
जी हां, आखिरकार तय हो गया कि यूपी में कांग्रेस की नैय्या पार लगाने के लिए उसका तुरुप का इक्का यानी प्रियंका गांधी वाड्रा सियासी मैदान में होंगी. साथ ही खास रणनीति के तहत उसकी झलक इंदिरा गांधी से जुड़े कार्यक्रम में ही दिखेगी. आखिर खुद प्रियंका को इंदिरा की छवि में दिखना पसंद है और कांग्रेसियों को उनमें इंदिरा की छवि दिखती है.
दिल्ली में इंदिरा की 100वीं जयंती के कार्यक्रम से क्यों नदारद रहीं प्रियंका?
कांग्रेस ने इंदिरा की जन्मशती पर दिल्ली में तीन कार्यक्रम रखे, लेकिन प्रियंका सब जगह नदारद रहीं. सूत्रों की मानें तो प्रियंका का फोकस पूरी तरह सिर्फ इंदिरा और यूपी पर है. इसीलिए इंदिरा की जन्मशती पर 21 नवंबर को इलाहाबाद में होने वाले कार्यक्रम में वो सोनिया और राहुल के साथ नजर आएंगी. इंदिरा की तरह हेयर स्टाइल रखने वाली प्रियंका की कोशिश रहेगी कि उस दिन उनमें लोग इंदिरा की झलक देखें, उसी अंदाज में प्रियंका का परिधान भी होगा. आखिर कार्यक्रम उसी आनंद भवन में होगा, जहां नन्ही इंदिरा ने जन्म लिया था.
पीके और आजाद की कोशिश लाई रंग
दरअसल, कांग्रेस के रणनीतिकार पीके प्रियंका को सीएम उम्मीदवार बनाना चाहते थे, लेकिन जब गांधी परिवार ने इनकार कर दिया, तब जाकर पीके लगातार प्रियंका को रायबरेली और अमेठी के बाहर प्रचार करने के लिए मनाते रहे. यूपी कांग्रेस का प्रभारी बनते ही गुलाम नबी आजाद से यूपी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने प्रियंका को लाने की मांग की. जिसके बाद आजाद ने प्रियंका से बात की और 'आज तक' को बताया था कि प्रियंका अमेठी-रायबरेली से बाहर निकलकर प्रचार करने की बात पर सकारात्मक हैं. वैसे खुद प्रियंका भी पहले कह चुकी हैं कि बच्चों के बड़ा होने पर वो सियासत में एंट्री की सोचेंगीं और हाल में उन्होंने माना था कि अब बच्चे बड़े हो गए हैं.
इशारे तो राहुल की देवरिया से दिल्ली की यात्रा में ही मिलने लगे थे
पहले आजाद का कहना कि प्रियंका का रुख सकारात्मक है. फिर बड़ा सुबूत तब मिला, जब यूपी कांग्रेस के नेताओं को प्रियंका गांधी के पोस्टर लगाने की अनुमति मिल गई, वो भी रायबरेली अमेठी के बाहर. हां, ये शर्त जरूर थी कि पोस्टर में प्रियंका का फोटो अकेले नहीं होगा और राहुल से बड़ा नहीं होगा.
5 कदम जो बताते हैं कि राहुल के सहयोगी की ही रहेगी भूमिका
सोनिया और खुद प्रियंका इस बात का खासा ख्याल रख रही हैं कि उनका रोल राहुल के सहयोगी का ही रहे. आखिर सभी को एहसास है कि प्रियंका का आना कहीं राहुल की चमक पर चोट ना कर दे. आखिर परिवार ने तय कर किया है कि सोनिया के बाद पार्टी की कमान राहुल के हाथों में ही रहेगी.
1. इसीलिए प्रियंका के पोस्टर लगाने पर शर्त रखी गई.
2. इंदिरा की जन्मशती के दिल्ली के सभी कार्यक्रमों से भी प्रियंका दूर रहीं.
3. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल को अध्यक्ष बनाने की गुजारिश की गई.
4. राहुल की यूपी में किसान यात्रा बड़े पैमाने पर आयोजित की गई.
5. दिल्ली में सिर्फ यूपी से जुड़े नेताओं से ही मुलाकात की खबरें सार्वजानिक की गईं, जबकि प्रियंका परदे के पीछे तमाम बड़े मुद्दों पर सक्रिय रहती हैं.
प्रियंका के चुनावी कार्यक्रमों का ऐलान
यूपी कांग्रेस की प्रचार समिति के प्रमुख संजय सिंह और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के मुताबिक अभी प्रियंका जी ने पूरे यूपी में प्रचार करने पर हामी भरी है. अब उनका कार्यक्रम बनेगा, उनकी भूमिका फाइनल होगी, जिसको चुनाव की घोषणा होने तक तैयार कर लिया जाएगा और चुनाव की घोषणा के बाद उसका विधिवत ऐलान होगा. लेकिन इस सवाल का जवाब कांग्रेस को प्रियंका के आने पर खोजना होगा, जब विरोधी पूछेंगे कि क्या राहुल यूपी में फ्लॉप हो गए, जो प्रियंका को लाना पड़ रहा है.