के बीच अफ्रीकी देशों के तीन राष्ट्राध्यक्षों को रिपब्लिक डे का चीफ गेस्ट बनाया गया. दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को 1995 में रिपब्लिक डे का चीफ गेस्ट बनाया गया. इसके कुछ साल पहले ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद खत्म हुआ था.
भारत-अमेरिका संबंध
साल 2015 में बराक ओबामा भारत के रिपब्लिक डे के चीफ गेस्ट बनने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सितंबर 2014 में सफल अमेरिका यात्रा के कुछ ही महीनों बाद ओबामा की भारत यात्रा हुई थी. ओबामा को मिले इस आमंत्रण से दोनों देशों के बीच रिश्तों में काफी मजबूती आई थी.