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जिनके हौसलों ने लिखी कामयाबी की इबारत

जानिए ऐसे लोगों की सफल दास्‍तां जिन्‍हें जिंदगी में हुए हादसों ने हिला कर रख दिया लेकिन आगे बढ़ने के इनके इरादों का वे बाल भी बांका नहीं कर सके.

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मशहूर है 'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. ऐसे ही हौसले की कहानी है इस दिव्‍यांग शख्‍सियतों की. जिंदगी में हुए हादसों ने इनको हिला कर रख दिया था लेकिन आगे बढ़ने के इरादों का वे बाल भी बांका नहीं कर सके.


1. ब्लेड रनर मेजर सिंह :
भारत के पहले ब्लेड रनर मेजर सिंह 1999 में कारगिल की लड़ाई में एलओसी पर डोगरा रेजिमेंट की तरफ से लड़े थे और उस दौरान उन्होंने अपना एक पैर गंवा दिया था. लेकिन इस हादसे ने उन्हें जीवन में कुछ कर दिखाने के लिए प्रेरित किया और वह लंबी दूरी की दौड़ में उतरे. अंबाला से संबंध रखने वाले मेजर देवेंद्र पाल सिंह का कहना है कि वह चाहते थे कि जो जिंदगी वह पहले जीते थे, इस हादसे का उस पर कोई असर न हो.

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2. गिरीश शर्मा :
गिरीश एक अनुभवी बैडमिंटन प्लेयर हैं और इनका एक पैर नहीं है. यह सोचकर आप भी दुविधा में पड़ जाएंगे कि फिर इनका इस खेल से जुड़ना कैसे संभव है. लेकिन मजबूत इरादों में बड़ी ताकत होती है. बचपन में एक ट्रेन दुर्घटना में गिरीश का पैर कट गया था लेकिन फिर भी बैडमिंटन के प्रति उनका जुनून कम नहीं हुआ.

3. डॉक्टर सुरेश आडवाणी :
प्रख्यात कैंसर स्पेशलिस्ट, डॉक्टर सुरेश आडवाणी को 8 साल की उम्र में पोलियो हो गया था और तब से वह व्हीलचेयर पर हैं. अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्‍होंने हर कोशिश की. उनकी कोशिशों का नतीजा है कि आज कैंसर के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है. 2002 में भारतीय सरकार ने उन्हें पद्म श्री, 2012 में पद्म भूषणसे सम्मानित किया.

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4. एच. रामाकृष्णन :
ढाई साल की उम्र में रामाकृष्णन को दोनों पैरों में पोलियो हो गया था. इसकी वजह से उन्हें स्कूल में दाखिले से लेकर सामान्य जॉब तक के लिए संघर्ष करना पड़ा. आखिरकार उन्हें पत्रकारिता में नौकरी मिली जिसमें उन्होंने 40 साल काम किया. आज, रामाकृष्णन एस एस म्यूजिक टीवी चैनल के सीईओ हैं और खुद भी एक संगीतकार हैं.

5. एच. बोनिफेस प्रभु:
बोनिफेस प्रभु की जिंदगी में चार साल की उम्र में गलत ऑपरेशन हो जाने की वजह से गर्दन के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया. इस घटना से उनके इरादों में कभी कोई कमी नहीं आई. उनके कठिन परिश्रम का ही नतीजा है कि प्रभु आज व्हील चेयर टेनिस में दुनिया के प्रसिद्ध खिलाड़ियों में से एक हैं. 1998 वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने टेनिस में मेडल जीता था जिसके बाद भारतीय सरकार ने उन्हें 2014 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया.

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