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पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस राज के दौरान हुए भूमि घोटालों के नाम पर वोट बटोरने वाली बीजेपी, सत्ता में आने के बाद घोटालेबाजों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाई जिसकी वजह से अब हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है.
वाड्रा और हुड्डा को 'सेफ पैसेज' दे रही खट्टर सरकार!
राज्य सरकार ने न तो जमीन घोटालों को उजागर करने वाले आईएएस अशोक खेमका की रिपोर्ट पर अमल किया और न ही इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) द्वारा सौंपी गई चार्जशीट पर. अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा पर एक ऐसे व्यक्ति की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसका जमीन घोटालों से कुछ लेना-देना ही नहीं. हरियाणा के बीजेपी नेता अपनी साख बचाने के लिए शिकायत करने वाले सुरेंद्र शर्मा को हीरो बता रहे हैं.
सरकार की इस लेटलतीफी पर विपक्ष भी सवाल उठाने लगा है. प्रमुख विपक्षी दल INLD ने तो यहां तक कह दिया कि खट्टर सरकार जमीन घोटाले में शामिल बीजेपी नेताओं को बचाने के लिए वाड्रा और हुड्डा को 'सेफ पैसेज' दे रही है.
सरकार से जुड़े सूत्रों की माने तो राज्य सरकार के नेता जमीन घोटालों पर कार्रवाई को लेकर दो धड़ों में बंटे हुए हैं. एक धड़ा तुरंत कार्रवाई चाहता है तो दूसरा कार्रवाई करने के पक्ष में नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट का हवाला
इस मामले पर जब हरियाणा के मंत्री अनिल विज से बात की गई तो उन्होंने ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक का हवाला देते हुए कहा कि जब तक रोक नहीं हटती तब तक सरकार के हाथ बंधे हुए हैं.
अनिल विज ने कहा, 'मैंने इस मामले को लगातार विधानसभा के अंदर और बाहर भी उठाया. हम सत्ता में आते ही चाहते तो कार्रवाई कर सकते थे, लेकिन फिर हमारे ऊपर आरोप लगता कि हमने जानबूझकर ऐसा किया. हमने इस मामले की जांच के लिए ढींगरा कमीशन का गठन किया.'
उन्होंने कहा, 'ढींगरा कमीशन ने इसकी जांच कर अपनी रिपोर्ट दी. अब यह हाईकोर्ट में चले गए और हाईकोर्ट ने उस रिपोर्ट पर स्टे लगा दिया तो हम कुछ नहीं कर पा रहे.'
विज का वाड्रा पर हमला
अपनी बेबाकी के लिए चर्चित हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने 'आज तक' से बातचीत में रॉबर्ट वाड्रा और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर निशाना साधते हुए कहा, 'मामला बड़ा स्पष्ट है. भ्रष्टाचार का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता. 3.50 एकड़ जमीन 7.50 करोड़ में खरीदी जाती है और जो 7.5 करोड़ रुपये का चेक है वह भी कभी दिया नहीं जाता. यानी मुफ्त में रजिस्ट्री करवा ली जाती है और उस जमीन का सरकार से सीएलयू भी ले लिया जाता है.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएलयू हासिल करने के बाद वही जमीन DLF को 58 करोड़ रुपये में बेच दी जाती है यानी 7.5 करोड़ रुपये की जमीन सीएलयू मिलने के बाद 58 करोड़ की हो गई. हम पिछली सरकार पर आरोप लगाते रहे कि उसने सीएलयू बेचे तो यह उसका सबसे बड़ा उदाहरण है.'
गुरुग्राम के अधिकारी रॉबर्ट वाड्रा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते हैं तो आखिर सरकार उसकी इजाजत में देरी क्यों लगा रही है, इस पर मंत्री अनिल विज ने कहा कि अधिकारी जांच की प्रक्रिया में जुटे हैं और इस मामले में जो इजाजत मांगी गई है उसे तुरंत दे दिया जाएगा.
अशोक खेमका और INLD के आरोपों पर अमल नहीं
अनिल विज इस सवाल का उत्तर टाल गए जब उनसे पूछा गया कि आखिर सरकार ने आईएएस अशोक खेमका द्वारा जुटाए गए तथ्यों के आधार पर जमीन घोटालों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई. उन्होंने इंडियन नेशनल लोकदल द्वारा चार साल पहले सौंपी गई चार्जशीट पर किए गए सवाल का भी कोई जवाब नहीं दिया.