जेल में खेल का सच: मोबाइल से रची गई थी पूरी साजिश!
हिंदुस्तान में जेल ब्रेक यानी जेल से भागने की अब तक कई वारदातें हो चुकी हैं. मगर यकीन मानिए जो कुछ पंजाब के नाभा जेल में हुआ वैसा इससे पहले कभी किसी जेल में नहीं हुआ. दस बदमाश चार गाड़ियों में सवार होकर जेल के अंदर और जेल के बाहर कई मिनट तक सौ राउंड या उससे ज्यादा गोलियां बरसाते हैं.
हिंदुस्तान में जेल ब्रेक यानी जेल से भागने की अब तक कई वारदातें हो चुकी हैं. मगर यकीन मानिए जो कुछ पंजाब के नाभा जेल में हुआ वैसा इससे पहले कभी किसी जेल में नहीं हुआ. दस बदमाश चार गाड़ियों में सवार होकर जेल के अंदर और जेल के बाहर कई मिनट तक सौ राउंड या उससे ज्यादा गोलियां बरसाते हैं. फिर पूरे जेल स्टाफ के सामने अपने साथियों को ले उड़ते हैं. रविवार सुबह जिस वक्त नाभा जेल पर हमला हुआ तब जेल के अंदर करीब एक हजार कैदी और 250 सुरक्षाकर्मी और जेल स्टाफ यानी कुल मिला कर साढ़े बारह सौ लोग थे.
हमलावर दस थे, लेकिन उनके पास हथियार इतने थे कि वो काफी देर तक सुरक्षाकर्मी का मुकाबला कर सकते थे. लेकिन उसकी नौबत ही नहीं आई. क्योंकि बदमाशों के तेवर देख कर जेल स्टाफ ने पहले ही करीब-करीब हथियार डाल दिए थे. बदमाशों ने तकनीक का क्या भरपूर इस्तेमाल किया और जेल में मोबाइल इस्तेमाल करने की छूट का फायदा उठाते हुए जेल की तस्वीरें मोबाइल पर शूट की गईं. व्हाट्सएप और फेसबुक पर वीडियो की अदला-बदली चली. प्लानिंग हुई. आखिरकार जेल पर धावा बोल कर बदमाश अपने साथियों को ले उड़े.
22 एकड़ में फैले नाभा जेल में फिलहाल करीब एक हजार कैदी रह रहे हैं. इनमें से लगभग 400 बेहद खतरनाक किस्म के हैं. इनमें अलग-अलग संगठनों से जुड़े आतंकवादी, नामी गैंगेस्टर, ड्रग डीलर और छटे हुए इनामी बदमाश शामिल हैं. जेल की हिफाजत के लिए यहां हर वक्त 250 सुरक्षाकर्मी और जेल स्टाफ तैनात रहते हैं. जेल की दीवार की ऊंचाई करीब 22 फुट है. जेल की हर दीवार के ऊपर बिजली के तार लगे हैं. इनमें 440 वोल्ट का करंट दौड़ता है. पूरे जेल, कैदी और जेल स्टाफ पर नजर रखने के लिए लगभग 150 सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं.
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तारीख- 27 नवंबर दिन- रविवार समय- सुबह 8:55 मिनट अचानक जेल के बाहर एक साथ चार गाड़ियां आकर रुकती हैं. फॉर्च्यूनर, आई-20, होंडा सिटी और वरना. चारों गाड़ियों में तकरीबन 10 लोग सवार थे. इनमें से 9 ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी. उनके साथ हथकड़ियों में जकड़ा उन्हीं का 10वां साथी था. जेल के मेन गेट पर तैनात संतरी पुलिस की वर्दी में देखते ही उनके लिए जेल का मेन गेट खोल देता है.
समय- सुबह 9:05 मिनट दस मिनट के अंदर जेल के पहले दरवाज़े से अंदर घुस कर पुलिस की लिबास में आए हमलावर एक सुरक्षा गार्ड से उसकी एसएलआर राइफ़ल छीनने में कामयाब हो जाते हैं. लेकिन तब तक किसी को इन हमलावरों के पास फटकने की हिम्मत नहीं होती.
समय- सुबह 9:10 मिनट इसके महज़ पांच मिनट बाद ही जेल में बंद खालिस्तान कमांडो फोर्स का कुख्यात आतंकवादी हरमिंदर सिंह मिंटू अपने कुछ साथियों के साथ बाहर से आए बदमाशों से आ मिलता है. दरअसल, मिंटू अपने कुछ साथियों को लेकर पहले से ही मुंशी के कमरे में राशन लेने के बहाने मौजूद था. बाहर से अंदर गए बदमाशों ने उस तक पहुंचते ही गेट की दूसरी तरफ़ से पिस्टल उछाल कर उसे दे दी. इसी पिस्टल से फायर कर उसने गेट का ताला तोड़ दिया फिर बड़े आराम से बाहर निकल आया.
समय- सुबह 9:13 मिनट इन दो-तीन मिनटों में मची हलचल और फायरिंग की आवाज़ सुन कर कुछ संतरियों ने पोज़िशन लेने की कोशिश की, लेकिन तब तक मिंटू और उसके साथियों ने अपने साथ लाए असलहों से अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. किसी भी संतरी ने जवाबी कार्रवाई नहीं की. यहां तक कि गेट के ऊपर बने मचान में बैठा संतरी भी डर के मारे छुप गया.
समय- सुबह 9:15 मिनट यही वो वक्त था जब गोलियां बरसाते हुए सारे बदमाश जेल से बाहर आते हैं. जेल से बाहर निकलते ही सभी चार हिस्सों में बंट जाते हैं. इस वायदे के साथ कि अलग-अलग भागने के बाद़ अगले 15 दिनों तक आपस में कोई भी बातचीत नहीं करते हैं.
जेल से भागने के फौरन बाद पंजाब पुलिस ने सबसे पहला काम ये किया कि उसकी सीमा से लगने वाले सभी राज्यों की पुलिस को उसने अलर्ट कर दिया. खबर मिलते ही खास तौर पर दिल्ली, यूपी और हरियाणा पुलिस सतर्क हो गई. इस दौरान उन मोबाइल नंबरों का भी पता चल गया जो कुछ कैदी जेल में इस्तेमाल कर रहे थे. इसी में से एक नंबर पर जब बातचीत हुई तो दिल्ली पुलिस ने पूरी बातचीत सुन ली. इसके बाद एक-एक करक सभी प्रमुख भगोड़ों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.